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क्या आप सच्चे दिल से माफी मांगना जानते हैं?

ऐसा न हो कि आपकी माफी मांगने का तरीका सामने वाले को और भी बुरा महसूस करा दे.

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क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि किसी ने आपका अपमान किया है और उसकी माफी एक भावशून्य माफी की तरह लगी हो? हममें से ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा हो सकता है और मैं यह पक्के तौर पर कह सकती हूं कि जो भी गलती की गई थी, उसकी तुलना में बेमन मांगी गई माफी और भी बदतर लगती है. हालांकि हो सकता है कि हम इसे फौरन स्वीकार ना करें, हम भी सिर्फ टालने के लिए माफी मांग रहे हों क्योंकि माफी मांगना शायद ही कभी आसान होता है और शायद ही कभी किसी के लिए स्वाभाविक रूप से आती है.

लेकिन ये एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है. अपनी गलतियों की पहचान करना जरूरी है, ये समझना जरूरी है कि किसी को चोट पहुंचाने में आपकी क्या भूमिका रही है और फिर उसके लिए माफी मांगने की जरूरत होती है.

एक सच्ची माफी कभी-कभी जिंदगी बचा सकती है और ये इकलौती चीज है, जो टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ सकती है.

इसलिए अगर आप अतीत में अच्छे से अच्छे इरादे के बावजूद सच्ची, दिल से माफी मांगने की उधेड़बुन से गुजर चुके हैं, तो माफी मांगने के तरीके पर कुछ सलाह के लिए ये पढ़ें:

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1. माफी मांगने की कोई वजह हो

अक्सर “माफ करना”, ये शब्द मौन को भरने के लिए या चूंकि हमें लगता है कि ये हमसे अपेक्षित है, अर्थहीन रूप से उछाल दिया जाता है. तब तक माफी न मांगें जब तक किआप सच में ऐसा नहीं समझते कि आपके कृत्य या शब्द से किसी को तकलीफ हुई है. तब तक सॉरी ना कहें, जब तक कि आप सचमुच में शर्मिंदा ना हों. यह किसी स्थिति से निकलने के लिए नहीं कहा जाना है, या गलत बर्ताव के लिए बहाने के तौर पर में नहीं कहा जाना चाहिए.

माफी मांगना आपके कृत्य से दूसरे को हुई तकलीफ के लिए दुख प्रकट करने और इस तथ्य की स्वीकृति के लिए होना चाहिए कि यह आपने किया है.

यह अशिष्टता से या बचाव की बजाए आत्मावलोकन के तौर पर होनी चाहिए और जब तक यह आत्मज्ञान और समझदारी से नहीं आती है, यह कभी भी सच्ची नहीं हो सकती है.

2. खुद से पूछें, वो कैसा महसूस कर रहे होंगे?

किसी पर आपके एक्शन का क्या असर पड़ा है, इसे समझने का एकमात्र तरीका उस हालात में खुद को रखना है. इस तरह आप उस हालात में उनके नजरिए को समझ सकते हैं.

क्या होता अगर वही बात आपको कही जाती या आपके साथ की गई होती? क्या आप इसे स्वीकार करते? क्या आप इसे यूं ही छोड़ देने के इच्छुक होते? आपको कितनी चोट पहुंचती?

इसके अलावा, ऐसा भी जवाब भी हो सकता है कि आप इतने नाराज नहीं होते. और यह दुरुस्त है, यह आपकी ईमानदार प्रतिक्रिया हो सकती है- लेकिन इस मामले में तब और सहानुभूतिपूर्ण होने की कोशिश करें. खुद से पूछें- यह व्यक्ति कौन है? आमतौर पर उसकी प्रतिक्रिया कैसी होती है? थोड़ा उसके इतिहास, अनुभव और सामान्य व्यक्तित्व के बारे में सोचें और कल्पना करें कि वो कैसा महसूस कर सकता है.

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3. कोई अगर-मगर नहीं

“अगर आपको बुरा लगा तो मैं माफी मांगता हूं” या “मुझे माफ कीजिएगा, लेकिन ऐसा-ऐसा हो गया था” यह कोई माफी नहीं है. बस बहाना है.

माफी आपके बर्ताव को सही ठहराने के लिए नहीं है, इसके लिए माफी का सहारा मत लें, और यह निश्चित रूप से दूसरे शख्स पर कोई एहसान नहीं है, इसलिए सुनिश्चित करें कि यह ऐसी ना लगे.

माफी मांगने का एकमात्र तरीका सीधा और ईमानदार होना है, बिना किसी अगर-मगर के. डिफेंसिव होने की बजाए ये एहसास करें कि दूसरा शख्स कैसा महसूस कर रहा है. उदाहरण के लिए: “मैं सचमुच माफी चाहता हूं. मुझे यकीन है कि मेरे लिए भी इतने लंबे समय तक इंतजार करना बहुत मुश्किल होता, जबकि मैंने जल्दी आने को कहा था.”

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4. भरपाई के लिए हो माफी

माफी मंजूर करना या खारिज करना, साफ तौर पर दूसरे शख्स का विशेषाधिकार है, लेकिन आपको अपनी माफी के बारे में ईमानदार होना चाहिए और उन्हें बेहतर महसूस कराने के बारे में होनी चाहिए. ऐसा करने का एक अच्छा तरीका यह पूछना है कि किस बात से मदद मिलेगी.

सामने वाले से पूछें कि इन हालात में आप उनको बेहतर महसूस कराने के लिए क्या कर सकते हैं. बस इतना पूछने से भी कई बार सामने वाला शख्स जान जाता है कि आप सच्चे हैं और सच में परवाह करते हैं.

माफी मांगना आखिर कोई केक का टुकड़ा नहीं है. एक सच्ची माफी एक तरह का आंतरिक काम होता है, जो हमेशा मजेदार नहीं होता, लेकिन यह अंततः उस गलती की स्वीकारोक्ति है, जो आपने की है और आप अपने कृत्य और इसके नतीजों की जिम्मेदारी ले रहे हैं.

(प्राची जैन साइकोलॉजिस्ट, ट्रेनर, ऑप्टिमिस्ट, रीडर और रेड वेल्वेट्स की शैदाई हैं.)

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