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लॉकडाउन पर महाराष्ट्र में संग्राम: उद्धव के लिए आगे कुआं-पीछे खाई 

कांग्रेस, एनसीपी ने दिए अन्य वैकल्पिक उपायों के सुझाव

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महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलो के बीच एक और डर लोगों को लगातार सता रहा है. वो ये है कि आखिर महाराष्ट्र में फिर से लॉकडाउन होने जा रहा है या नही? क्योंकि ICMR के अनुसार देश में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से 8 जिले महाराष्ट्र में हैं. इसीलिए आए दिन सीएम उद्धव ठाकरे राज्य में लॉकडाउन लागू करने की चेतावनी दे रहे हैं.

कोविड को लेकर लोगों में बढ़ती लापरवाही के चलते सीएम ने राज्य में लॉकडाउन का रोड मैप तैयार करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.

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लॉकडाउन के बजाय अन्य विकल्पों पर हो विचार

महाराष्ट्र में लॉकडाउन को लेकर अब ठाकरे सरकार में मतभेद सामने आने लगे हैं. एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मालिक ने लॉकडाउन पर असहमति जताते हुए सरकार को दूसरे विकल्पों पर गौर करने की नसीहत दी है.

वहीं कांग्रेस के नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि लॉकडाउन करना है तो पहले छोटे व्यापारी और गरीबों को होने वाले नुकसान की सरकार भरपाई करे. चव्हाण ने मांग की है कि सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों के बैंक खातों में सीधे पैसे जमा किया जाए. इसके लिए जरूरत पड़ने पर विधायक और सांसदों के MPLAD फंड के पैसे इस्तमाल करने का सुझाव भी दिया है.

व्यापारियों की चेतावनी- बर्बाद हो जाएंगे उद्योग-धंधे

इसके अलावा बड़े उद्योगपतियों से लेकर मजदूरों तक सभी लॉकडाउन का विरोध करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में सरकार अब लॉकडाउन के फैसले पर फिर से विचार करने पर मजबूर होती दिख रही है. सीएम कार्यालय सभी व्यापारी संगठनों से लॉकडाउन के बजाय कौन से विकल्पों को अख्तियार किया जा सकता है इस पर उनकी राय मांग रहा है. जिसके आधार पर डिजास्टर मैनेजमेंट, पुनर्वास और कामगार मंत्रालय में समन्वय स्थापित कर कड़े नई SOP's बनाई जा सके.

क्विंट हिंदी ने ऐसे ही कुछ संगठनों से बात कर उनकी परेशानियां समझने की कोशिश की है. राज्य के सभी होटल्स इस्टैब्लिशमेंट की शिखर संगठन आहार के पूर्व अध्यक्ष और सलाहकार आदर्श शेट्टी बताते हैं कि पिछले एक साल में हुए करोड़ों के नुकसान से जूझ रहे होटल व्यवसायी एक और लॉकडाउन बर्दाश्त नही कर सकते.

उन्होंने कहा कि, “पूरे राज्य में लगभग ढाई लाख होटल्स हमारे रजिस्टर में हैं. लॉकडाउन के चलते एक होटल महीने में साढ़े 7 से 8 लाख और साल में करीब एक करोड़ का नुकसान झेल चुका है. इसके अलावा जगह का भाड़ा, बिजली बिल और कर्मचारियों की सैलरी भी देनी पड़ती है और सबसे अहम बात ये है कि होटल बंद होने से मजदूरों को रोकना बड़ा मुश्किल हो जाता है. इसीलिए फिर से लॉकडाउन करना हमारी इंडस्ट्री के लिए जानलेवा साबित हो सकता है."

अब लॉकडाउन सहने की ताकत नहीं बची

फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वीरेन शाह का साफ कहना है कि, "लॉक डाउन से कोरोना खत्म नहीं होगा लेकिन व्यापारी खत्म हो जाएंगे. पिछले साल व्यापारियों को बड़ा नुकसान हुआ है. कई लोग कर्ज में डूब गए हैं. अभी धीरे-धीरे गाड़ी पटरी पर आ रही थी कि वापस लॉकडाउन सहने की ताकत अब व्यापरियों में नहीं बची है."

बात करें अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तो महाराष्ट्र में तकरीबन 15 लाख रिक्शा चालक और मुंबई में 30 हजार टैक्सी चालक हैं. महाराष्ट्र रिक्शा-टैक्सी-मॉक-चालक कृति समिति के अध्यक्ष शशांक राव ने बताया कि “लॉकडाउन के दौरान ट्रांसपोर्ट पर इतना बुरा असर पड़ा है कि लगभग 25% रिक्शा बैंक के किश्त ना चुकाने की वजह से जब्त कर लिए गए हैं.”

साथ ही उन्होंने कहा कि, “लॉकडाउन में लोग बाहर नहीं निकलते तो हमारी आमदनी नहीं होती. सिर्फ मुंबई में 2 लाख तक रिक्शा चलती है जो दिन का तकरीबन 500 से 1000 रुपया कमाकर देती है. यानी दिन का लगभग 20 करोड़ का नुकसान सिर्फ मुंबई में हो रहा है. साथ ही सरकार से हमारी मांग है कि लॉकडाउन का भुगतान कम से कम महीना 10 हजार चालकों को दिया जाए ताकि वो अपना परिवार संभाल सके. लेकिन सरकार से हमे कोई मदद नही मिल रही."

ऐसी स्थिति में अब उद्धव ठाकरे सरकार लॉकडाउन के बारे में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. हालांकि लोगों की लापरवाही कोरोना विस्फोट का कारण जरूर है लेकिन लॉकडाउन करना उसका इलाज नहीं हो सकता ये बात सरकार को माननी पड़ेगी. नहीं तो आने वाले दिनों में सरकार को लोगों का आक्रोश झेलना पड़ सकता है.

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