चाइल्ड अब्यूज की खबरें बड़े पैमाने पर नफरत और गुस्सा जगाती हैं, लेकिन एक बात जो इस बीच अनदेखी रह जाती है, वह यह है कि बच्चों की सेक्सुअल जागरूकता को लेकर सभी - पेरेंट, टीचर और समाज को जागरूक करने की जरूरत है.
पेरेंट जहां एक तरफ नई हकीकतों से तालमेल बिठाने में जूझ रहे हैं, वाट्स एप ग्रुप वीडियो शेयर करके बता रहे हैं कि अपने बच्चों से सेफ और अनसेफ टच के बारे में कैसे बात करें.
विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि ये वीडियो ठीक हैं, लेकिन सेक्सुअल अब्यूज के बारे में बताने की जिम्मेदारी बच्चे के सिर पर नहीं डाली जा सकती. भारत में चाइल्ड अब्यूज एक आम हकीकत है और इसकी संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.
देश के 26 राज्यों में 12-18 साल के 45,000 से ज्यादा बच्चों पर किए गए सर्वे में यह तथ्य सामने आया कि हर दो में से एक बच्चा चाइल्ड सेक्स अब्यूज का शिकार हुआ है. ज्यादातर मामलों में इसकी कभी शिकायत नहीं की जाती. सबसे बुरी बात यह है कि, ज्यादातर मामलों में आरोपी बच्चे को पहले से जानता था.
आपको खुद को और आपके बच्चे दोनों को किसी भी उम्र में किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करना होगा.
पहला कदम
राही फाउंडेशन की अनुजा गुप्ता कहती हैं कि पेरेंट के लिए, बच्चे से सेफ और अनसेफ टच के बारे में बात करने से भी पहले, जरूरी है कि घर में ऐसा माहौल बनाएं जिसमें बात की जा सके.
माता-पिता के लिए पहला कदम यह है कि उन्हें समझना होगा कि एब्यूज और इनसेस्ट एक सच्चाई हैं. इस बात को उन्हें अपने दिमाग में साफ कर लेना होगा.
पेरेंट को सबसे पहले बच्चे से उसके एहसास के बारे में बात करनी चाहिए. कौन सी बात उसे अच्छा एहसास कराती है, किस चीज के साथ वो सहज रहता है, कौन सी बात उसे खुश कर देती है, और कौन सी बात उसे दुखी कर देती है और अच्छी नहीं लगती. उन्हें बच्चे को अपने विचार व्यक्त करने के लिए उचित भाषा देनी होगी.
इसके बाद उन्हें शरीर के अंगों और गलत तरीके से छुए जाने के बारे में पूछने से पहले ऐसी बातचीत में शामिल करना होगा, जिसमें बच्चे बताएं कि कौन सी बात से वह सेफ और अनसेफ महसूस करते हैं.
उन्हें शरीर के अंगों के बारे में बताना कि कौन सा हिस्सा प्राइवेट है, सबसे जरूरी है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि आपको अंगों के असली नाम- जैसे कि वेजाइना या पीनस का इस्तेमाल करने में हिचकिचाने की जरूरत नहीं है.
अनुजा कहती हैं कि भारत में बच्चों को अपनी बात कहने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है. 3 से 5 साल के बच्चे को ना कहना सिखाना होगा. हाथ मिलाने, चूमने और गले मिलने से इनकार करने में कोई खराबी नहीं है. अपने शरीर के मालिक आप हैं. और जब आप उन्हें बड़ों की इज्जत करना सिखाएं, तो आप उन्हें बड़ों द्वारा चोट पहुंचाने पर चीखना या गुस्सा करना भी सिखाएं.
हम मानकर चलते हैं कि बच्चे माता-पिता, दादा-दादी और अंकल आंटियों के हाथों में सुरक्षित हैं. हम नहीं मानते कि अक्सर सम्मानित बुजुर्ग भी आरोपी निकलते हैं.अनुजा गुप्ता, राही फाउंडेशन
बच्चों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सिर्फ माता-पिता या स्कूल की नहीं है. बिना सामाजिक स्तर के प्रयास के हमारे बच्चों को सुरक्षित स्थान नहीं मिलेगा, जहां वो बता सकें कि उनके साथ क्या बीती है.
