Pregnancy And Hepatitis: हेपेटाइटिस लिवर से संबंधित एक बीमारी है और यह हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई नाम के वायरस के कारण होता है. गर्भवती मां अगर हेपेटाइटिस की समस्या से पीड़ित है, तो बच्चे को भी इसके होने का खतरा रहता है. वहीं कुछ अपवाद छोड़ दिए जाएं तो, गर्भवती महिला या उसके होने वाले बच्चे को हेपेटाइटिस इन्फेक्शन की आशंका कम होती है लेकिन फिर भी हेपेटाइटिस की समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
यहां जानते हैं हेपेटाइटिस बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?
हेपेटाइटिस बी बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?
हेपेटाइटिस B लिवर इन्फेक्शन की एक गंभीर समस्या है, क्योंकि ज्यादातर लोगों में समस्या होने तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. इसलिए इस स्थिति को "मूक महामारी" के नाम से जाना जाता है.
एक संक्रमित व्यक्ति अपने संपर्क में आनेवाले सभी लोगों को अपने चपेट में ले सकता है.
गर्भावस्था के दौरान हेपेटाइटिस B गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इन्फेक्शन फैलने की आशंका मां से बच्चे में अधिक होती है. खास कर प्रसव के दौरान बच्चे में हेपेटाइटिस B फैलने की आशंका अधिक होती है.
स्टडीज से यह पता चला है कि हेपेटाइटिस बी से पीड़ित 10 में से 9 महिलाएं अपने बच्चों को यह इन्फेक्शन फैला सकती हैं.
हेपेटाइटिस B वायरल इन्फेक्शन से शिशुओं में लंबी और गंभीर समस्याएं पैदा होने की 90% आशंका होती है. अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो लिवर संबंधी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.
हेपेटाइटिस बी का टेस्ट
हर गर्भवती महिला को प्रसव से पहले हेपेटाइटिस बी ब्लड टेस्ट करवा लेना चाहिए. हेपेटाइटिस बी डायग्नोज होने पर, डॉक्टर मां से बच्चे में होने वाले इन्फेक्शन को रोकने के लिए हेपेटाइटिस के इंजेक्शन शुरू करते हैं.
हेपेटाइटिस B का वायरस बेहद संक्रामक होता है, इसलिए यह संक्रमित व्यक्ति के स्पर्म, ब्लड या शरीर के दूसरे तरल पदार्थों के संपर्क से दूसरों लोगों में फैल सकता है.
इसलिए, पिता और परिवार के दूसरे सदस्यों का भी हेपेटाइटिस B के लिए टेस्ट और वैक्सिनेशन कर लेना जरूरी है.
नवजात शिशु को हेपेटाइटिस B की समस्या से कैसे बचाएं?
जन्म के 12 घंटों के भीतर, आपके बच्चे को हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की पहली खुराक और HBIG (हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोब्युलिन) का एक शॉट लग जाना चाहिए. HBIG शॉट जन्म के तुरंत बाद आपके बच्चे की वायरस से लड़ने की क्षमता को बढ़ा देता है.
जिन शिशुओं की माताएं प्रेगनेंसी के दौरान हेपेटाइटिस बी इन्फेक्शन से प्रभावित हो चुकी हैं, उनके शिशुओंको यह टीका मिलना जरूरी चाहिए. जब वैक्सीन और एचबीआईजी खुराक को मिला दिया जाता है, तो नवजात शिशु में वायरस के ट्रांसमिट होने की आशंका कम होती है.
संक्रमण को रोकने के लिए, आपके बच्चे को हेपेटाइटिस बी के सभी टीके अवश्य मिलने चाहिए. आपके बच्चे के वजन और टीके के प्रकार के आधार पर, कुछ महीनों के अंतराल पर तीन से चार खुराकें दी जाती हैं.
आपके बच्चे को पहला टीका जन्म के समय, दूसरा टीका एक या दो महीने में और आखिरी टीका छह महीने में लगेगा. अपने डॉक्टर से पता लगाएं कि शिशु को शॉट्स के लिए अब कब वापस लाना चाहिए.
