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हरियाणा हिंसा पुलिस की नाकामी? छुट्टी पर SP, अधिकारी VIP ड्यूटी पर और वायरल वीडियो

हरियाणा हिंसा की टाइमलाइन पुलिस और प्रशासन की पूरी नाकामी को दिखाती है.

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हरियाणा(Haryana) के नूंह में एक धार्मिक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई. हिंसा से एक दिन पहले 30 जुलाई को शहर के एक वकील और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रमजान चौधरी ने एक फेसबुक पोस्ट लिखकर स्थानीय लोगों को भरोसा दिया था कि वो कोई चिंता ना करें.

इसकी वजह थी कि रमजान चौधरी ने नूंह में नलहर शिव मंदिर के पास हिंसा भड़कने से तीन दिन पहले 27 जुलाई को एक शांति समिति की बैठक में भाग लिया था. जिला सचिवालय में आयोजित बैठक में कम से कम 20 कम्यूनिटी लीडर्स ने हिस्सा लिया. इसकी अध्यक्षता नूंह में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) उषा कुंडू ने की थी.

रमजान चौधरी ने 30 जुलाई को पोस्ट में लिखा, "हमने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए नूंह में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे कुछ उत्पातियों के मुद्दे को संबोधित किया. एएसपी उषा कुंडू ने कहा था कि प्रशासन ऐसे उकसाने वाले फैक्टर्स से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है."

इस भरोसे करने वाली पोस्ट के एक दिन बाद, नूंह जल रहा था.

चौधरी ने कहा, ''यह भयानक है कि पुलिस के भरोसे के बावजूद ऐसा हुआ"

क्विंट ने 15 एफआईआर देखीं और हिंसा की टाइमलाइन पता लगाने के लिए पुलिस अधिकारियों, प्रत्यक्षदर्शियों और नागरिक समाज के सदस्यों से बात की.

इस रिपोर्ट का उद्देश्य यह स्थापित करना है कि कैसे हरियाणा पुलिस न केवल नूंह में सांप्रदायिक हिंसा रोकने में विफल रही, बल्कि इससे निपटने और इसे अन्य पड़ोसी जिलों में फैलने से रोकने में फेल हुई.

हरियाणा हिंसा पुलिस की नाकामी? छुट्टी पर SP, अधिकारी VIP ड्यूटी पर और वायरल वीडियो

  1. 1. 'हिंसा से 3 दिन पहले टॉप पुलिस अधिकारियों को वीडियो, भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट दिखाए'

    शांति समिति की बैठक के बारे में रमजान चौधरी कहते हैं कि बैठक के दौरान उन्होंने नूंह एएसपी कुंडू से कई भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में बात की थी. रमजान चौधरी ने द क्विंट को बताया,

    "वास्तव में, कुछ वीडियो उन्हें दिखाए गए थे. उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि हालात प्रशासन के नियंत्रण में हैं. अगर शरारती तत्व नूंह में घूसने की कोशिश करते हैं, तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा"

    बैठक के संबंध में एक अपडेट नूंह पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी साझा किया था.

    31 जुलाई को, शांति समिति की बैठक के तीन दिन बाद, रमजान चौधरी को जिस बुरी बात की आशंका थी वो सच हो गई. विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में एक जुलूस - बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान हिंसा भड़कने के बाद उनके शहर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया.

    इस रिपोर्ट  को प्रकाशित करने के समय हरियाणा पुलिस के  साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, हिंसा के संबंध में 83 FIR दर्ज किए गए. नूंह, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और रेवाड़ी में कम से कम 165 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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  2. 2. सीरियल अपराधी, सोशल मीडिया पर अशांति, VHP यात्रा.. क्या जमीनी हकीकत किसी को नहीं दिखी? 

    दिल्ली से 80 किमी दूर दक्षिण हरियाणा में स्थित नूंह राज्य का एकमात्र मुस्लिम बहुल जिला है. इसकी सीमाएं उत्तर में गुरूग्राम, पूर्व में पलवल और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के अलवर से लगती हैं.

    31 जुलाई को, झड़पें तब हुईं जब VHP के नेतृत्व में एक धार्मिक जुलूस को स्थानीय लोगों ने रोका. इसमें बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी जैसे अन्य दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्य शामिल थे.

    नूंह के एक दुकानदार इरशाद ने कहा कि हिंदू धार्मिक जुलूस के मुस्लिम बहुल इलाके से गुजरने में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा, ''यात्रा जिस तरीके से निकाली जा रही थी उसको लेकर समस्या थी''

    उन्होंने कहा, "यात्रा शुरू होने से पहले ही मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी जैसे लोगों के उत्तेजक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए गए थे." जैसा कि वकील रमजान चौधरी ने दावा किया, इनमें से कुछ वीडियो और संदेशों को शांति समिति की बैठक के दौरान एएसपी कुंडू के संज्ञान में लाया गया.

    मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी खुद को गौरक्षक बताते हैं और बजरंग दल की हरियाणा इकाई के सदस्य हैं. मोनू अप्रैल 2023 के जुनैद और नासिर हत्या मामले में भी आरोपी हैं. हरियाणा के भिवानी में दोनों के जले हुए शव मिले थे. कथित तौर पर गाय तस्करी के संदेह में इन दोनों की अपहरण के बाद हत्या की हत्या की गयी थी.

