हम क्या खाते हैं, इसका सीधा असर हमारी सेहत पड़ता है. अगर डाइट अच्छी न हो, तो इसका स्वास्थ्य पर किस हद तक प्रभाव पड़ता है, इस पर 195 देशों में 27 साल तक एक स्टडी की गई.
मेडिकल जर्नल लांसेट में पब्लिश इस स्टडी के मुताबिक दुनिया भर में हर 5 में से 1 व्यक्ति की मौत डाइट में हेल्दी फूड की कमी से होती है. ये आंकड़ा लगभग एक करोड़ दस लाख मौतों के बराबर है. दुनिया भर में कई क्रोनिक बीमारियों के लिए लोगों की डाइट जिम्मेदार है.
साल 2017 में साबुत अनाज, फल, मेवे और बीज जैसे आहार की काफी कम खुराक ट्रांस फैट, शुगरी ड्रिंक्स, रेड और प्रोसेस्ड मीट के हाई लेवल वाले आहार के मुकाबले अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार रही.
सरल शब्दों में इसका मतलब ये है कि हम क्या खा रहे हैं इसके मुकाबले हम क्या नहीं खा रहे हैं, उसके कारण ज्यादा मौतें हो रही हैं.
इस स्टडी में बताया गया है कि भारत में हर साल सैकड़ों मौत हेल्दी खाने की कमी और पर्याप्त पोषक तत्व न मिलने के कारण होती है.
इसी साल EAT-Lancet कमीशन ने ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ का सुझाव दिया, जिससे इंसानों और धरती के स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने में मदद मिल सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक यही प्लैनेटरी हेल्थ डाइट 2050 तक करीब 10 अरब होने वाली दुनिया की आबादी को लंबे समय तक भरपेट पौष्टिक आहार देने का वैश्विक समाधान हो सकती है.
इसमें रेड मीट जैसे हानिकारक चीजों की खपत में कमी लाने और प्लांट-आधारित डाइट अपनाने पर जोर दिया गया है.
इस तरह की डाइट के लिए खानपान में बदलाव की जरूरत है. इसमें नमक, चीनी, रेड मीट जैसी अनहेल्दी चीजों की खपत 50 फीसदी तक घटाने और मेवे, फल और सब्जियों जैसी हेल्दी चीजों की खुराक 100 फीसदी तक बढ़ाने, फूड प्रोडक्शन के तरीकों में सुधार और खाने की बर्बादी को रोकने का सुझाव दिया गया है.
फिट का कैंपेन- What We Eat
हम क्या खाते हैं? क्या खाना चाहिए? डाइट में किस तरह के बदलाव की जरूरत है? क्या आप जानते हैं कि जो चीजें आप खाते हैं और वो चीजें कहां से आती हैं?
What We Eat कैंपेन क्यों?
साल 2017 में डाइट से जुड़ी कुल मौतों में से 50 प्रतिशत से अधिक मौतों की वजह सोडियम की अधिकता और साबुत अनाज तथा फलों की कमी वाली डाइट रही.
खानपान में हेल्दी बदलाव से हर साल 1.08-1.16 करोड़ मौतों को रोका जा सकता है.
अगले एक महीने तक इस कैंपेन के जरिए हम इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए एक छोटा सा कदम उठा रहे हैं.
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