इस धरती की रक्षा और संरक्षण के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1974 में हुई थी और अब दुनिया भर के 100 से अधिक देश पर्यावरण को बचाने के अपने तमाम कैंपेन और पहल के जरिए इसका हिस्सा बन चुके हैं.
वायु प्रदूषण के कारण पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बढ़ते संकट को देखते हुए इस साल पर्यावरण दिवस की थीम वायु प्रदूषण पर आधारित है.
पिछले साल भारत ने विश्व पर्यावरण दिवस समारोह की मेजबानी की थी और इस साल हांगझू शहर में 'वायु प्रदूषण को मात देने' के संदेश के साथ चीन इसकी मेजबानी कर रहा है.
वायु प्रदूषण और भारत का प्रयास
29 मई, 2019 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में पर्यावरण दिवस को लेकर इस साल की योजना के बारे में बताया गया था. साथ ही इस साल की थीम पर आधारित 'हवा आने दे' गीत की लॉन्चिंग की गई थी.
इस गीत में हमारे मौजूदा समय की पर्यावरण चुनौतियों से निपटने के लिए सभी से एकजुट होने का आह्वान किया गया है और इसके साथ ही हम सभी से वायु की गुणवत्ता बेहतर करने तथा हमारे देश व शहरों को कम प्रदूषित बनाने में मददगार हरित प्रौद्योगिकियों एवं उपायों को तलाशने का अनुरोध किया गया है.सी.के मिश्रा, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
इसके अलावा वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए र्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) शुरू किया है, जो पांच साल का मिड-टर्म एक्शन प्लान है. इसमें 102 शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों में 20-30 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है.
एयर पॉल्यूशन: एक वैश्विक चुनौती
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के एक अनुमान के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में हर साल करीब 80 लाख लोगों की मौत होती है. एयर पॉल्यूशन अनगिनत तरीकों से लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है.
- 'एयर पॉल्यूशन एंड नॉनकम्यूनिकेबल डिजीज' नाम की एक व्यापक रिपोर्ट में बताया गया था कि टॉक्सिक एयर का शरीर के लगभग हर हिस्से पर बुरा असर पड़ता है.
- एयर पॉल्यूशन के कारण यूरोप में हर साल समय से पहले 790,000 मौतें होती हैं और दुनिया भर में 88 लाख मौतें होती हैं.
- दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 7 भारत के हैं.
- The Lancet Planetary Health जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक साल 2016 में डायबिटीज के 32 लाख नए मामलों की वजह एयर पॉल्यूशन था.
- एयर पॉल्यूशन का एक्सपोजर बर्थ डिफेक्ट और प्रेग्नेंसी के दौरान ही बच्चे की मौत का कारण हो सकता है.
- एयर पॉल्यूशन बच्चों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन का रिस्क बढ़ाता है.
- एक स्टडी में पाया गया कि ज्यादा प्रदूषित इलाकों में रहने वाले किशोरों में मानसिक दिक्कतें ज्यादा होती हैं.
वायु प्रदूषण को मात देने के 5 कारण
- प्रदूषित हवा हेल्थ इमरजेंसी पैदा कर रही है
- बच्चों को इससे सबसे ज्यादा खतरा है
- पॉल्यूशन और गरीबी एक-दूसरे से जुड़े हैं
- ईंधन जितने सस्ते होंगे, हमें उसकी उतनी ही कीमत चुकानी होगी
- स्वच्छ हवा में सांस लेना मानवाधिकार है
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण की चुनौती, जो जलवायु परिवर्तन के कारण और तेज हो रही है, से निपटने के लिए अधिक से अधिक वैश्विक, सामुदायिक और स्थानीय प्रयास की जरूरत है.
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