    ऐसा ही एक कथित वीडियो द क्विंट के पास भी है, इसमें मानेसर ने अपने फॉल्लोवर्स से बड़ी संख्या में यात्रा में भाग लेने की अपील की थी. वीडियो में उसे कहते हुए सुना जा सकता है कि, "मैं व्यक्तिगत रूप से यात्रा में शामिल रहूंगा और मेरी पूरी टीम भी मौजूद रहेगी. सभी हिंदुओं को इसमें शामिल होना चाहिए और नूह में मंदिरों के दर्शन करना चाहिए.

    कई प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बजरंगी के एक कथित वीडियो की वजह से भी गुस्सा भड़का. कथित वीडियो में बजरंगी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि नूंह के लोगों को अपने जीजा का फूल-मालाओं से स्वागत करना चाहिए.

    उसने कहा था, "बाद में शिकायत मत करना कि हम बिना बताए आ गए. हम अभी पाली (राजस्थान) में हैं और कम से कम 150 कारें नूंह होते हुए धौज (फरीदाबाद) जाएंगी. तुम्हारे जीजाजी आ रहे हैं. तैयार रहना. बजरंगी इस वीडियो में जय श्री राम और हर हर महादेव के नारे भी लगाता दिख रहा है.

    जल्द ही, मोनू मानेसर और बजरंगी के जवाब में स्थानीय लोगों और दूसरे कुछ लोगों के बनाए कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. ऐसे ही एक वीडियो में, जिसे कथित तौर पर मोहम्मद साबिर खान नाम के व्यक्ति ने पोस्ट किया है, कई गैस सिलेंडरों को एक कैप्शन के साथ देखा जा सकता है जिसमें लिखा है, "हम सभी मोनू और सोनू का स्वागत करने के लिए तैयार हैं."

    एक अन्य वीडियो में नूंह के निवासी नसीम गोरवाल ने प्रशासन से मोनू मानेसर को शहर में प्रवेश करने से रोकने की गुजारिश की. उसने चेतावनी जारी की कि यदि अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं, तो लोग अपने तरीके से उनसे निपटेंगे.

    हिंसा के एक दिन बाद 1 अगस्त को, फ़रीदाबाद पुलिस ने बजरंगी पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित आईपीसी की धारा के तहत मामला दर्ज किया. उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.

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  3. 3. शांति समिति बैठक में उठाई गई चिंताओं के बावजूद यात्रा की अनुमति

    सोशल मीडिया पर तनाव के बावजूद, यात्रा रद्द नहीं की गई. योजना के मुताबिक ही यात्रा बढ़ी. जुलूस को सुबह गुड़गांव के सिविल लाइन्स से रवाना किया गया और फिरोजपुर झिरका की ओर जाने वाले प्रतिभागी दोपहर करीब 1.30 बजे नूंह से गुजरे.

    इस बीच, बुधवार, 2 अगस्त को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यात्रा के आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "आयोजकों ने यात्रा के बारे में जिला प्रशासन को ठीक से सूचित नहीं किया. उनके और जो भी इस घटना में शामिल थे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए."

    उसी दिन राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने भी कहा था कि दोषी पाए जाने पर मोनू मानेसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अनिल विज ने कहा, "इस मामले में भी, अगर उसकी  (मानेसर) कोई भूमिका है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा."

    गुरुवार 3 अगस्त को एसपी सिंगला ने पत्रकारों को बताया कि कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाकर नूंह में हिंसा बढ़ाने के आरोप में लोगों के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं.

    उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की जा रही जानकारी की जिला पुलिस टीम गहन जांच कर रही है."

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  4. 4. अपर्याप्त बल, कोई दंगा सामग्री नहीं, एसपी छुट्टी पर: यात्रा के दिन क्या हुआ?

    पुलिस अधीक्षक (एनयूएच) वरुण सिंगला ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा के दिन नूंह में 800 पुलिसकर्मी ड्यूटी पर थे. उन्होंने कहा, "उस दिन 800 नूंह पुलिस कर्मी ड्यूटी पर थे और हिंसा भड़कने के बाद केंद्र ने अर्धसैनिक बलों की 20 कंपनियां भेजी."

    हरियाणा सरकार के गृह विभाग ने 3 अगस्त को एक आदेश में एसपी सिंगला का तबादला भिवानी कर दिया. वर्तमान में भिवानी के एसपी नरेंद्र बिजारणिया ने नूंह में कार्यभार संभाल लिया है.

    पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "उस दिन बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवान रेवाडी जिले में वीआईपी ड्यूटी पर थे"

    क्यों?

    31 जुलाई को जब हिंसा भड़की तो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर रेवाड़ी के दौरे पर थे.

    यह हमें तीन जरूरी प्रश्नों तक लाता है:

    • शांति समिति की बैठक में यात्रा को लेकर चिंताएं जताए जाने के बावजूद इसकी इजाजत क्यों दी गई?

    • और यदि इसकी अनुमति दी गई थी, तो क्या स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया गया था?

    • क्या उस दिन रेवाडी में वीआईपी ड्यूटी से नूंह के पुलिस कर्मियों को दूर नहीं रखा जाना चाहिए था?

