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पूरी तरह सुरक्षित है OPV, हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा- अफवाहें निराधार

उत्तर प्रदेश के कुछ बच्चों के मल में इस वायरस के लक्षण पाए गए.

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हाल ही में राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में मेडिकल कंपनी बायोमेड (Biomed) द्वारा बनाई गई ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) में टाइप-2 पोलियो वायरस की पुष्टि की गई थी. इस वजह से पोलियो मुक्त भारत में पोलियो के लौटने के खतरे की आशंका भी जताई जा रही थी.

हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके बाद स्पष्ट किया कि पोलियो वैक्सीन्स पूरी तरह सुरक्षित हैं. पोलियो टीकाकरण के जरिए लाखों बच्चों को पोलियो के कारण होने वाली विकलांगता से बचाया गया है. इसलिए निश्चिंत होकर बच्चे को पोलियो का टीका दिलाएं और उन्हें एक सुरक्षित भविष्य दें.

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कैसे हुई OPV में टाइप-2 पोलियो वायरस की पुष्टि?

बायोमेड कंपनी सरकारी टीकाकरण अभियान के लिए पोलियो वैक्सीन की सप्लाई करती है. ये मामला तब सामने आया, जब उत्तर प्रदेश के कुछ बच्चों के मल में इस वायरस के लक्षण पाए गए. इस रिपोर्ट के बाद OPV वैक्सीन के सैंपल को कसौली के सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी भेजा गया. एक अधिकारी के मुताबिक, जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि सैंपल में टाइप-2 पोलियो वायरस मौजूद हैं.

दरअसल पहले टाइप 1, 2, 3 वायरस वाले पोलियो वैक्सीन इस्तेमाल में थे. लेकिन वैश्विक स्तर पर टाइप 2 वायरस के खात्मे के बाद टाइप 1 और टाइप 3 वायरस वाले वैक्सीन का प्रयोग शुरू हुआ.

साल 2016 में सभी कंपनियों को यह आदेश दिया गया था कि 25 अप्रैल 2016 तक पोलियो टाइप 2 वायरस को नष्ट कर दिया जाए. सभी को निर्देश दिए गए थे कि जिसमें टाइप 2 वायरस हों, उस ओरल पोलियो वैक्सीन को नष्ट कर दिया जाए.

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ओरल पोलियो वैक्सीन से टाइप 2 घटक को हटाने का फैसला इसलिए किया गया था ताकि वैक्सीन से उत्पन्न होने वाले पोलियो वायरस से पोलियो होने का खतरा कम किया जा सके.

इसलिए जताई जा रही थी खतरे की आशंका

ओपीवी में एक कमजोर वैक्सीन-वायरस होता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रक्रिया (immune response) सक्रिय होती है. जब बच्चे को पोलियो टीके की खुराक दी जाती है, तब उसमें एंटीबॉडी निर्माण के साथ प्रतिरक्षा विकसित होती है. इसके साथ ही वैक्सीन वायरस मल के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है.

WHO के मुताबिक जहां पर्याप्त साफ-सफाई न हो, वहां मल के जरिए बाहर आया ये वायरस फैल सकता है. ये वैक्सीन वायरस आनुवांशिक बदलाव के बाद लकवा मारने का कारण बन सकता है. इसे टीके से उत्पन्न होकर फैलने वाला पोलियो वायरस (cVDPV-circulating vaccine-derived poliovirus) कहते हैं. साल 2015 तक करीब 90 फीसदी cVDPV के मामले पोलियो टीके की खुराक में इस्तेमाल टाइप 2 वायरस के कारण पाए गए थे.

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बायोमेड फार्मा कंपनी पर कार्रवाई

बायोमेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके अलावा ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने अगले आदेश तक बायोमेड को किसी भी दवाई के निर्माण, बिक्री या वितरण पर रोक लगा दी.

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