यहां नीचे दिए सत्यमेव जयते की टीम द्वारा तैयार इस वीडियो में आमिर खान बच्चों से गुड टच और बैड टच के बारे में बात कर रहे हैं.
सभी बच्चे शोर नहीं मचाएंगे
इसकी वजह यह है कि ज्यादातर मामलों में बच्चों का यौन शोषण करने वाला कोई पहचान का ही होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार आरोपी द्वारा बच्चों को वीडियो दिखाने, उनसे करीबी बढ़ाने और खास जुड़ाव बनाते हुए तैयार करने में कई महीने का वक्त लगता है. वह बच्चों को यह यकीन दिला देते हैं कि वह जो कर रहे हैं एकदम सामान्य है, और यह उनका सीक्रेट है, जिसके बारे में किसी और को नहीं बताना है. और तब आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप महत्वपूर्ण निशानियों की उपेक्षा ना करें. उन्हें सुनें, उनकी चिंताओं को खारिज ना करें. एक पेरेंट के तौर पर आपको यह भी पता होना चाहिए कि आपको किस बात पर ध्यान देना है. उनके बचाव में इकलौता सबसे खास पहलू आपका सपोर्ट है.
नीचे दिया गया वीडियो, माई बॉडी बिलांग्स टू मी, बिल्कुल सटीक तरीके से बताता है कि एक बच्चा कौन सी बातें समझ लेगा.
खतरे की निशानियों को पहचानें
चाइल्ड सेक्स अब्यूज के मामले में खतरों को शारीरिक, यौन, व्यावहारिक श्रेणियों में बांटा गया है. शारीरिक लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है. आपका बच्चा या बच्ची जख्मी है, पेट में दर्द की शिकायत करता है या करती है, उसके प्राइवेट पार्ट में दर्द हो रहा है, खून बह रहा है आदि? यौन निशानियों को पहचानना काफी मुश्किल है. क्या आपका बच्चा सामान्य से ज्यादा मास्टरबेशन कर रहा है? क्या गुड़ियों के साथ विकृत यौन खेल में संलिप्त है? क्या उसकी यौन विषयों की जानकारी उसकी उम्र के बच्चों के साथ ज्यादा की है.
अनुजा कहती हैं कि बच्चे खुद को सबसे ज्यादा अपनी ड्राइंग से अभिव्यक्त करते हैं और पेरेंट्स को इस पर बहुत गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. ज्यादातर बच्चे सीधी लाइन वाली मानव आकृतियां बनाते हैं. क्या उनकी बनाई मानव आकृतियों में स्तन, पांवों के बीच डार्क जगह बनाई जा रही है?
व्यवहार की निशानियों में ये भी शामिल है
- दोस्तों से दूरी रखना या सामान्य गतिविधियों से किनारा करना
- व्यवहार में बदलाव — जैसे कि आक्रामकता, गुस्सा, दुश्मनी, अति सक्रियता- या स्कूल के प्रदर्शन में बदलाव
- अवसाद या उत्तेजना या असामान्य भय या एकदम से आत्मविश्वास में गिरावट
- अक्सर स्कूल जाने से मना कर देना या स्कूल बस में चढ़ने में अनमनापन दिखाना
- विद्रोही या अवज्ञाकारी बर्ताव
- आत्महत्या की कोशिश
पोद्दार जंबो किड्स द्वारा तैयार इस वीडियो में बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने के लिए कठपुतलियों का इस्तेमाल किया गया है.
यह जरूरी है कि आपके बच्चे को जरूरत पड़ने पर फौरन मेडिकल सुविधा, काउंसिलिंग और सपोर्ट मिले, जिससे कि वह अपनी जिंदगी के सबसे कठिन दौर और नकारात्मक एहसासों के बीच अच्छा महसूस कर सके.
किसी बच्चे से उसके मन की बात उगलवा पाना मुश्किल होगा, अगर वह अपने पेरेंट और टीचर्स के बीच भी सहज महसूस नहीं करता हो. जब तक हम बच्चों के लिए बात करने के वास्ते सामुदायिक स्तर पर सुरक्षित स्थान नहीं बनाएंगे, हर खबर सिर्फ एक गुस्सा तक सीमित रह जाएगी, जो कि अगली बड़ी खबर आ जाने के साथ ही हम भूल जाएगी है.
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