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  5. 5. 'भीड़ अत्याधुनिक हथियार से लैस थी, पुलिस के पास लाठियां थीं':  पुजारी

    कमिश्नर (नूंह) प्रशांत पंवार के अनुसार, यात्रियों को जुलूस के दौरान हथियारों से सख्ती से दूर रहने के लिए कहा गया था. पंवार ने कहा, "जब हमने उन्हें (विहिप को) अनुमति दी थी, तो हमने उनसे यात्रा के दौरान किसी भी हथियार को रखने पर  सख्ती से मनाही की थी."

    हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोगों को सड़क पर और नलहर शिव मंदिर के परिसर के अंदर बंदूक और तलवार सहित हथियारों के साथ दिखाया गया है, जहां झड़प के बाद कई यात्रियों ने कथित तौर पर शरण ली थी

    मंदिर के उपपुजारी संजय ने द क्विंट को बताया कि, "यात्रा में शामिल कई महिलाओं और बच्चों ने मंदिर में शरण ली. हम पर हर तरफ से हमला किया जा रहा था. मंदिर परिसर के भीतर पुलिस कर्मी थे. हालांकि, चौंकाने वाली बात यह थी कि मंदिर के अंदर और बाहर कई लोग थे. उनके पास अत्याधुनिक हथियार थे, जबकि ज्यादातर पुलिसकर्मियों के पास केवल लाठी थी,''

    यात्रा को कवर कर रहे एक स्वतंत्र पत्रकार अनिल मोहनिया ने पहले द क्विंट से दावा किया था कि जब उन्होंने भीड़ को अपनी कार में तोड़फोड़ करते देखा तो एक पुलिस अधिकारी ने उनकी मदद करने से इनकार कर दिया.

    "मेरी कार को गिरा दिया गया, खिड़कियां तोड़ दी गईं और बाद में मेरी आंखों के सामने जला दिया गया. एक वरिष्ठ महिला अधिकारी मेरे ठीक बगल में खड़ी थी, लेकिन जब मैंने पूछा कि क्या वो भीड़ को रोक सकती हैं, तो उन्होंने कहा, 'कैसे रोकू मैं उनको' ? मेरे हाथ में कुछ भी नहीं है. मैं क्या कर सकती हूं?"

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  6. 6. 'उस दिन ड्यूटी पर पुलिसकर्मी कम और होम गार्ड अधिक थे'

    एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ड्यूटी पर मौजूद अधिकांश पुलिसकर्मी वास्तव में होम गार्ड थे, जिन्हें ऐसी गंभीर कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए ट्रेनिंग नहीं दी गयी थी. अधिकारी ने कहा, "लगातार तीसरे साल इस यात्रा का आयोजन किया गया था. पिछले सालों की तुलना में हमारे पास ड्यूटी पर कम पुलिसकर्मी थे. जो लोग मौजूद थे, उनमें से अधिकांश होम गार्ड थे जो इस पैमाने को संभालने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं."

    31 जुलाई को हुई हिंसा में दो होम गार्ड - नीरज खान और गुरसेव सिंह मारे गए.

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  7. 7. पुलिस स्टेशन पर हमला, 4 घंटे बाद पहुंची अतिरिक्त फोर्स

    दंगों की कई घटनाओं में से एक में, 31 जुलाई को "हजारों की भीड़" ने नूंह में साइबर अपराध पुलिस स्टेशन पर हमला किया.

    साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने क्विंट को बताया कि भीड़ ने जब पहली बार हमला किया , उसके लगभग तीन-चार घंटे बाद अतिरिक्त पुलिस फोर्स स्टेशन पर पहुंचा. उन्होंने कहा, ''हमने तीन-चार घंटे तक कंट्रोल बनाए रखा.''

    दिलचस्प बात यह है कि सदर पुलिस स्टेशन - साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन से - मुश्किल से चार किमी दूर है.

    जब क्विंट ने सदर पुलिस स्टेशन का दौरा किया, तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके लिए समय पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पहुंचना संभव नहीं था. अधिकारी ने कहा, "हमारे पास सीमित संख्या में अधिकारी थे और सड़क का पूरा हिस्सा दंगाइयों ने रोक दिया था. 

    नूंह साइबर अपराध पुलिस स्टेशन से लगभग 100 मीटर दूर दुकान चांदीराम स्वीट्स के मालिक गिरिराज प्रसाद ने कहा, "मैंने देखा कि वे (भीड़) पुलिस स्टेशन पर आए और घंटों तक उत्पात मचाते रहे." प्रसाद ने आरोप लगाया कि दंगाइयों ने केवल हिंदुओं की दुकानों को आग लगाई और उन पर हमला किया.

    "सबसे पहले, उन्होंने पुलिस स्टेशन पर हमला किया. मैंने एक घंटे में कम से कम 125 राउंड फायरिंग सुनी. पुलिस स्टेशन के अंदर छह से आठ पुलिस अधिकारी थे जो भीड़ से लड़ रहे थे क्योंकि उन्होंने पुलिस वाहनों को आग लगा दी और पुलिस स्टेशन की दीवारों में बस को घुसेड़ दिया. उनमें से कुछ हमारी दुकानों और वाहनों को लूटने भी आए थे...लेकिन केवल हिंदू संपत्तियों को निशाना बनाया गया,'' उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 10 मिनट के भीतर कम से कम तीन बार पुलिस को फोन करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

    प्रसाद ने द क्विंट को बताया, ''मेरा स्टाफ भी उन्हें फोन कर रहा था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.''

