विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, तंबाकू सेवन से दुनिया भर में हर साल 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है. अगर इसके प्रति आगाह नहीं किया गया तो एक अनुमान के मुताबिक, धूम्रपान साल 2016 से 2030 के बीच लगभग 80 लाख लोगों को मौत की नींद सुला सकता है.
तंबाकू उत्पादों के डिब्बों पर इसके सेवन से होने वाले नुकसान के संदेश चाहे कितने ही डरावने क्यों न हों, इसके बावजूद लोगो में धूम्रपान की लत बढ़ती ही जा रही है. 21वीं सदी में सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक सबसे बड़ी जिम्मेदारी महिलाओं को धूम्रपान की लत से बचाना होगा.
जिस तरह सिगरेट उद्योग कथित सामाजिक परिवर्तन के लिए महिलाओं को टारगेट कर रहा है, उसके बारे में गंभीरता से सोचना जरुरी है.
किशोरावस्था में धूम्रपान की शुरुआत करने वाली लड़कियों की तादाद साल दर साल बढ़ती ही जा रही है. हालांकि धूम्रपान शुरू करने का कारण लड़कियों और लड़कों में अलग होता है. महिलाएं/लड़कियां धूम्रपान को अभिव्यक्ति की आजादी समझने लगी हैं. महिलाओं का सशक्तिकरण तो जरुरी है. लेकिन धूम्रपान को इससे जोड़ना गलत है. महिलाओं में धूम्रपान की बढ़ती लत के संभावित खतरों पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
एक रिपोर्ट के मुताबिक फेफड़े के कैंसर से महिलाओं की तुलना में पांच गुना ज्यादा पुरुष मरते थे. लेकिन अब यह खतरा औरत-मर्द दोनों के लिए ही बराबर हो गया है. धूम्रपान करने वाले लोगों को फेफड़े के कैंसर से मरने का खतरा धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 25 गुना अधिक होता है.
धूम्रपान करने वाली महिलाओं के बांझपन से जूझने की भी संभावना होती है. सिगरेट का एक कश लगाने पर सात हजार से अधिक केमिकल पूरे शरीर में फैल जाता है. इससे ओवयूलेशन की समस्या, जनन अंगों का क्षतिग्रस्त होना, समय से पहले मेनोपॅाज और गर्भपात की समस्या पैदा होती है.
अब भी वक्त है, धूम्रपान छोड़ दीजिए. धूम्रपान छोड़ने से लंबे समय तक स्वस्थ रहने और जीने का संभावना बढ़ जाती है.
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