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Happiness Day: क्या आपकी खुशियों पर भारी पड़ रहा 'डिजिटल स्ट्रेस', कैसे बचें?

International Day of Happiness: कहीं आप भी 'डिजिटल स्ट्रेस' के शिकार तो नहीं, ऐसे रखें अपनी खुशियों का ख्याल.

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International Day of Happiness: आज की जिंदगी में खुशहाली के मायने बदल चुके हैं. अब खुशहाली का मतलब ज्यादातर युवा वर्ग के लिए अपना स्मार्ट फोन और उसमे पड़ा डेटा है. लेकिन क्या टेक्नोलॉजी ने हमें केवल सुविधा दी है बदले में हमसे कुछ नहीं लिया? स्मार्ट फोन के उपयोग से जुड़ी ज्यादातर रिपोर्ट यही बताती हैं कि ये हमें एक अनंत निराशा की ओर ले जाता है. टेक्नोलॉजी पर निर्भरता आपको 'डिजिटल स्ट्रेस' का शिकार बना सकती है.

इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे पर जानिए डिजिटल स्ट्रेस क्या है और कैसे इससे बचें?

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क्या है डिजिटल स्ट्रेस?

स्टडी के मुताबिक, सोशल मीडिया पर हमारी निर्भरता हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही है. ऑफिस से घर लौटने के बाद भी लगातार काम के सिलसिले में फोन, व्हाट्सऐप, ईमेल चेक करना, काम के बारे में सोचना- एक तरह की एंग्जाइटी (Anxiety) को जन्म देता है.

इसी तरह सोशल मीडिया पोस्ट पर लगातार लाइक्स देखना, दूसरों से खुद की तुलना करना, दूसरों की तस्वीरों को देखकर निराश हो जाना भी डिजिटल स्ट्रेस का एक लक्षण है.

डिजिटल स्ट्रेस के लक्षण 

  • बार बार अपना फोन चेक करना

  • बाहर की दुनिया से धीरे-धीरे दूरी बना लेना

  • एंग्जाइटी और पैनिक अटैक

  • गुस्सा

  • चिड़चिड़ापन

क्या कहती हैं स्टडी?

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के सर्वे बताते हैं कि डिजिटल स्ट्रेस बढ़ रहा है. जिन लोगों पर ये रिसर्च की गई थी उनमें से करीब आधे लोगों ने कभी न कभी डिजिटल स्ट्रेस का सामना किया है. इस सर्वे में सोशल मीडिया पर अपनी डिपेंडेंसी, जरूरत से ज्यादा सोशल मीडिया को महत्व देना, उसमें क्या चल रहा है, क्या कहा जा रहा है, इन बातों को लगातार सोचना- ये सब डिजिटल स्ट्रेस से जुड़े हुए माने गये हैं.

कोविड-19 के बाद युवाओं के स्क्रीन टाइम में इजाफा हुआ है. इस रिसर्च में सामने आया है कि युवाओं में लगातार बढ़ता स्क्रीन टाइम उनकी मेंटल हेल्थ को खराब कर रहा है.

बचाव कैसे करें? 

इससे बचने का तरीका 'डिजिटल डीटॉक्स' है. 'डिजिटल डीटॉक्स' का मतलब है अपने आपको टेक्नोलॉजी से दूर कर लेना. कुछ वक्त के लिए अपने फोन से हर तरह का संपर्क खत्म करके वास्तविक दुनिया से खुद को जोड़ना.

इसके अलावा आप किताबें पढ़ सकते हैं, कहीं घूमने जा सकते हैं. अपने स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण करके आप अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल रख सकते हैं. स्क्रीन लिमिट के लिए फोन की सेटिंग में ऑप्शन मिल जाते हैं साथ ही कई दूसरे एप्लीकेशन आपकी मदद कर सकते हैं.

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