    नूंह के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर सूरज ने जो FIR दर्ज की है, उसके अनुसार, "हथियारों से लैस हजारों लोगों की भीड़ ने 31 जुलाई को दोपहर करीब 3.30 बजे पुलिस स्टेशन पर हमला किया.

    "एक बड़ी और उत्तेजित भीड़, जिसमें हजारों लोग शामिल थे, ने अचानक सभी दिशाओं से पुलिस स्टेशन को घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया. दंगाई हिंसा कर रहे थे, जिनमें पत्थरबाजी, पुलिस पर गोलियां चलाना और पुलिस के कई वाहनों को आग लगाना शामिल था. ”
    शिकायत में पीआई सूरज ने कहा

    इस शिकायत के आधार पर, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत दंगा, गैरकानूनी सभा, जानबूझकर डैमेज पहुंचाना या किसी लोक सेवक को चोट पहुंचाने, नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ से शरारत और डकैती से संबंधित कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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  8. 8. इमाम की हत्या, पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दुकानें जलायी गईं: गुरुग्राम में हिंसा कैसे फैली?

    हिंसा रोकने में नूंह पुलिस की नाकामी का मुख्य प्रमाण यह तथ्य है कि कुछ ही घंटों में हिंसा अन्य जिलों - सोहना, पलवल और गुरुग्राम तक फैल गई.

    मंगलवार, 1 अगस्त को सुबह 12 बजे, नूंह में पहली बार हिंसा भड़कने के कुछ घंटों बाद, इसके झटके 44 किमी दूर - गुरुग्राम के समृद्ध सेक्टर 57 में महसूस किए गए, जहां एक भीड़ ने अंजुमन जामा मस्जिद में आग लगा दी थी.

    हमले में मस्जिद के नायब इमाम की मौत हो गई.

    हमले के दौरान मस्जिद के अंदर फंसे एक व्यक्ति के रिश्तेदार ने द क्विंट को बताया, "जब यह हुआ तब मस्जिद के आसपास कम से कम 10-15 पुलिस अधिकारी मौजूद थे." हमले के दौरान मस्जिद के अंदर फंसे एक व्यक्ति के रिश्तेदार ने द क्विंट को बताया, "जब यह हुआ तब मस्जिद के आसपास कम से कम 10-15 पुलिस अधिकारी मौजूद थे."

    "31 जुलाई की शाम 5 बजे से मस्जिद के आसपास पुलिस की मौजूदगी थी. हमें नहीं पता कि वे भीड़ को नियंत्रित करने और इमाम को बचाने में कैसे सक्षम नहीं थे."
    जब मस्जिद पर हमला हुआ तो उनमें से एक व्यक्ति के परिजन मस्जिद के अंदर फंस गए.

    मामले के संबंध में गुरुग्राम के सेक्टर 56 पुलिस स्टेशन में हत्या, दंगा, गैरकानूनी सभा, पब्लिक सर्वेंट को ड्यूटी करने में रोकने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित IPC की कई धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई थी.

    ASI संदीप की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई FIR के अनुसार, जब मस्जिद पर 90-100 लोगों की भीड़ ने हमला किया तो सात पुलिस अधिकारी ड्यूटी पर थे.

    "उनमें से कुछ (भीड़) ने अपने चेहरे ढंके हुए थे. वे लाठियों और बंदूकों से लैस थे और मस्जिद को चारों तरफ से घेरते हुए जय श्री राम के नारे लगा रहे थे. जब ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने हम पर हमला कर दिया. ASI संदीप ने कहा, "हमने मस्जिद के अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने की कोशिशें की. उनमें से कुछ को चोटें आईं, उन्हें डब्ल्यू प्रतीक्षा अस्पताल ले जाया गया."

    पुलिस और जिला अधिकारियों की शांति समिति के साथ बैठक के कुछ घंटों बाद ही गुरुग्राम के सोहना में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई.

    मस्जिद के केयरटेकर शमीम अहमद ने कहा कि “सुबह एक शांति समिति की बैठक थी. स्थानीय लोगों ने भी हमें बताया कि हमें अब जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब सब कुछ ठीक है. यह उस आश्वासन और विश्वास के कारण है कि हम रुके थे लेकिन अब हमें इसका पछतावा है, ”

    कुछ ही घंटों बाद रात करीब 10 बजे जिले के सेक्टर 70ए में एक के बाद एक कई झुग्गियों में आग लगा दी गई.

    घटना के समय क्विंट मौके पर मौजूद था और उसने देखा कि कम से कम दो पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) वैन सड़क पर गश्त कर रही थीं. हम जनता से अनुरोध करते हैं कि कृपया चिंता न करें. आज आगजनी और झड़प की कुछ घटनाएं हुई हैं. लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. हमने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है और शांति बनाए रखने के लिए अलर्ट पर हैं

    सेक्टर 70 ए के निवासी सुरेश मोनी ने कहा, जो अन्य स्थानीय लोगों के साथ अपनी बस्ती के बाहर पहरा दे रहे थे. "हम नहीं जानते कि इन झोपड़ियों को कौन जला रहा है. ऐसा लगता है जैसे उनमें खुद ही आग लग रही हो. जब तक हम एक झोपड़ी तक पहुंचते हैं, हम देखते हैं कि दूसरी झोपड़ी में आग लग रही है. पुलिस यहां है. ढूंढना उनका काम है.  लेकिन वे बस आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाते हैं,'' उन्होंने कहा, "हम पुलिस पर भरोसा नहीं कर सकते. इसलिए हम बारी-बारी से अपनी बस्ती की सुरक्षा कर रहे हैं."

