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World Hepatitis Day: क्या अल्कोहलिक हेपेटाइटिस जानलेवा है? एक्सपर्ट्स से जानें

World Hepatitis Day 2023: अल्‍कोहल की कोई मात्रा सुरक्षित नहीं है और हमें खुद को इससे दूर रखना चाहिए.

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World Hepatitis Day 2023: अल्कोहलिक हेपेटाइटिस से ग्रस्त लगभग 1.2 करोड़ लोग हमारे देश में मौजूद हैं. यह समस्या लंबे समय तक बहुत अधिक शराब पीने के कारण होने वाली लिवर में सूजन की स्थिति है. लगातार शराब पीना और बहुत अधिक शराब पीना दोनों ही इस स्थिति को बढ़ा सकते हैं.

भारत में अल्कोहलिक हेपेटाइटिस (Alcoholic Hepatitis) पर क्या कहता है डेटा? अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के शिकार कौन हो सकते हैं? क्या शराब नहीं पीने वालों में भी बढ़ रही है लिवर कि बीमारी? किन लोगों को शराब बिलकुल नहीं पीनी चाहिए? क्या अल्कोहलिक हेपेटाइटिस गंभीर रूप ले सकता है? अल्कोहलिक हेपेटाइटिस से बचने के लिए क्या करें? फिट हिंदी ने इन सवालों के जवाब जानें एक्सपर्ट्स से.

World Hepatitis Day: क्या अल्कोहलिक हेपेटाइटिस जानलेवा है? एक्सपर्ट्स से जानें

  1. 1. भारत में अल्कोहलिक हेपेटाइटिस पर क्या कहता है डेटा?

    हमारे एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में शराब से जुड़े हेपेटाइटिस की समस्या बहुत आम है. ‘अल्कोहलिक हेपेटाइटिस’ कहलाने वाली इस बीमारी में शराब पीने से लिवर में सूजन, इन्फेक्शन-क्षति, सिरोसिस और कैंसर हो सकता है.

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-5) के अनुसार, भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के 1.2% लोगों को अल्कोहलिक हेपेटाइटिस है. इसका अनुमान है कि भारत में लगभग 1.2 करोड़ लोग शराब से जुड़े हेपेटाइटिस से प्रभावित हैं. 

    डेटा के मुताबिक,

    • 2019 में, 14.6% पुरुषों और 0.6% महिलाओं को हेपेटाइटिस हुआ था, जो कि 2015 में पुरुषों में 1% और महिलाओं में 0.7% हो गया. 

    • 2020 में, 2.8% पुरुषों और 0.2%  महिलाओं को लिवर कैंसर हुआ, जो कि 2012 में 2.4% पुरुषों और 0.3% महिलाओं में था.

    "हेपेटाइटिस बी भारत में महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, खास कर के मध्यवर्ती क्षेत्रों में. यह समस्या जनजातीय क्षेत्रों में भी अधिक देखी जाती है, जहां अशिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसे कारक इसे बढ़ावा देते हैं."
    डॉ. के मदन गोपाल, सलाहकार- जन स्वास्थ्य प्रशासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC), MoHFW, भारत सरकार

    भारत में, शराब की वजह से होने वाले लिवर रोग ही लिवर सिरोसिस में 15 से 25% का कारण बनता है. एक अनुमान के मुताबिक, शराब पीने के कारण हर साल करीब 2.6 लाख भारतीयों की मौत हो जाती है, जिसका कारण लिवर खराब होना, कैंसर या सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इसलिए यह कहा जा सकता है कि शराब के कारण लिवर का नुकसान काफी आम है और भारतीय समाज की यह एक बड़ी समस्या भी है.

    "हमारे देश में शराब से हुए लिवर रोगों के शिकार अधिकांश मरीज ऐसे होते हैं, जो शराब के सेवन की कानूनी रूप से मान्य उम्र से पहले ही शराब पीना शुरू कर चुके होते हैं, जिसके कारण पश्चिम के मुकाबले हमारे यहां लिवर रोग कम उम्र में लोगों को शिकार बनाते हैं."
    डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज़, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

    एक्सपर्ट्स के अनुसार, अल्कोहल यानी शराब से पूरी तरह से परहेज ही देश को अल्कोहल से जुड़ी तमाम समस्याओं से बचा सकता है.

