Stroke Screening: स्ट्रोक्स काफी गंभीर मेडिकल कंडीशन होती है और समय पर इसका निदान और तुरंत इलाज नहीं मिलने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. हमारे दिमाग को मिलने वाली ब्लड सप्लाई बाधित होने पर दिमाग की सेल्स नष्ट होने लगती हैं और इसकी वजह से मृत्यु भी हो सकती है. स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण कैरोटिड आर्टरीज में संकुचन और इस कारण धमनियों में ब्लड फ्लो का बाधित होना है. जैसा कि हम जानते हैं आर्टरीज ही मस्तिष्क को ब्लड की सप्लाई के लिए जिम्मेदार होती हैं.
इस आर्टिकल में हम स्ट्रोक का शुरुआत में ही पता लगाने और उससे बचाव के लिए कैरोटिड डॉपलर की भूमिका का मूल्यांकन (evaluation) करेंगे.
किसी व्यक्ति को स्ट्रोक का खतरा कितना है, यह पता लगाने के लिए मेडिकल प्रोफेशनल एक स्क्रीनिंग टेस्ट– कैरोटिड डॉप्लर की मदद लेते हैं.
मेडिकल के क्षेत्र में कैरोटिड डॉपलर टेस्ट काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, खासतौर से स्ट्रोक्स के डायग्नॉसिस, उससे जुड़े जोखिम के मूल्यांकन और स्ट्रोक से बचाव के लिहाज से यह काफी उपयोगी होता है.
कैरोटिड डॉपलर टेस्ट क्या है?
कैरोटिड डॉपलर टेस्ट जिसे कैरोटिड अल्ट्रासाउंड या कैरोटिड डुप्लैक्स भी कहते हैं, एक प्रकार की नॉन-इन्वेसिव प्रक्रिया है, जिसमें हाई-फ्रीक्वेंसी ध्वनि तरंगों की मदद से कैरोटिड आर्टरीज की विस्तृत (detailed) तस्वीर तैयार की जाती है. इसकी जांच कर हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स ब्लड फ्लो का मूल्यांकन करने के साथ-साथ इन महत्वपूर्ण धमनियों में किसी भी प्रकार की असमानायता या इनके बाधित होने का पता लगाते हैं.
इस टेस्ट को एक हैंडहेल्ड डिवाइस ट्रांसड्यूसर की मदद से किया जाता है, जिसमें से ध्वनि तरंगें निकलती हैं, जो कैरोटिड धमनियों की ब्लड सेल्स से टकराकर लौटती हैं. ट्रांसड्यूसर इन लौटने वाली तरंगों को जमा करता है और उनके आधार पर मॉनीटर पर ब्लड फ्लो की रियल-टाइम तस्वीरें तैयार होती हैं. इन तस्वीरें से धमनियों की संरचनाओं, उनकी दीवारों पर जमा होने वाले प्लाक और ब्लड फ्लो के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है.
स्ट्रोक स्क्रीनिंग में महत्वपूर्ण कैरोटिड डॉपलर टेस्ट
कैरोटिड आर्टरी रोग का जल्द निदान: कैरोटिड डॉपलर टेस्ट डॉक्टरों को कैरोटिड आर्टरी रोग का पता लगाने में मदद करता है. इस रोग में कैरोटिड धमनियों में प्लाक का जमाव होने से वे संकुचित हो जाती हैं.
इस कंडीशन को कैरोटिड स्टेनोसिस कहते हैं, जो स्ट्रोक का जोखिम काफी हद तक बढ़ाता है. लेकिन शुरुआत में ही कैरोटिड आर्टरी रोग का पता लगने पर हेल्थ केयर प्रोवाइडर के लिए सही बचाव के उपायों को लागू करना और स्ट्रोक का जोखिम कम करने में मददगार इलाज मुहैया कराना आसान होता है.
स्ट्रोक के जोखिम का मूल्यांकन: कैरोटिड डॉपलर टेस्ट से यह पता लगाने के बाद कि कैरोटिड आर्टरी में संकुचन (contraction) किस हद तक हो चुका है, हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स स्ट्रोक के जोखिम का आकलन करते हैं. अगर संकुचन काफी गंभीर हालत तक पहुंच चुका होता है, यानी 70% से अधिक, तो इसके कारण स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ चुका होता है और ऐसे में तुरंत डॉक्टर की मदद की जरूरी होती है.
उपचार संबंधी फैसलों में मार्गदर्शन: कैरोटिड डॉपलर टेस्ट डॉक्टरों को कैरोटिड आर्टरी रोग की गंभीरता (स्थिति) के मुताबिक सबसे सही उपचार के बारे में फैसला लेने में मदद करता है. अगर धमनियों में काफी संकुचन हो चुका होता है, तो इसके कारण स्ट्रोक का जोखिम काफी बढ़ जाता है, ऐसे में सर्जरी जैसे कि कैरोटिड एंडरटरेक्टॅमी या कैरोटिड आर्टरी स्टैंटिंग की सलाह दी जा सकती है, जो ब्लॉकेज को हटाकर या उसे बायपास कर सामान्य ब्लड फ्लो को बहाल करती है.
संकुचन कम से सामान्य होने पर
धमनियों में संकुचन कम से सामान्य तक होता है, तो जोखिम भी उसी हिसाब से कम होता है और ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर और दवाओं का इस्तेमाल कर इस स्थिति को काफी हद तक सम्भाला जा सकता है.
रोग के बढ़ने पर लगातार नजर रखना: जिन लोगों में कैरोटिड आर्टरी रोग होने की पुष्टि होती है, उनका नियमित कैरोटिड डॉपलर टैस्ट कराते रहने से समय-समय पर इस स्थिति पर नजर रखना आसान होता है. इसका एक बड़ा फायदा यह होता है कि डॉक्टर भी रोग की गंभीरता के मुताबिक इलाज कर पाते हैं.
भविष्य में स्ट्रोक्स से बचाव: कैरोटिड डॉपलर टेस्ट कैरोटिड आर्टरी रोग की जल्द पहचान करने और भविष्य में इससे बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. समय पर उपचार, जैसे सर्जरी या दवा से धमनियों में से ब्लॉकेज हटाने, ब्लड फ्लो में सुधार करने और दोबारा स्ट्रोक के जोखिम को भी कम करने में मदद मिलती है.
कैरोटिड डॉपलर टेस्ट एक जरुरी स्क्रीनिंग टूल है, जो रोग का जल्द पता लगाने, जोखिम का मूल्यांकन करने और कैरोटिड आर्टरी रोग की वजह से होने वाले स्ट्रोक से बचाव में मदद करता है.
अगर आप स्ट्रोक संबंधी जोखिम कारकों से प्रभावित हैं या आपको कैरोटिड आर्टरी रोग का संदेह है, तो तुरंत अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल से सलाह लें, वह आपको यह बता सकते हैं कि कैरोटिड डॉपलर टेस्ट आपके मामले में सही है या नहीं. याद रखें, समय पर रोग का पता लगाने और कैरोटिड आर्टरी रोग को मैनेज करने से स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है और यह आपके हेल्थ की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है.
(फिट हिंदी के लिये ये आर्टिकल फरीदाबाद, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर-डॉ कुणाल बहरानी ने लिखा है.)
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