    तीन घंटे बाद, गुरुग्राम पुलिस ने ट्विटर पर एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि जिले में केवल आगजनी और झड़प की कुछ छोटी घटनाएं हुईं, जिसके बाद संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई.

    बयान में कहा गया, "हम जनता से अनुरोध करते हैं कि कृपया चिंता न करें. आज आगजनी और झड़प की कुछ घटनाएं हुई हैं. लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. हमने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है और शांति बनाए रखने के लिए अलर्ट पर हैं."

    क्विंट ने प्रतिक्रिया के लिए डीजीपी पीके अग्रवाल, एएसपी उषा कुंडू, एसपी वरुण सिंगला और सीपी कला रामचंद्रन से संपर्क किया है. जब भी हम उनकी प्रतिक्रिया जानेंगे तो कॉपी को अपडेट करेंगे.  

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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'हिंसा से 3 दिन पहले टॉप पुलिस अधिकारियों को वीडियो, भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट दिखाए'

शांति समिति की बैठक के बारे में रमजान चौधरी कहते हैं कि बैठक के दौरान उन्होंने नूंह एएसपी कुंडू से कई भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में बात की थी. रमजान चौधरी ने द क्विंट को बताया,

"वास्तव में, कुछ वीडियो उन्हें दिखाए गए थे. उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि हालात प्रशासन के नियंत्रण में हैं. अगर शरारती तत्व नूंह में घूसने की कोशिश करते हैं, तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा"

बैठक के संबंध में एक अपडेट नूंह पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी साझा किया था.

31 जुलाई को, शांति समिति की बैठक के तीन दिन बाद, रमजान चौधरी को जिस बुरी बात की आशंका थी वो सच हो गई. विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में एक जुलूस - बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा के दौरान हिंसा भड़कने के बाद उनके शहर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया.

इस रिपोर्ट  को प्रकाशित करने के समय हरियाणा पुलिस के  साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, हिंसा के संबंध में 83 FIR दर्ज किए गए. नूंह, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और रेवाड़ी में कम से कम 165 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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सीरियल अपराधी, सोशल मीडिया पर अशांति, VHP यात्रा.. क्या जमीनी हकीकत किसी को नहीं दिखी? 

दिल्ली से 80 किमी दूर दक्षिण हरियाणा में स्थित नूंह राज्य का एकमात्र मुस्लिम बहुल जिला है. इसकी सीमाएं उत्तर में गुरूग्राम, पूर्व में पलवल और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के अलवर से लगती हैं.

31 जुलाई को, झड़पें तब हुईं जब VHP के नेतृत्व में एक धार्मिक जुलूस को स्थानीय लोगों ने रोका. इसमें बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी जैसे अन्य दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्य शामिल थे.

नूंह के एक दुकानदार इरशाद ने कहा कि हिंदू धार्मिक जुलूस के मुस्लिम बहुल इलाके से गुजरने में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा, ''यात्रा जिस तरीके से निकाली जा रही थी उसको लेकर समस्या थी''

उन्होंने कहा, "यात्रा शुरू होने से पहले ही मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी जैसे लोगों के उत्तेजक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए गए थे." जैसा कि वकील रमजान चौधरी ने दावा किया, इनमें से कुछ वीडियो और संदेशों को शांति समिति की बैठक के दौरान एएसपी कुंडू के संज्ञान में लाया गया.

मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी खुद को गौरक्षक बताते हैं और बजरंग दल की हरियाणा इकाई के सदस्य हैं. मोनू अप्रैल 2023 के जुनैद और नासिर हत्या मामले में भी आरोपी हैं. हरियाणा के भिवानी में दोनों के जले हुए शव मिले थे. कथित तौर पर गाय तस्करी के संदेह में इन दोनों की अपहरण के बाद हत्या की हत्या की गयी थी.

ऐसा ही एक कथित वीडियो द क्विंट के पास भी है, इसमें मानेसर ने अपने फॉल्लोवर्स से बड़ी संख्या में यात्रा में भाग लेने की अपील की थी. वीडियो में उसे कहते हुए सुना जा सकता है कि, "मैं व्यक्तिगत रूप से यात्रा में शामिल रहूंगा और मेरी पूरी टीम भी मौजूद रहेगी. सभी हिंदुओं को इसमें शामिल होना चाहिए और नूह में मंदिरों के दर्शन करना चाहिए.

कई प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बजरंगी के एक कथित वीडियो की वजह से भी गुस्सा भड़का. कथित वीडियो में बजरंगी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि नूंह के लोगों को अपने जीजा का फूल-मालाओं से स्वागत करना चाहिए.