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  2. 2. अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के शिकार कौन हो सकते हैं?

    भारत में शराब का सेवन वर्तमान में सीएलडी (क्रोनिक लिवर रोग) का सबसे आम कारण है. शराब की खपत में बढ़ोतरी के कारण, यह आंकड़ा पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रहा है, लेकिन हेपेटाइटिस बी के इन्फेक्शन में कोई वास्तविक बदलाव नहीं हुआ है. टीकाकरण अभियान का प्रभाव भी अभी तक इसके प्रसार पर प्रभावी नहीं हो पाया है.

    अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के मामूली चरणों में, रोगियों में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं या धीमी गति से प्रगति होती है. लेकिन यह लीवर में सूजन का कारण बनता है और बढ़ते समय सिरोसिस और हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (लिवर कैंसर) जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है.

    ‘अल्कोहलिक हेपेटाइटिस’ उस स्थिति को कहा जाता है, जब मरीज बहुत अधिक शराब पीता हो, जिसके कारण वह जॉन्डिस का शिकार बन गया है और जिसकी वजह से सिरोसिस हो सकता है.

    जहां तक शराब पीने की मात्रा का सवाल है, यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्‍टडी ऑफ द लिवर‘ में यह सलाह दी गई है कि यदि शराब पीना ही हो, तो इसकी मात्रा हर दिन दो डिंग्‍स से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस सीमित मात्रा में शराब का सेवन लिवर सिरोसिस के लिहाज से जोखिमकारक नहीं माना जाता.

    लेकिन कुछ स्टडीज में यह कहा गया है कि हर दिन 12 ग्राम (यानी अल्‍कोहल की एक स्‍टैंडर्ड ड्रिंक से अधिक) से अधिक शराब का सेवन करने वाले लोगों में अल्‍कोहल जनित लिवर रोगों और जटिलताओं की आशंका बढ़ जाती है.

    "यह याद रखना चाहिए कि अल्‍कोहल की कोई मात्रा सुरक्षित नहीं है और हमें खुद को इसके सेवन से दूर रखना चाहिए. यदि पीना हो तो अल्‍कोहल का सीमित मात्रा में सेवन करें और लगातार पीते रहने (बिंज ड्रिंकिंग) और नियमित अल्‍कोहल के सेवन से बचने की कोशिश करें."
    डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज़, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

    अल्कोहलिक हेपेटाइटिस की आशंका उन लोगों में अधिक होती है, जो:

    • लंबे समय तक अत्यधिक मात्रा में शराब पीते हैं

    • हेपेटाइटिस B या C के संक्रमित हैं

    • मोटापा, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल या हार्ट रोग से पीड़ित हैं

    • कम पोषक तत्व वाला भोजन खाते हैं

    • कुछ दवाइयां जैसे, पेनकिलर, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-कोन्वल्सन्ट, एंटी-डिप्रेसन्ट का सेवन करते हैं, जो लिवर को प्रभावित कर सकती हैं

    "WHO के मुताबिक, 21 से 40 साल की उम्र के पुरुषों में, 60 से 80 ग्राम प्रतिदिन की मात्रा में 5-10 सालों में लिवर सिरोसिस, 10-20 सालों में लिवर कैंसर, 20-30 सालों में लिवर फ़ेल्योर (liver failure) होने की आशंका होती है. महिलाओं में, 20 ग्राम प्रतिदिन की मात्रा में 5-10 सालों में लिवर सिरोसिस, 10-20 सालों में लिवर कैंसर , 20-30 सालों में लिवर फ़ेल्योर होने की आशंका होती है."
    डॉ. के मदन गोपाल, सलाहकार- जन स्वास्थ्य प्रशासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC), MoHFW, भारत सरकार
    Expand
  3. 3. क्या अल्कोहलिक हेपेटाइटिस गंभीर रूप ले सकता है?

