ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या इमली के बीजों से संभव है चिकनगुनिया का इलाज?

IIT रुड़की के प्रोफेसरों ने इमली के बीजों में एंटीवायरल गुण वाले प्रोटीन पाए जाने का दावा किया है.

Updated
फिट
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसरों ने दावा किया है कि उन्होंने इमली के बीजों में एक प्रोटीन का पता लगाया है, जिसमें एंटीवायरल गुण हैं और चिकनगुनिया के इलाज के लिए दवा बनाने में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की इस टीम ने इमली के विषाणुरोधी प्रोटीन वाले एंटीवायरल कंपोजिशन के पेटेंट के लिए अप्लाई किया है और अब वे इससे चिकनगुनिया के इलाज के लिए दवा तैयार कर रहे हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

रिसर्च में शामिल एक एसोसिएट प्रोफेसर शैली तोमर ने कहा कि भारत में इमली को कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह बहुत अच्छा आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ है.

इमली के फल, बीज, पत्तियों, जड़ों का इस्तेमाल पेट दर्द, डायरिया, पेचिश, कब्ज, चोट, सूजन और कई तरह के इंफेक्शन के इलाज में किया जाता है.
शैली तोमर, एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की

प्लांट सोर्सेज से पाया जाने वाला प्रोटीन का ग्रुप लैक्टिन ग्लाइकेन शुगर से जुड़ जाने के लिए जाना जाता है. एचआईवी और एचपीवी समेत कई वायरस पर एंटीवायरल के तौर पर इसके इस्तेमाल के लिए कई अध्ययन किए गए हैं.

रिसर्च टीम ने अपनी स्टडी में पाया कि इमली के बीज से निकाला गया लैक्टिन ग्लाइकेंस या वायरस के कैप्स्यूल पर ऐसे शुगर मॉलीक्यूल्स के साथ जुड़ जाता है जिसमें एन-एसिटाइलग्लूकोसेमाइन (NAG) होता है. इससे होस्ट सेल्स तक वायरस की एंट्री नहीं हो पाती.

IIT रुड़की के प्रोफेसरों ने इमली के बीजों में एंटीवायरल गुण वाले प्रोटीन पाए जाने का दावा किया है.
चिकनगुनिया के इलाज में यह काफी कारगर साबित हो सकता है
(फोटो: AP)
0

रिसर्चर्स ने इमली के बीज से लैक्टिन को अलग किया और इनके मॉलीक्यूल्स की वायरल कैप्स्यूल में पाए जाने वाले ग्लाइकेन से बाइंडिंग का अध्ययन किया. टीम का कहना है कि चिकनगुनिया के इलाज में यह काफी कारगर साबित हो सकता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×