शिशु को सभी टीके लग जाने के बाद, उसे जांच के लिए बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं. ब्लड टेस्ट से पता चलेगा कि आपका बच्चा हेपेटाइटिस बी से सुरक्षित है या नहीं.
आम तौर पर, टीका पूरा होने के दो महीने बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है. यह ध्यान रखें, ब्लड टेस्ट करते वक्त शिशु नौ महीने का होना चाहिए.
टीकाकरण के बाद स्तनपान
आपके बच्चे को जन्म के 12 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी वैक्सीन या एचबीआईजी का पहला शॉट मिला है, तो स्तनपान पर कोई रोक नहीं है. स्तनपान से आपका बच्चा वायरस के संपर्क में नहीं आता है. लेकिन आपके स्तनों में खुले घाव हैं या निपल्स पर क्रेक आए हुए हैं, तो अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आपको स्तनपान कराना चाहिए या नही.
खुद का रखें ख्याल
आपको अपने लिवर की करंट स्थिति का निरीक्षण करना और इलाज की आवश्यकता निर्धारित करने के लिए आगे के टेस्ट्स की आवश्यकता हो सकती है. एंटीवायरल दवाएं हेपेटाइटिस बी के इलाज में मदद कर सकती हैं. गर्भावस्था के दौरान कोई भी दवा और विटामिन सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह कर लें, क्योंकि कुछ दवाएं भ्रूण को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं.
हेपेटाइटिस C शिशु को कैसे प्रभावित करता है?
कोई भी व्यक्ति संक्रमित ब्लड, सुइयों या दूषित भोजन खाने से इस वायरस से संक्रमित हो सकता है.
हेपेटाइटिस सी से पीड़ित लगभग 20 में से 1 मां के नवजात शिशुओं में यह वायरस पहुंच सकता है. यह गर्भाशय में, प्रसव के दौरान या जन्म के बाद हो सकता है.
यह बीमारी आमतौर पर प्रसव से पहले बच्चे को प्रभावित नहीं करती है. हेपेटाइटिस सी स्तन के दूध के माध्यम से शिशुओं में नहीं फैलता है, लेकिन अगर आपके निपल्स फट गए हैं या खून बह रहा है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि इन्फेक्शन ब्लड के जरिए फैलता है.
हेपेटाइटिस सी टेस्ट और इलाज
डॉक्टर सलाह देते हैं कि बच्चों को 18 महीने की उम्र के बाद हेपेटाइटिस टेस्ट कराया जाना चाहिए क्योंकि नवजात शिशु अपनी मां से हेपेटाइटिस वायरस के संपर्क में आ सकता है.
क्या करना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान, डॉक्टर नियमित रूप से हेपेटाइटिस की जांच नहीं करते हैं. लेकिन अगर आपको कोई संदेह है, तो उसे डॉक्टर से बात करें.
हेपेटाइटिस का कोई लक्षण नहीं होता है, इसलिए चाहे आप खुद को कितना भी फिट समझें, जांच करवाएं. हेपेटाइटिस पांच में से चार लोगों को प्रभावित करता है, फिर भी चार में कोई लक्षण नहीं होते हैं.
गर्भावस्था के दौरान हेपेटाइटिस से निपटने का सबसे आसान तरीका इसे पूरी तरह से रोकना है. हालांकि सभी प्रकार के हेपेटाइटिस को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन हेपेटाइटिस A और B के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके उपलब्ध हैं. हेपेटाइटिस C के लिए एक प्रभावी इलाज भी है, जो गर्भावस्था की योजना बनाने से पहले मां और बच्चे दोनों को इस इन्फेक्शन से बचा सकता है.
कुछ मामलों में, उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं और उचित निगरानी और सावधानियों के साथ, आप इन्फेक्शन को रोक सकते हैं.
(यह लेख डॉ हृषिकेश पाई, कन्सल्टंट गायनकॉलिजस्ट एंड इन्फ़र्टिलिटी स्पेशलिस्ट, लीलावती हॉस्पिटल-मुंबई, डी वाई पाटिल हॉस्पिटल-नवी मुंबई, फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली-गुरुग्राम ने फिट हिंदी के लिए लिखा है.)
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