    "अल्कोहलिक हेपेटाइटिस एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जो किसी-किसी मामले में घातक भी हो सकती है, खासतौर से उस स्थिति में जबकि शराब पीना लगातार जारी रहता है."
    डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

    लिवर हमारे शरीर का वह अंग है, जो शराब को मेटाबोलाइज करता है. लेकिन अगर आप बहुत अधिक शराब पीते हैं, जो लिवर की प्रोसेस करने की क्षमता से ज्‍यादा होता है, तो ऐसे में आपके लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता रहता है.

    "शराब अधिक पीने की वजह से अगर जॉन्डिस की समस्या पैदा हो गई हो, तो डॉक्टर से जरुर मिलें क्योंकि यह अल्‍कोहलिक हेपेटाइटिस में बदल सकता है, जो आगे चलकर जीवन के लिए खतरनाक साबित भी हो सकता है."
    डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली
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  4. 4. क्या शराब नहीं पीने वालों में भी बढ़ रही है लिवर कि बीमारी?

    "हां, शराब नहीं पीने वालों में मोटापे के कारण लिवर की बीमारी बढ़ रही है, जिससे फैटी लिवर होता है, जो क्रोनिक लिवर रोग का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है. यदि कोई व्यक्ति कम से कम 8-10 वर्षों तक हर दिन 60-80 ग्राम से अधिक शराब का सेवन करता है, तो शराब से होने वाली लिवर की बीमारी बढ़ जाती है."
    डॉ. राजेश पुरी, सीनियर डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव एंड हेपेटोबिलरी साइंसेज, मेदांता, गुरूग्राम

    डॉ. अभिनव कुमार फिट हिंदी से कहते हैं कि अनुमानों के मुताबिक, हमारे देश में लिवर सिरोसिस के 75% मामले शराब की बजाय दूसरे कारणों से होते हैं. इनमें क्रोनिक हेपेटाइटिस पैदा करने वाला वायरस और नॉन अल्‍कोहलिक फैटी लिवर रोग आज दुनियाभर में क्रोनिक लिवर रोगों के लिए प्रमुख रूप से जिम्‍मेदार हैं. इनके अलावा, कई बार दवाओं (आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों) के टॉक्सिक प्रभाव भी लिवर रोगों का कारण बन सकते हैं.

    नॉन-अल्‍कोहलिक फैटी लिवर मौजूदा समय में लास्ट स्‍टेज लिवर रोगों का सबसे आम कारण बन रहा है.

    साथ ही, कुछ रोग जैसे ऑटोइम्‍यून लिवर रोग और कुछ जेनेटिक कंडिशंस भी लिवर रोगों के लिए जिम्‍मेदार होती है. यदि इन मेडिकल कंडीशंस से जूझने वाले मरीज शराब का सेवन भी करते हैं, तो उनमें लिवर रोगों की आशंका बढ़ जाती है और रोग भी तेजी से गंभीर होने लगते हैं.

    नॉन अल्‍कोहलिक फैटी लिवर रोग और उससे पैदा होने वाले प्रभावों से बचने के लिए हमें संतुलित खुराक और रेगुलर एक्सरसाइज करना चाहिए. साथ ही, हेल्दी लाइफस्‍टाइल का पालन कर हम लिवर को सुरक्षित रख सकते हैं.

    Expand
  5. 5. अल्कोहलिक हेपेटाइटिस से बचने के लिए क्या करें?

    शराब से जुड़े हेपेटाइटिस से बचने के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं:

    • शराब का सेवन कम करें या बंद करें

    • स्वस्थ आहार खाएं

    • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें

    • वजन को कंट्रोल में रखें

    • डॉक्टर की सलाह पर लिवर डीटॉक्स के तरीके अपनाएं

    • रेगुलर चेकअप कराते रहें

    Expand
  6. 6. किन लोगों को शराब बिलकुल नहीं पीनी चाहिए?