उसने कहा था, "बाद में शिकायत मत करना कि हम बिना बताए आ गए. हम अभी पाली (राजस्थान) में हैं और कम से कम 150 कारें नूंह होते हुए धौज (फरीदाबाद) जाएंगी. तुम्हारे जीजाजी आ रहे हैं. तैयार रहना. बजरंगी इस वीडियो में जय श्री राम और हर हर महादेव के नारे भी लगाता दिख रहा है.

जल्द ही, मोनू मानेसर और बजरंगी के जवाब में स्थानीय लोगों और दूसरे कुछ लोगों के बनाए कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. ऐसे ही एक वीडियो में, जिसे कथित तौर पर मोहम्मद साबिर खान नाम के व्यक्ति ने पोस्ट किया है, कई गैस सिलेंडरों को एक कैप्शन के साथ देखा जा सकता है जिसमें लिखा है, "हम सभी मोनू और सोनू का स्वागत करने के लिए तैयार हैं."

एक अन्य वीडियो में नूंह के निवासी नसीम गोरवाल ने प्रशासन से मोनू मानेसर को शहर में प्रवेश करने से रोकने की गुजारिश की. उसने चेतावनी जारी की कि यदि अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं, तो लोग अपने तरीके से उनसे निपटेंगे.

हिंसा के एक दिन बाद 1 अगस्त को, फ़रीदाबाद पुलिस ने बजरंगी पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित आईपीसी की धारा के तहत मामला दर्ज किया. उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.

शांति समिति बैठक में उठाई गई चिंताओं के बावजूद यात्रा की अनुमति

सोशल मीडिया पर तनाव के बावजूद, यात्रा रद्द नहीं की गई. योजना के मुताबिक ही यात्रा बढ़ी. जुलूस को सुबह गुड़गांव के सिविल लाइन्स से रवाना किया गया और फिरोजपुर झिरका की ओर जाने वाले प्रतिभागी दोपहर करीब 1.30 बजे नूंह से गुजरे.

इस बीच, बुधवार, 2 अगस्त को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यात्रा के आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "आयोजकों ने यात्रा के बारे में जिला प्रशासन को ठीक से सूचित नहीं किया. उनके और जो भी इस घटना में शामिल थे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए."

उसी दिन राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने भी कहा था कि दोषी पाए जाने पर मोनू मानेसर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अनिल विज ने कहा, "इस मामले में भी, अगर उसकी  (मानेसर) कोई भूमिका है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा."

गुरुवार 3 अगस्त को एसपी सिंगला ने पत्रकारों को बताया कि कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाकर नूंह में हिंसा बढ़ाने के आरोप में लोगों के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं.

उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की जा रही जानकारी की जिला पुलिस टीम गहन जांच कर रही है."

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अपर्याप्त बल, कोई दंगा सामग्री नहीं, एसपी छुट्टी पर: यात्रा के दिन क्या हुआ?

पुलिस अधीक्षक (एनयूएच) वरुण सिंगला ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा के दिन नूंह में 800 पुलिसकर्मी ड्यूटी पर थे. उन्होंने कहा, "उस दिन 800 नूंह पुलिस कर्मी ड्यूटी पर थे और हिंसा भड़कने के बाद केंद्र ने अर्धसैनिक बलों की 20 कंपनियां भेजी."

हरियाणा सरकार के गृह विभाग ने 3 अगस्त को एक आदेश में एसपी सिंगला का तबादला भिवानी कर दिया. वर्तमान में भिवानी के एसपी नरेंद्र बिजारणिया ने नूंह में कार्यभार संभाल लिया है.

पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "उस दिन बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवान रेवाडी जिले में वीआईपी ड्यूटी पर थे"

क्यों?

31 जुलाई को जब हिंसा भड़की तो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर रेवाड़ी के दौरे पर थे.

यह हमें तीन जरूरी प्रश्नों तक लाता है:

  • शांति समिति की बैठक में यात्रा को लेकर चिंताएं जताए जाने के बावजूद इसकी इजाजत क्यों दी गई?

  • और यदि इसकी अनुमति दी गई थी, तो क्या स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया गया था?

  • क्या उस दिन रेवाडी में वीआईपी ड्यूटी से नूंह के पुलिस कर्मियों को दूर नहीं रखा जाना चाहिए था?

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'भीड़ अत्याधुनिक हथियार से लैस थी, पुलिस के पास लाठियां थीं':  पुजारी

कमिश्नर (नूंह) प्रशांत पंवार के अनुसार, यात्रियों को जुलूस के दौरान हथियारों से सख्ती से दूर रहने के लिए कहा गया था. पंवार ने कहा, "जब हमने उन्हें (विहिप को) अनुमति दी थी, तो हमने उनसे यात्रा के दौरान किसी भी हथियार को रखने पर  सख्ती से मनाही की थी."

हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोगों को सड़क पर और नलहर शिव मंदिर के परिसर के अंदर बंदूक और तलवार सहित हथियारों के साथ दिखाया गया है, जहां झड़प के बाद कई यात्रियों ने कथित तौर पर शरण ली थी

मंदिर के उपपुजारी संजय ने द क्विंट को बताया कि, "यात्रा में शामिल कई महिलाओं और बच्चों ने मंदिर में शरण ली. हम पर हर तरफ से हमला किया जा रहा था. मंदिर परिसर के भीतर पुलिस कर्मी थे. हालांकि, चौंकाने वाली बात यह थी कि मंदिर के अंदर और बाहर कई लोग थे. उनके पास अत्याधुनिक हथियार थे, जबकि ज्यादातर पुलिसकर्मियों के पास केवल लाठी थी,''

यात्रा को कवर कर रहे एक स्वतंत्र पत्रकार अनिल मोहनिया ने पहले द क्विंट से दावा किया था कि जब उन्होंने भीड़ को अपनी कार में तोड़फोड़ करते देखा तो एक पुलिस अधिकारी ने उनकी मदद करने से इनकार कर दिया.

