समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वो उत्तर प्रदेश की कन्नौज (Kannauj) लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. पार्टी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. 25 अप्रैल को एसपी प्रमुख ने कन्नौज सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया.
बता दें कि दो दिन पहले ही पार्टी ने कन्नौज सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और RJD प्रमुख लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को टिकट दिया था, जो अखिलेश के भतीजे हैं. तेज प्रताप 24 अप्रैल को नॉमिनेशन फाइल करने वाले थे, जो आखिरी वक्त में टाल दिया गया था.
नामांकन करने से पहले अखिलेश यादव ने ट्वीट कर इतिहास रचने की बात कही. उन्होंने लिखा- "फिर इतिहास दोहराया जाएगा अब नया भविष्य बनाया जाएगा"
तेजप्रताप का टिकट क्यों कटा?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तेज प्रताप को कन्नौज सीट से उम्मीदवार बनाए जान के बाद विरोध शुरु हो गया था. समाजवादी पार्टी का स्थानीय इकाई इस फैसले से खुश नहीं था. कन्नौज से एसपी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी और अपनी नाराजगी जताई थी. प्रतिनिधिमंडल ने अखिलेश से यहां से चुनाव लड़ने की भी अपील की थी.
कन्नौज में एसपी का प्रदर्शन?
कन्नौज लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. 1998 से 2019 तक इस सीट पर एसपी का कब्जा रहा है. 1998 में एसपी के टिकट पर पहली बार प्रदीप यादव यहां से चुनाव जीते थे. इसके बाद 1999 में यहां से मुलायम सिंह यादव को जीत मिली थी. मुलायास सिंह के सीट छोड़ने के बाद साल 2000 में हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की. वो 2012 तक यहां से सांसद रहे.
यूपी के सीएम बनने के बाद अखिलेश के इस्तीफे से रिक्त हुई इस सीट से डिंपल निर्विरोध सांसद चुनी गईं. 2014 में मोदी लहर के बावजूद डिंपल कन्नौज का किला बचाने में सफल रही थीं, लेकिन 2019 में उन्हें बीजेपी के सुब्रत पाठक ने हरा दिया था. पाठक ने 12,353 वोटों से जीत हासिल की थी.
बता दें कि कन्नौज सीट से पहले सांसद डॉक्टर राममनोहर लोहिया थे. डॉक्टर लोहिया 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर कन्नौज सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे.
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