    WHO द्वारा हाल में जारी एक बयान के मुताबिक, शराब की ऐसी कोई सुरक्षित लिमिट नहीं होती जिसके बारे में कहा जा सकता है कि उससे हेल्थ पर बुरा असर नहीं पड़ेगा. शराब को संभावित कार्सिनोजेन यानी कैंसरकारी पदार्थ के तौर पर बताया गया और यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है कि शराब के मामले में कोई सेफ लिमिट नहीं बतायी जा सकती.

    लेकिन इन लोगों को शराब बिलकुल नहीं पीनी चाहिए:

    • गर्भवती महिलाओं

    • 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे

    • गंभीर रूप से बीमार और दवाओं का सेवन करने वाले मरीज

    • शराब की खतरनाक लत के शिकार लोगों

    • जो लोग शराब पीते समय उसकी मात्रा पर कंट्रोल नहीं कर सकते

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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भारत में अल्कोहलिक हेपेटाइटिस पर क्या कहता है डेटा?

हमारे एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में शराब से जुड़े हेपेटाइटिस की समस्या बहुत आम है. ‘अल्कोहलिक हेपेटाइटिस’ कहलाने वाली इस बीमारी में शराब पीने से लिवर में सूजन, इन्फेक्शन-क्षति, सिरोसिस और कैंसर हो सकता है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-5) के अनुसार, भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के 1.2% लोगों को अल्कोहलिक हेपेटाइटिस है. इसका अनुमान है कि भारत में लगभग 1.2 करोड़ लोग शराब से जुड़े हेपेटाइटिस से प्रभावित हैं. 

डेटा के मुताबिक,

  • 2019 में, 14.6% पुरुषों और 0.6% महिलाओं को हेपेटाइटिस हुआ था, जो कि 2015 में पुरुषों में 1% और महिलाओं में 0.7% हो गया. 

  • 2020 में, 2.8% पुरुषों और 0.2%  महिलाओं को लिवर कैंसर हुआ, जो कि 2012 में 2.4% पुरुषों और 0.3% महिलाओं में था.

"हेपेटाइटिस बी भारत में महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, खास कर के मध्यवर्ती क्षेत्रों में. यह समस्या जनजातीय क्षेत्रों में भी अधिक देखी जाती है, जहां अशिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसे कारक इसे बढ़ावा देते हैं."
डॉ. के मदन गोपाल, सलाहकार- जन स्वास्थ्य प्रशासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC), MoHFW, भारत सरकार

भारत में, शराब की वजह से होने वाले लिवर रोग ही लिवर सिरोसिस में 15 से 25% का कारण बनता है. एक अनुमान के मुताबिक, शराब पीने के कारण हर साल करीब 2.6 लाख भारतीयों की मौत हो जाती है, जिसका कारण लिवर खराब होना, कैंसर या सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इसलिए यह कहा जा सकता है कि शराब के कारण लिवर का नुकसान काफी आम है और भारतीय समाज की यह एक बड़ी समस्या भी है.

"हमारे देश में शराब से हुए लिवर रोगों के शिकार अधिकांश मरीज ऐसे होते हैं, जो शराब के सेवन की कानूनी रूप से मान्य उम्र से पहले ही शराब पीना शुरू कर चुके होते हैं, जिसके कारण पश्चिम के मुकाबले हमारे यहां लिवर रोग कम उम्र में लोगों को शिकार बनाते हैं."
डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज़, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

एक्सपर्ट्स के अनुसार, अल्कोहल यानी शराब से पूरी तरह से परहेज ही देश को अल्कोहल से जुड़ी तमाम समस्याओं से बचा सकता है.

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अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के शिकार कौन हो सकते हैं?

भारत में शराब का सेवन वर्तमान में सीएलडी (क्रोनिक लिवर रोग) का सबसे आम कारण है. शराब की खपत में बढ़ोतरी के कारण, यह आंकड़ा पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रहा है, लेकिन हेपेटाइटिस बी के इन्फेक्शन में कोई वास्तविक बदलाव नहीं हुआ है. टीकाकरण अभियान का प्रभाव भी अभी तक इसके प्रसार पर प्रभावी नहीं हो पाया है.

अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के मामूली चरणों में, रोगियों में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं या धीमी गति से प्रगति होती है. लेकिन यह लीवर में सूजन का कारण बनता है और बढ़ते समय सिरोसिस और हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (लिवर कैंसर) जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है.

‘अल्कोहलिक हेपेटाइटिस’ उस स्थिति को कहा जाता है, जब मरीज बहुत अधिक शराब पीता हो, जिसके कारण वह जॉन्डिस का शिकार बन गया है और जिसकी वजह से सिरोसिस हो सकता है.

जहां तक शराब पीने की मात्रा का सवाल है, यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्‍टडी ऑफ द लिवर‘ में यह सलाह दी गई है कि यदि शराब पीना ही हो, तो इसकी मात्रा हर दिन दो डिंग्‍स से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस सीमित मात्रा में शराब का सेवन लिवर सिरोसिस के लिहाज से जोखिमकारक नहीं माना जाता.

लेकिन कुछ स्टडीज में यह कहा गया है कि हर दिन 12 ग्राम (यानी अल्‍कोहल की एक स्‍टैंडर्ड ड्रिंक से अधिक) से अधिक शराब का सेवन करने वाले लोगों में अल्‍कोहल जनित लिवर रोगों और जटिलताओं की आशंका बढ़ जाती है.

"यह याद रखना चाहिए कि अल्‍कोहल की कोई मात्रा सुरक्षित नहीं है और हमें खुद को इसके सेवन से दूर रखना चाहिए. यदि पीना हो तो अल्‍कोहल का सीमित मात्रा में सेवन करें और लगातार पीते रहने (बिंज ड्रिंकिंग) और नियमित अल्‍कोहल के सेवन से बचने की कोशिश करें."
डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज़, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

अल्कोहलिक हेपेटाइटिस की आशंका उन लोगों में अधिक होती है, जो:

  • लंबे समय तक अत्यधिक मात्रा में शराब पीते हैं

  • हेपेटाइटिस B या C के संक्रमित हैं

  • मोटापा, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल या हार्ट रोग से पीड़ित हैं

  • कम पोषक तत्व वाला भोजन खाते हैं

  • कुछ दवाइयां जैसे, पेनकिलर, एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-कोन्वल्सन्ट, एंटी-डिप्रेसन्ट का सेवन करते हैं, जो लिवर को प्रभावित कर सकती हैं

"WHO के मुताबिक, 21 से 40 साल की उम्र के पुरुषों में, 60 से 80 ग्राम प्रतिदिन की मात्रा में 5-10 सालों में लिवर सिरोसिस, 10-20 सालों में लिवर कैंसर, 20-30 सालों में लिवर फ़ेल्योर (liver failure) होने की आशंका होती है. महिलाओं में, 20 ग्राम प्रतिदिन की मात्रा में 5-10 सालों में लिवर सिरोसिस, 10-20 सालों में लिवर कैंसर , 20-30 सालों में लिवर फ़ेल्योर होने की आशंका होती है."
डॉ. के मदन गोपाल, सलाहकार- जन स्वास्थ्य प्रशासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC), MoHFW, भारत सरकार

क्या अल्कोहलिक हेपेटाइटिस गंभीर रूप ले सकता है?

"अल्कोहलिक हेपेटाइटिस एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जो किसी-किसी मामले में घातक भी हो सकती है, खासतौर से उस स्थिति में जबकि शराब पीना लगातार जारी रहता है."
डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

लिवर हमारे शरीर का वह अंग है, जो शराब को मेटाबोलाइज करता है. लेकिन अगर आप बहुत अधिक शराब पीते हैं, जो लिवर की प्रोसेस करने की क्षमता से ज्‍यादा होता है, तो ऐसे में आपके लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता रहता है.

