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कैसे होती है COVID-19 के माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर मामलों की पहचान

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Health News
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दुनिया भर में कोरोनावायरस डिजीज-2019 (COVID-19) के जितने मामले सामने आए, उन्हें देखते हुए कई बार और बार-बार ये बताया जा रहा है कि इस बीमारी के करीब 80 प्रतिशत मामले Mild Symptoms के यानी हल्के लक्षण वाले देखे गए हैं, 15 प्रतिशत मामले Moderate Symptoms के यानी मध्यम लक्षण वाले और करीब 5 प्रतिशत मामले क्रिटिकल या सीवियर यानी काफी गंभीर रहे हैं.

लेकिन कोविड-19 के माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर लक्षण का मतलब क्या है और किस तरह इन तीनों कैटेगरी के पेशेंट का ख्याल रखने की जरूरत है, ये जानने के लिए हमने बात की फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर डॉ राजेश कुमार गुप्ता से.

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डॉ गुप्ता के मुताबिक COVID-19 को लेकर अगर हम इस बात को समझ जाएं तो बहुत सारी एंग्जाइटी कम हो जाएगी.

COVID-19 के माइल्ड मामले

पूरी दुनिया में देखा गया है, जिनको भी इन्फेक्शन हो रहा है यानी जिनका टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है. उसमें लगभग 80% मरीज माइल्ड (इसमें asymptomatic मामले भी शामिल कर सकते हैं) कैटेगरी में आ रहे हैं.

Asymptomatic मतलब जिनको पता ही नहीं है, जिन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन टेस्ट पॉजिटिव आ गया. वायरस से संक्रमित बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनको एक-दो दिन बुखार हुआ, थोड़ी खांसी हुई और ठीक हो गए, ये लोग माइल्ड कैटेगरी में आते हैं.

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COVID-19 के मॉडरेट मामले

डॉ राजेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि जो कट ऑफ है, जो माइल्ड से मॉडरेट में जाता है, वो है सांस में दिक्कत आना.

अगर किसी का टेस्ट पॉजिटिव आ जाता है, तो हमें कहां चिंता करने की जरूरत है, वो है सांस फूलना, अगर सांस फूलना शुरू हो जाए तो ये दिक्कत की बात है.

सांस भी जब फूलेगी, तो उसमें से कुछ लोग ऐसे होंगे जिनका शरीर ऑक्सीजन लेवल मेंटेन कर पाएगा. सांस फूल रही है, लेकिन अगर उनकी ऑक्सीजन सैचुरेशन 94% से ऊपर है, (ब्लड में ऑक्सीजन की सैचुरेशन कितनी है) तो उनको मॉडरेट कैटेगरी में रखा जाता है.

मॉडरेट केस में मरीज को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ सकती है और 1 हफ्ता या 10 दिन में वो ठीक हो जाता है. इस तरह के 15 प्रतिशत मामले देखे जा रहे हैं.

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COVID-19 के छह नए लक्षण

बुखार, खांसी और सांस में दिक्कत के अलावा अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने COVID-19 के लक्षण की लिस्ट में 6 नए लक्षण जोड़े हैं:

  • ठंड लगना

  • ठंड के साथ कंपकंपी

  • मांसपेशियों में दर्द

  • सिर दर्द

  • गला खराब

  • सूंघने या स्वाद का एहसास न होना

CDC के मुताबिक इस तरह की दिक्कत आने पर भी डॉक्टर से जरूर संपर्क किया जाना चाहिए.

वहीं करीब 56 हजार मामलों के आधार पर COVID-19 में सामने आने वाले लक्षणों की ये लिस्ट तैयार की गई थी.

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COVID-19 के सीवियर या क्रिटिकल केस

COVID-19 के प्रकोप में 5 प्रतिशत मामले ऐसे होते हैं, जिनमें सीवियर डिजीज की शिकायत देखी जाती है. इसमें वो मामले होते हैं, जिनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से कम होता है, रेस्पिरेटरी दिक्कतें ज्यादा होती हैं, ब्लड प्रेशर मेंटेन नहीं हो रहा होता और बाकी अंगों को भी नुकसान पहुंचने लगता है. ऐसे में मरीजों को ICU में भर्ती करने की जरूरत होती है.

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भारत में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए COVID केयर सेंटर

भारत में COVID केयर के लिए तीन तरह की स्ट्रक्चर सेटिंग की गई है, जो पॉजिटिव मामलों की गंभीरता के अनुसार ही है-

  1. कोविड केयर सेंटर- बहुत हल्के या माइल्ड मामलों के लिए

  2. डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर (DCHC)- मॉडरेट मामलों के लिए

  3. डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल (DCH)- सीवियर या क्रिटिकल मामलों के लिए

तीनों सेटिंग एक-दूसरे से कनेक्ट किए गए हैं.

एक मरीज कोविड केयर सेंटर आता है, जहां ये तय किया जाता है कि उसे COVID के कौन से स्ट्रक्चर सेटिंग में भेजे जाने की जरूरत है.

कोरोना वायरस से संक्रमित शख्स में अगर हल्के या माइल्ड लक्षण ही होते हैं, तो उसे वहीं कोविड केयर सेंटर में आइसोलेट किया जाता है.

डॉ गुप्ता बताते हैं कि भारत में COVID-19 के बहुत ज्यादा मामले नहीं आए हैं, इसीलिए हर पॉजिटिव केस को COVID के लिए तैयार की गई सेटिंग में आइसोलेट किया जा रहा है ताकि उसके जरिए इन्फेक्शन न फैल सके.

कोविड केयर सेंटर कोई हॉस्पिटल सेटिंग हो सकता है, होटल या लॉज हो सकता है या हॉस्टल हो सकता है क्योंकि ये एक तरह से क्वॉरन्टीन या आइसोलेशन फैसिलिटी है.

यहां एंबुलेंस समेत दूसरी मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था होती है ताकि जरूरत पड़ने पर मरीज को डेडिकेटेड COVID हेल्थ सेंटर (DCHC) या डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल ले जाया सके.

हालांकि अब ऐसे कोरोना पॉजिटिव पेशेंट जिनमें बहुत हल्के लक्षण हों, उनके लिए होम आइसोलेशन की गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है.

डेडिकेटेड COVID हेल्थ सेंटर (DCHC) मेडिकल, क्लीनिकल, मॉडरेट क्लीनिकल लक्षण वाले लोगों के लिए तैयार किया गया है, जहां ऑक्सीजन की फैसिलिटी होती है. ज्यादातर कोरोना मरीजों का इलाज यहीं करने की बात कही गई है.

अगर उनमें से कुछ लोग ठीक नहीं होते हैं और उन्हें गहन चिकित्सा की आवश्यकता होती है यानी ICU केयर की जरूरत है, तो उन्हें ऐसे डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल (DCH) ले जाया जाएगा, जहां ICU केयर उपलब्ध हो.

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