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Jamtara Season 2 Review: पहले सीजन वाली नहीं बात, लेकिन फिर भी मजेदार

जामताड़ा सीजन 2 में पहले जैसी बात नहीं है, लेकिन यह शायद ही कहीं पर निराशाजनक होता है.

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घोटाले के अंदर एक घोटाला- यह जामताड़ा सीजन 2 (Jamtara Season 2) को पूरी तरह से बयान करता है. पहला सीजन रॉकी (अंशुमान पुष्कर) और सनी (स्पर्श श्रीवास्तव) की दुश्मनी के बारे में था. रॉकी जिले में सबसे बड़ा 'स्कैमर' बन गया था.

जिस तरह से यह खत्म हुआ था, उसने इशारा दिया था कि दूसरे सीजन के लिए दांव बहुत ज्यादा होगा. इस बार गुड़िया (मोनिका पंवार) सबसे आगे हैं और बदला लेने की उसकी मंशा राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जुड़ी हुई है.

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शो में जब एक्टिंग की बात आती है, तो हर एक्टर ने अपनी छाप छोड़ी है. गलत इंसान और पैसे वाले राजनेता के रूप में अमित सियाल शानदार हैं और वही डर और नफरत पैदा करते हैं जो उन्होंने पहले सीजन में किया था.

हालांकि, जब एक विरोधी की बात आती है तो सीमा पाहवा, बुआ जी के रूप में इसमें बेहतरीन रोल निभाती है. जो अपने पॉलिटिकल कैंपेन में गुड़िया की मदद करती है और ब्रजेश की तरह ही चालाक हैं. फैक्ट यह है कि ब्रजेश आखिरकार दिमाग और क्राइम की लड़ाई में जबरदस्त बैलेंस रखता है, यह शो के लिए अच्छा है.

जामताड़ा सीजन 2 में पहले जैसी बात नहीं है. अक्ष परदासनी और दिब्येंदु भट्टाचार्य डॉली साहू और बिस्वा पाठक के रूप में वापसी करते हैं, ताकि जामताड़ा में फिशिंग अटैक से लड़ना जारी रखा जा सके, खास तौर से एक नई एंट्री के एक 'बड़ी मछली' को पकड़ने के बाद. उनकी बातचीत सीजन के कुछ सबसे इमोशनल और खुश करने वाले पल बनाती है.

जामताड़ा सीजन 2 शो की इस भावना को बरकरार रखता है - सत्ता और राजनीति एक आम व्यक्ति को कैसे प्रभावित करती है, इसका पता लगना ज्यादा डरावना है. इसमें एक साथ कई चीजें चल रही हैं.

सिद्धांत माथुर और बॉबी जॉन का म्यूजिक और साउंड पूरी तरह से दृश्यों से मेल खाता है, यह दर्शकों को कैरेक्टर्स के साथ एक सहज यात्रा पर ले जाती है. डीओपी सयाक भट्टाचार्य ने हेर एक फ्रेम को भव्य और रियल दिखने के लिए अच्छे से स्ट्रक्चर किया है.

अगर आपने जामताड़ा सीजन वन का मजा लिया है, तो दूसरा सीजन हल्का लग सकता है लेकिन कम मनोरंजक नहीं है. जामताड़ा सीजन 2 नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग हुआ है.

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