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वैज्ञानिकों ने खोजा मानव कोशिकाओं का नया आकार

एपिथेलियल कोशिकाएं स्क्यूटॉइड का आकार ले लेती हैं, जिससे ऊतक मुड़ सकें.

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शरीर के कई अंगों के ऊपरी या बाहरी परत को ढकने वाले एपिथेलियल कोशिकाओं (cells) के बारे में नई जानकारी सामने आई है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि एपिथेलियल कोशिकाएं स्क्यूटॉइड का आकार ले लेती हैं, जिससे कि ऊतक (टिश्यू) मुड़ सकें. स्क्यूटॉइड ऐसा ठोस ज्यामितीय आकार है, जिसका अभी तक उल्लेख नहीं किया गया है.

नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार एपिथेलियल कोशिकाओं का यह रूप मुड़े हुए प्रिज्म जैसा दिखता है. इस सुंदर आकार के जरिए प्रकृति ने एपिथेलिया को मुड़ने और घुमने योग्य बनाया है.

एपिथेलियल कोशिकाएं एक निमार्ण खंड है, जिसके साथ जीव बनता है. ये टेंटे या लीगे के टुकड़े के समान होते हैं, जिनसे जानवरों की उत्पत्ति होती है.
ल्यूजमा एस्क्यूडेरो, यूनिवर्सिटी ऑफ सेविले, स्पेन

एपिथेलिया कई कार्यों वाली संरचना बनाती है, जैसे संक्रमण के खिलाफ अवरोध बनाना या पोषक तत्वों को अवशोषित करना. भ्रूण के विकास के दौरान यह कुछ कोशिकाओं से बनी साधारण संरचना से एक जटिल अंग संरचना वाले जानवर के रूप में परिवर्तित हो जाती है.

यह प्रक्रिया सिर्फ जीव के विकास से घटित नहीं होती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एपिथेलियल कोशिकाएं अपने को सही तरीके से संगठित करने के लिए गति करती हैं और एक दूसरे से जुड़ना शुरू करती हैं. इस प्रक्रिया से ही अंगों को अंतिम रूप मिलता है.
ल्यूजमा एस्क्यूडेरो, यूनिवर्सिटी ऑफ सेविले, स्पेन

अब तक इन ‘खंडों’ को प्रिज्म के आकार या अलग-अलग पिरामिड के रूप में दर्शाया जाता था. हालांकि एपिथेलियल वक्रों का लैबोरेट्री सैंपल में जांच करने पर शोधकर्ताओं को इस बात के प्रमाण मिले कि ये वास्तविक कोशिकाएं अन्य जटिल आकारों को अपनाती हैं.

शोधकर्ता के मुताबिक यह इस तथ्य के कारण है कि जब ऊतक मुड़ता है, ये अधिक स्थिर होने के लिए ऊर्जा को कम करता है. यही कारण है कि हमारा बायोफिजिकल डाटा संकेत देता है कि ये कोशिकाएं स्क्यूटॉइड का आकार ले लेती हैं.

स्क्यूटॉइड क्यूब या पिरामिड के आकार का एक ठोस ज्यामितीय आकार है, जिसके बारे में अभी तक उल्लेख नहीं किया गया है.

एपिथेलियल कोशिकाएं ये आकार उस समय लेती हैं, जब ऊतक मुड़ते हैं, इससे अधिक स्थिर संरचना बनती है. ये कहा जा सकता है कि ये मुड़े हुए प्रिज्म के समान दिखते हैं.

यह खोज बुनियादी विज्ञान में शामिल है. यह जीव विज्ञान, गणित और भौतिक विज्ञान के बीच जुड़ी हुई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रकार की रिसर्च बायोमेडिसिन के लिए आवश्यक है.

इस स्टडी ने यह समझने का रास्ता खोल दिया है कि अपने विकास के दौरान अंग किस प्रकार से बनते हैं. कुछ बीमारियों की स्थिति में क्या कमी हो सकती है, जिससे यह प्रक्रिया बदल जाती है.

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