दावा
सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड किए जा रहे एक मैसेज में ब्लड, ब्रेन, ब्रेस्ट, कोलन, लिवर, फेफड़े, प्रोस्टेट, ओवेरियन कैंसर की दवा मिलने का दावा किया गया है. इसमें लिखा है कि ‘कर्क्यूमिनॉइड्स’ नाम की दवा हर तरह के कैंसर को ठीक कर सकती है.
मैसेज के आखिर में बैंगलोर के एक क्लिनिक का नाम, पता और नंबर लिखा है.
मैसेज सही है या गलत?
कई बार मैसेज को जिस ऑर्गनाइजेशन का या क्लिनिक का नाम लेकर फॉरवर्ड किया जा रहा होता है, उन्हें इस बात की खबर तक नहीं होती है.
इसलिए फिट ने मैसेज में लिखे नंबर पर संपर्क किया, तो उस क्लिनिक ने इस बात को स्वीकार किया कि ये मैसेज उनकी तरफ से ही भेजा गया था. उन्होंने इसे बस अंग्रेजी भाषा में भेजा था, लोगों ने इसे कई और भाषाओं में अनुवाद करके आगे फॉरवर्ड किया है.
कर्क्यूमिनॉइड्स है क्या?
कर्क्यूमिनॉइड्स हल्दी में पाए जाने वाला एक यौगिक एक है. कर्क्यूमिनॉइड्स को एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सिडेंट, इंफ्लेमेशन को खत्म करने वाला पारंपरिक हर्बल मेडिसिन के लिए जाना जाता है.
‘कर्क्यूमिनॉइड्स’ से इलाज पर क्या कहते हैं कैंसर विशेषज्ञ
फिट ने मैक्स हॉस्पिटल की सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ मीनू वालिया से बात की, उनका कहना था:
सोशल मीडिया पर लोग बिना जाने मैसेज शेयर करते रहते हैं. वैसे अगर देखा जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि हल्दी बहुत फायदेमंद होती है. हल्दी को जादूई मसाले के रूप में जाना जाता रहा है. हल्दी का जो सबसे सक्रिय यौगिक होता है, वो होता है करक्यूमिन या कर्क्यूमिनॉइड्स जो कि एंटीऑक्सिडेंट, एंटीसेप्टिक, एंटी इंफ्लेमेटरी कहा जाता है. अगर आप याद करें तो दादी-दादा के वक्त में जख्म भरने के लिए दूध में हल्दी डाल कर पीने की सलाह दी जाती थी.
हालांकि ये कह देना कि इसका सेवन करने से हर तरह का कैंसर ठीक हो जाएगा ये सही नहीं है. इससे ये हो जाएगा कि लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का ढंग से इलाज नहीं कराएंगे और ये सोचेंगे कि सिर्फ हल्दी खाने से ही कैंसर ठीक हो जाएगा. जब तक कि हमारे पास पूरा प्रमाण ना हो और इस पर कोई रिसर्च ना हुई हो, तब तक इसका कैंसर की मुख्य दवा की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.डॉ मीनू वालिया, सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट
कुछ चीजें ऐसी हैं जो फायदेमंद है, उसमें आंवला, हल्दी वगैरह है जिसके फायदे हैं, हम भी अपने मरीज से कहते हैं कि वो डाइट में इन चीजों को शामिल करें. लेकिन ये सोचना कि सिर्फ इससे ही कैंसर का इलाज हो जाएगा. ये कहना गलत होगा.
अपोलो हॉस्पिटल की सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की डॉ रमेश सारिन कहती हैं:
हल्दी एंटीसेप्टिक के रूप में जानी जाती रही है, जो पुराने समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है. अगर इसके सेवन से इत्तेफाक से 100 में से 5 को फायदा हो जाता है, तो भी हम इसे दवा के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. हम 100 में से 95 मरीज को फायदा देने वाली दवाओं पर यकीन कर सकते हैं.
अभी तक ऐसी कोई स्टडी नहीं आई है, जो ये साबित करती हो कि सिर्फ हल्दी से कैंसर का इलाज मुमकिन है. हल्दी बेशक एंटीसेप्टिक है, लेकिन कैंसर के इलाज के लिए काफी नहीं है.डॉ रमेश सारिन
डॉ सारिन कहती हैं कि हल्दी को कॉम्पलिमेंट्री इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन हल्दी को कैंसर के इलाज का विकल्प नहीं माना जा सकता है.
हल्दी में हीलिंग और इम्यूनिटी बढ़ाने के फायदे हैं, जो कीमो ले रहे कैंसर के मरीज के लिए मददगार होते हैं. कैंसर की दवाओं के साथ इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि कैंसर की दवाओं के तौर पर सिर्फ इसका इस्तेमाल किया जाए.
डॉ सारिन कहती हैं कि इस तरह सोशल मीडिया पर भेजे जा रहे संदेश को सही मान लेना सेहत के लिए जोखिम भरा हो सकता है.
निष्कर्ष
एक्सपर्ट के मुताबिक हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन या कर्क्यूमिनॉइड्स सेहत के लिए फायदेमंद है, इसलिए हमारी डाइट में हल्दी को शामिल किया जाना चाहिए. इंटीग्रेटिव मेडिसिन- होलिस्टिक लाइफस्टाइल कोच ल्यूक कॉटिन्हो भी अपने इस लेख में कीमोथेरेपी करा रहे कैंसर रोगियों की डाइट में हल्दी शामिल करने की सलाह देते हैं, लेकिन इसे कैंसर की दवा नहीं कहते हैं.
एक्सपर्ट स्पष्ट करते हैं कि ये कैंसर ठीक नहीं कर सकता है, इससे कैंसर का इलाज नहीं होता है, इसलिए हम कर्क्यूमिनॉइड्स को कैंसर की दवा नहीं कह सकते.
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