"मेरी कार को गिरा दिया गया, खिड़कियां तोड़ दी गईं और बाद में मेरी आंखों के सामने जला दिया गया. एक वरिष्ठ महिला अधिकारी मेरे ठीक बगल में खड़ी थी, लेकिन जब मैंने पूछा कि क्या वो भीड़ को रोक सकती हैं, तो उन्होंने कहा, 'कैसे रोकू मैं उनको' ? मेरे हाथ में कुछ भी नहीं है. मैं क्या कर सकती हूं?"

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'उस दिन ड्यूटी पर पुलिसकर्मी कम और होम गार्ड अधिक थे'

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ड्यूटी पर मौजूद अधिकांश पुलिसकर्मी वास्तव में होम गार्ड थे, जिन्हें ऐसी गंभीर कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए ट्रेनिंग नहीं दी गयी थी. अधिकारी ने कहा, "लगातार तीसरे साल इस यात्रा का आयोजन किया गया था. पिछले सालों की तुलना में हमारे पास ड्यूटी पर कम पुलिसकर्मी थे. जो लोग मौजूद थे, उनमें से अधिकांश होम गार्ड थे जो इस पैमाने को संभालने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं."

31 जुलाई को हुई हिंसा में दो होम गार्ड - नीरज खान और गुरसेव सिंह मारे गए.

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पुलिस स्टेशन पर हमला, 4 घंटे बाद पहुंची अतिरिक्त फोर्स

दंगों की कई घटनाओं में से एक में, 31 जुलाई को "हजारों की भीड़" ने नूंह में साइबर अपराध पुलिस स्टेशन पर हमला किया.

साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने क्विंट को बताया कि भीड़ ने जब पहली बार हमला किया , उसके लगभग तीन-चार घंटे बाद अतिरिक्त पुलिस फोर्स स्टेशन पर पहुंचा. उन्होंने कहा, ''हमने तीन-चार घंटे तक कंट्रोल बनाए रखा.''

दिलचस्प बात यह है कि सदर पुलिस स्टेशन - साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन से - मुश्किल से चार किमी दूर है.

जब क्विंट ने सदर पुलिस स्टेशन का दौरा किया, तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके लिए समय पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पहुंचना संभव नहीं था. अधिकारी ने कहा, "हमारे पास सीमित संख्या में अधिकारी थे और सड़क का पूरा हिस्सा दंगाइयों ने रोक दिया था. 

नूंह साइबर अपराध पुलिस स्टेशन से लगभग 100 मीटर दूर दुकान चांदीराम स्वीट्स के मालिक गिरिराज प्रसाद ने कहा, "मैंने देखा कि वे (भीड़) पुलिस स्टेशन पर आए और घंटों तक उत्पात मचाते रहे." प्रसाद ने आरोप लगाया कि दंगाइयों ने केवल हिंदुओं की दुकानों को आग लगाई और उन पर हमला किया.

"सबसे पहले, उन्होंने पुलिस स्टेशन पर हमला किया. मैंने एक घंटे में कम से कम 125 राउंड फायरिंग सुनी. पुलिस स्टेशन के अंदर छह से आठ पुलिस अधिकारी थे जो भीड़ से लड़ रहे थे क्योंकि उन्होंने पुलिस वाहनों को आग लगा दी और पुलिस स्टेशन की दीवारों में बस को घुसेड़ दिया. उनमें से कुछ हमारी दुकानों और वाहनों को लूटने भी आए थे...लेकिन केवल हिंदू संपत्तियों को निशाना बनाया गया,'' उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 10 मिनट के भीतर कम से कम तीन बार पुलिस को फोन करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

प्रसाद ने द क्विंट को बताया, ''मेरा स्टाफ भी उन्हें फोन कर रहा था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.''

नूंह के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर सूरज ने जो FIR दर्ज की है, उसके अनुसार, "हथियारों से लैस हजारों लोगों की भीड़ ने 31 जुलाई को दोपहर करीब 3.30 बजे पुलिस स्टेशन पर हमला किया.

"एक बड़ी और उत्तेजित भीड़, जिसमें हजारों लोग शामिल थे, ने अचानक सभी दिशाओं से पुलिस स्टेशन को घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया. दंगाई हिंसा कर रहे थे, जिनमें पत्थरबाजी, पुलिस पर गोलियां चलाना और पुलिस के कई वाहनों को आग लगाना शामिल था. ”
शिकायत में पीआई सूरज ने कहा

इस शिकायत के आधार पर, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत दंगा, गैरकानूनी सभा, जानबूझकर डैमेज पहुंचाना या किसी लोक सेवक को चोट पहुंचाने, नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ से शरारत और डकैती से संबंधित कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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इमाम की हत्या, पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दुकानें जलायी गईं: गुरुग्राम में हिंसा कैसे फैली?

