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यूपी के सियासी समर का 'कुरुक्षेत्र' बना कैराना, पलायन का मुद्दा हकीकत या फसाना?

बीजेपी इस बार भी पलायन को चुनावी मुद्दा बना रही है

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उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) में एक सीट ऐसी है जहां बीजेपी का प्रयोग सफल रहा तो वो फिर से कुर्सी पाने की उम्मीद कर सकती है. एक ऐसी सीट जहां के मुख्य विपक्षी दल के उम्मदीवार को ही जेल में डाल दिया गया है और अब उनके बदले लंदन से आईं उनकी बहन चुनाव प्रचार कर रही हैं. इस सीट को आप यूपी के महाभारत में, कुरुक्षेत्र का मैदान कह सकते हैं. नाम है- कैराना. बीजेपी के लिए कैराना को यूपी में जीत की कुंजी कहा जा सकता है.

क्विंट हिंदी पर उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर नई पॉडकास्ट सीरीज- ये जो यूपी है न! शुरू की गई है. इस पॉडकास्ट में आपको मिलेंगी यूपी पॉलिटिक्स की सभी बड़ी खबरें और यूपी को जानने वाले बड़े एक्सपर्ट्स से सटीक एनालिसिस...सुनाएंगे क्या हैं बड़े मुद्दे, क्या बीजेपी करेगी फिर से कमाल? क्या है अखिलेश-जयंत की चाल? ग्राउंड पर जाकर हम आपको सुनाएंगे पब्लिक के दिल की बात, ताकि इनकी आवाज नेताओं के शोर में दब न जाए.

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ये जो यूपी है ना...इसकी कैराना सीट..यूपी चुनाव का फोकस प्वाइंट बन गई है. यहां देश के गृहमंत्री पहुंचे हैं, यहां की चर्चा चुनावी मंचों से होती है. और ज्यादातर एक ही बात का जिक्र होता है कैराना से हिंदुओं का पलायन..आगे बताएंगे पलायन का मुद्दा कितना है रियल और कितना चुनावी चकल्लस.

पहले एपिसोड में आप सुनेंगे कि कैराना में पलायन का मुद्दा कितना भारी है. इस पर लोगों की राय क्या है. साथ ही क्या पलायन का मुद्दा उठा कर बीजेपी को फायदा मिलेगा. इस पॉडकास्ट में कैराना के लोग यह भी बताएंगे कि पलायन के अलावा यहां क्या मुद्दे हैं.

इसके अलावा बीजेपी की उम्मीदवार मृगांका सिंह और एसपी-आरएलडी के गंठबंधन के उम्मीदवार नाहिद हसन की बहन इकरा का पलायन के मुद्दे पर क्या कहना है

धुव्रीकरण की जो चाल बीजेपी ने यहां से चली है अगर वो निशाने पर लगी तो बीजेपी को न सिर्फ इस सीट पर फायदा होगा बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका असर दिखेगा. पार्टी जाटों को पटाकर मुसलमानों को उनसे अलग करने की कोशिश कर रही है. यही चाल 2014 चुनावों के पहले मुजफ्फरनगर दंगों के जरिए किया गया और पश्चिमी यूपी में बीजेपी ने सबका सूपड़ा साफ कर दिया था. किसानों के गुस्से और जाट-मुस्लिम एकता की कसमों को देखकर इस बार इसकी उम्मीद कम है, लेकिन अगर कैराना और इसके नाम पर वेस्ट यूपी में ध्रुवीकरण हुआ तो फिर बीजेपी को पूरे यूपी में रोकना मुश्किल होगा. अब ये कैराना की जनता को तय करना है कि वो बंटेगी या एक राय होकर वोट देगी.

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