डायबिटीज की वजह से बीते दो दशकों में दो-तिहाई से ज्यादा लोग अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं.
अमेरिका स्थित राष्ट्रीय नेत्र अनुसंधान संस्थान संगठन के अनुसार, डायबिटीज रेटिनोपैथी में लंबे वक्त से अधिक रक्त शर्करा की वजह से आंख के अंदर परत की नाजुक रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे दिखाई देने में समस्या शुरू हो जाती है.
बीते 20 साल में दो-तिहाई से ज्यादा लोगों में डायबिटीज की वजह से आंखों को नुकसान अपने भयावह खतरे का संकेत दे रही है. डायबिटीज को बड़ी महामारी कहा जाना चाहिए.रुपर्ट आर.ए. बार्न, नेत्र रोग विशेषज्ञ और प्रोफेसर, एंग्लिया रस्किन विश्वविद्यालय, ब्रिटेन
लगातार गंभीर होती जा रही है समस्या
निष्कर्षों से पता चलता है कि हर 39 नेत्रहीन लोगों में एक को साल 2010 से मधुमेह रेटिनोपैथी की वजह से अंधेपन का सामना करना पड़ रहा है. इसमें 1990 के बाद 27 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई है.
वे लोग, जिनमें कम या गंभीर दृष्टिदोष की समस्या है, उनमें 52 लोगों में दृष्टि खोने की वजह डायबिटीज को माना गया है. इस तरह साल 1990 के बाद इसमें 64 फीसद की चौंकाने वाली वृद्धि हुई है.
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पाया कि बीते 20 साल के दौरान दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम उप-सहारा अफ्रीकी देशों में बड़ी संख्या में ज्यादातर लोगों में मधुमेह रेटिनोपैथी की वजह से दिखाई देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नोवा दक्षिण-पूर्वी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेनेट लिशर ने कहा कि दुर्भाग्य से डायबिटीज रेटिनोपैथी के शुरुआती फेज में लक्षण नहीं दिखाई पड़ते.
डॉक्टरों की सलाह है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को हर साल आंखों की जांच करानी चाहिए.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)