बच्चों में मोटापा अब महामारी का रूप ले रहा है. एक स्टडी में बताया गया कि चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा बच्चे मोटापे का शिकार हैं. इसके मुताबिक देश में 1.44 करोड़ बच्चों का वजन ज्यादा है.
वर्ल्ड एंटी-ऑबेसिटी डे पर मैक्स सुपर स्पेशएलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग में पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी की कंसल्टेंट डॉ वैशाखी रुस्तगी बताती हैं, "रिसर्चर्स ने पाया है कि दुनिया भर में 2 अरब से ज्यादा बच्चे और बड़े ज्यादा वजन और मोटापे के कारण सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं."
मोटापा ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का वजन इतना ज्यादा हो जाता है कि इसका बुरा असर उसकी सेहत पर पड़ने लगता है. जब व्यक्ति जरूरत से ज्यादा कैलोरी का सेवन करता है तो ये एक्स्ट्रा कैलोरी फैट के रूप में शरीर में जमा होने लगती है.
मोटापा बढ़ने की वजह: लाइफस्टाइल, डाइट और स्क्रीन टाइम
जरूरत से ज्यादा खाना और गलत जीवनशैली ही नहीं बल्कि जीन और शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी वजन बढ़ने की बड़ी वजह माना जाता है.
डॉ रुस्तगी कहती हैं कि मोटापे से ग्रस्त परिवार जीन्स को दोष देते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि एक्टिव ना रहने और खराब डाइट भी इसकी वजह बनती है.
डॉ रुस्तगी ने बताया, "बच्चों में मोटापा बढ़ने की वजह पिछले वर्षों में उनके खाने की मात्रा का बढ़ना भी है. शारीरिक काम में कमी से भी मोटापा बढ़ता है. वजन अधिक होने से बच्चे खेलकूद से बचते हैं. वहीं नई-नई तकनीकों के आने से बच्चे बहुत अधिक समय स्क्रीन पर बिता रहे हैं."
आज स्क्रीन का मतलब सिर्फ टीवी नहीं बल्कि कंप्यूटर, आईपैड, वीडियो गेम्स और मोबाइल भी है. छोटे-बड़े बच्चे औसतन 5-6 से घंटे स्क्रीन पर बिजी रहते हैं जो इस संबंध में दिए गए सुझावों से लगभग 5 गुना ज्यादा है. स्क्रीन पर हर एक घंटा ज्यादा समय देने से बच्चों में मोटापा 2 फीसदी तक बढ़ने का खतरा होता है.डॉ वैशाखी रुस्तगी
दोहरी चुनौती: मोटापा और कुपोषण
एक स्टडी में देखा गया कि ज्यादा वजन और मोटापे की समस्या सिर्फ सामाजिक-आर्थिक रूप संपन्न वर्गों में ही नहीं बल्कि कम आय वर्गों में भी बढ़ रही है, जिनमें कुपोषण पहले से ही विकराल स्तर पर है.
इसकी वजह हाई कैलोरी वाली अनहेल्दी चीजों का सस्ते दाम में मिलना, पैकेज्ड फूड की मार्केटिंग और मीडिया एक्सपोजर है. इसके अलावा मार्केट में फल और सब्जी जैसे हेल्दी फूड आइटम जंक फूड के मुकाबले 8 से 10 गुना महंगे हैं.
मोटापा और ज्यादा वजन कई गंभीर समस्याओं को जन्म देता है जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, जोड़ों का दर्द, नींद की समस्या, प्रजनन क्षमता में कमी और कैंसर का खतरा. बच्चों में मोटापा बढ़ने के कारण कम उम्र में उन्हें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, लीवर में चर्बी जैसे होने लगे हैं.
बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए क्या करें?
बच्चों में मोटापा कम करने के लिए गर्भावस्था से किशोरावस्था तक उचित उपाय करने होंगे. जैसे जन्म के पहले 6 महीनों तक बच्चे को केवल मां का दूध पिलाना, बचपन में सही पोषण की सलाह देना, बच्चों के जीवन के शुरुआती वर्षों में अच्छी आदतें डालना, आहार और व्यायाम पर ध्यान देना. उन्हें मोटापे से बचाने में इनकी बुनियादी भूमिका होगी.
परिवार, स्कूल और स्वास्थ्य सेवा की नीतियां बनाने वाले लोग सभी को एकजुट होकर बच्चों में बढ़ते मोटापे को रोकना होगा.
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