"शराब अधिक पीने की वजह से अगर जॉन्डिस की समस्या पैदा हो गई हो, तो डॉक्टर से जरुर मिलें क्योंकि यह अल्‍कोहलिक हेपेटाइटिस में बदल सकता है, जो आगे चलकर जीवन के लिए खतरनाक साबित भी हो सकता है."
डॉ. अभिनव कुमार, एसोसिएट कंसलटेंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोबिलियरी साइंसेज, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली
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क्या शराब नहीं पीने वालों में भी बढ़ रही है लिवर कि बीमारी?

"हां, शराब नहीं पीने वालों में मोटापे के कारण लिवर की बीमारी बढ़ रही है, जिससे फैटी लिवर होता है, जो क्रोनिक लिवर रोग का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है. यदि कोई व्यक्ति कम से कम 8-10 वर्षों तक हर दिन 60-80 ग्राम से अधिक शराब का सेवन करता है, तो शराब से होने वाली लिवर की बीमारी बढ़ जाती है."
डॉ. राजेश पुरी, सीनियर डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव एंड हेपेटोबिलरी साइंसेज, मेदांता, गुरूग्राम

डॉ. अभिनव कुमार फिट हिंदी से कहते हैं कि अनुमानों के मुताबिक, हमारे देश में लिवर सिरोसिस के 75% मामले शराब की बजाय दूसरे कारणों से होते हैं. इनमें क्रोनिक हेपेटाइटिस पैदा करने वाला वायरस और नॉन अल्‍कोहलिक फैटी लिवर रोग आज दुनियाभर में क्रोनिक लिवर रोगों के लिए प्रमुख रूप से जिम्‍मेदार हैं. इनके अलावा, कई बार दवाओं (आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों) के टॉक्सिक प्रभाव भी लिवर रोगों का कारण बन सकते हैं.

नॉन-अल्‍कोहलिक फैटी लिवर मौजूदा समय में लास्ट स्‍टेज लिवर रोगों का सबसे आम कारण बन रहा है.

साथ ही, कुछ रोग जैसे ऑटोइम्‍यून लिवर रोग और कुछ जेनेटिक कंडिशंस भी लिवर रोगों के लिए जिम्‍मेदार होती है. यदि इन मेडिकल कंडीशंस से जूझने वाले मरीज शराब का सेवन भी करते हैं, तो उनमें लिवर रोगों की आशंका बढ़ जाती है और रोग भी तेजी से गंभीर होने लगते हैं.

नॉन अल्‍कोहलिक फैटी लिवर रोग और उससे पैदा होने वाले प्रभावों से बचने के लिए हमें संतुलित खुराक और रेगुलर एक्सरसाइज करना चाहिए. साथ ही, हेल्दी लाइफस्‍टाइल का पालन कर हम लिवर को सुरक्षित रख सकते हैं.

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अल्कोहलिक हेपेटाइटिस से बचने के लिए क्या करें?

शराब से जुड़े हेपेटाइटिस से बचने के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं:

  • शराब का सेवन कम करें या बंद करें

  • स्वस्थ आहार खाएं

  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें

  • वजन को कंट्रोल में रखें

  • डॉक्टर की सलाह पर लिवर डीटॉक्स के तरीके अपनाएं

  • रेगुलर चेकअप कराते रहें

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किन लोगों को शराब बिलकुल नहीं पीनी चाहिए?

WHO द्वारा हाल में जारी एक बयान के मुताबिक, शराब की ऐसी कोई सुरक्षित लिमिट नहीं होती जिसके बारे में कहा जा सकता है कि उससे हेल्थ पर बुरा असर नहीं पड़ेगा. शराब को संभावित कार्सिनोजेन यानी कैंसरकारी पदार्थ के तौर पर बताया गया और यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है कि शराब के मामले में कोई सेफ लिमिट नहीं बतायी जा सकती.

लेकिन इन लोगों को शराब बिलकुल नहीं पीनी चाहिए:

  • गर्भवती महिलाओं

  • 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे

  • गंभीर रूप से बीमार और दवाओं का सेवन करने वाले मरीज

  • शराब की खतरनाक लत के शिकार लोगों

  • जो लोग शराब पीते समय उसकी मात्रा पर कंट्रोल नहीं कर सकते

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