हिंसा रोकने में नूंह पुलिस की नाकामी का मुख्य प्रमाण यह तथ्य है कि कुछ ही घंटों में हिंसा अन्य जिलों - सोहना, पलवल और गुरुग्राम तक फैल गई.

मंगलवार, 1 अगस्त को सुबह 12 बजे, नूंह में पहली बार हिंसा भड़कने के कुछ घंटों बाद, इसके झटके 44 किमी दूर - गुरुग्राम के समृद्ध सेक्टर 57 में महसूस किए गए, जहां एक भीड़ ने अंजुमन जामा मस्जिद में आग लगा दी थी.

हमले में मस्जिद के नायब इमाम की मौत हो गई.

हमले के दौरान मस्जिद के अंदर फंसे एक व्यक्ति के रिश्तेदार ने द क्विंट को बताया, "जब यह हुआ तब मस्जिद के आसपास कम से कम 10-15 पुलिस अधिकारी मौजूद थे." हमले के दौरान मस्जिद के अंदर फंसे एक व्यक्ति के रिश्तेदार ने द क्विंट को बताया, "जब यह हुआ तब मस्जिद के आसपास कम से कम 10-15 पुलिस अधिकारी मौजूद थे."

"31 जुलाई की शाम 5 बजे से मस्जिद के आसपास पुलिस की मौजूदगी थी. हमें नहीं पता कि वे भीड़ को नियंत्रित करने और इमाम को बचाने में कैसे सक्षम नहीं थे."
जब मस्जिद पर हमला हुआ तो उनमें से एक व्यक्ति के परिजन मस्जिद के अंदर फंस गए.

मामले के संबंध में गुरुग्राम के सेक्टर 56 पुलिस स्टेशन में हत्या, दंगा, गैरकानूनी सभा, पब्लिक सर्वेंट को ड्यूटी करने में रोकने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित IPC की कई धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई थी.

ASI संदीप की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई FIR के अनुसार, जब मस्जिद पर 90-100 लोगों की भीड़ ने हमला किया तो सात पुलिस अधिकारी ड्यूटी पर थे.

"उनमें से कुछ (भीड़) ने अपने चेहरे ढंके हुए थे. वे लाठियों और बंदूकों से लैस थे और मस्जिद को चारों तरफ से घेरते हुए जय श्री राम के नारे लगा रहे थे. जब ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने हम पर हमला कर दिया. ASI संदीप ने कहा, "हमने मस्जिद के अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने की कोशिशें की. उनमें से कुछ को चोटें आईं, उन्हें डब्ल्यू प्रतीक्षा अस्पताल ले जाया गया."

पुलिस और जिला अधिकारियों की शांति समिति के साथ बैठक के कुछ घंटों बाद ही गुरुग्राम के सोहना में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई.

मस्जिद के केयरटेकर शमीम अहमद ने कहा कि “सुबह एक शांति समिति की बैठक थी. स्थानीय लोगों ने भी हमें बताया कि हमें अब जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब सब कुछ ठीक है. यह उस आश्वासन और विश्वास के कारण है कि हम रुके थे लेकिन अब हमें इसका पछतावा है, ”

कुछ ही घंटों बाद रात करीब 10 बजे जिले के सेक्टर 70ए में एक के बाद एक कई झुग्गियों में आग लगा दी गई.

घटना के समय क्विंट मौके पर मौजूद था और उसने देखा कि कम से कम दो पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) वैन सड़क पर गश्त कर रही थीं. हम जनता से अनुरोध करते हैं कि कृपया चिंता न करें. आज आगजनी और झड़प की कुछ घटनाएं हुई हैं. लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. हमने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है और शांति बनाए रखने के लिए अलर्ट पर हैं

सेक्टर 70 ए के निवासी सुरेश मोनी ने कहा, जो अन्य स्थानीय लोगों के साथ अपनी बस्ती के बाहर पहरा दे रहे थे. "हम नहीं जानते कि इन झोपड़ियों को कौन जला रहा है. ऐसा लगता है जैसे उनमें खुद ही आग लग रही हो. जब तक हम एक झोपड़ी तक पहुंचते हैं, हम देखते हैं कि दूसरी झोपड़ी में आग लग रही है. पुलिस यहां है. ढूंढना उनका काम है.  लेकिन वे बस आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाते हैं,'' उन्होंने कहा, "हम पुलिस पर भरोसा नहीं कर सकते. इसलिए हम बारी-बारी से अपनी बस्ती की सुरक्षा कर रहे हैं."

तीन घंटे बाद, गुरुग्राम पुलिस ने ट्विटर पर एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि जिले में केवल आगजनी और झड़प की कुछ छोटी घटनाएं हुईं, जिसके बाद संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई.

बयान में कहा गया, "हम जनता से अनुरोध करते हैं कि कृपया चिंता न करें. आज आगजनी और झड़प की कुछ घटनाएं हुई हैं. लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. हमने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है और शांति बनाए रखने के लिए अलर्ट पर हैं."

क्विंट ने प्रतिक्रिया के लिए डीजीपी पीके अग्रवाल, एएसपी उषा कुंडू, एसपी वरुण सिंगला और सीपी कला रामचंद्रन से संपर्क किया है. जब भी हम उनकी प्रतिक्रिया जानेंगे तो कॉपी को अपडेट करेंगे.  

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