भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सक के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने छह जीका वायरस एंटीबॉडीज विकसित किए हैं. ये मच्छर से पैदा होने वाली बीमारी के इलाज में मददगार हो सकते हैं.
जीका से पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर के 15 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं.
एंटीबॉडीज दो तरह से उपयोगी हो सकते हैं. इसमें जीका वायरस संक्रमण को पहचानने की क्षमता है और दूसरा कि यह आगे चलकर संक्रमण के इलाज के लिए भी उपयोगी हो सकता है.रवि दुर्वासुलाने प्राध्यापक, शिकागो, लोयोला यूनिवर्सिटी
एंटीबॉडी जीका वायरस का पता कैसे लगाता है
उन्होंने कहा कि उत्पादन में किफायती इस एंटीबॉडी को जीका वायरस का पता लगाने के लिए एक साधारण फिल्टर पेपर टेस्ट में इस्तेमाल किया जा सकता है जो अभी भी मौजूद है. परीक्षण के दौरान अगर फिल्टर पेपर का रंग बदल जाता है तो इसका मतलब जीका का प्रभाव है.
एंटीबॉडी प्रतिरक्षा प्रणाली की ओर से बनाई गई वाई-आकार वाली प्रोटीन है.
छह तरह के एंटीबॉडीज विकसित
इस शोध के लिए रीबोसम डिस्प्ले तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. इस दौरान छह तरह के सिंथेटिक एंटीबॉडीज विकसित किए गए जो जीका वायरस से जुड़े हैं.
गर्भावस्था के दौरान होता है खतरा
गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस से संक्रमित महिला का गर्भपात होने का खतरा रहता है. इसके अलावा गर्भस्थ शिशु की भी मौत का खतरा हो सकता है. संतान में जन्मजात माइक्रोसेफली बीमारी हो सकती है.
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