राजस्थान में फिल्म 'पद्मावत' पर बैन लगना ऐसा मालूम पड़ रहा है, जैसे कि यह राज्य के पर्यटन उद्योग के लिए वरदान बन गया है. राज्य का मेवाड़ क्षेत्र जो रानी पद्मिनी के बारे में किस्से-कहानियों का घर है, वहां दिसंबर 2017 में पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा देखा गया.
काफी पर्यटक पहुंचे मेवाड़
संजय लीला भंसाली की फिल्म को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध होने के बाद देशभर से बड़ी संख्या में लोग दिसंबर और जनवरी के पहले सप्ताह में क्षेत्र के महत्वपूर्ण शहरों में घूमने आए, जिसमें चित्तौड़गढ़ और उदयपुर शामिल हैं. ऐतिहासिक बैकग्राउंड पर बनी फिल्म 'पद्मावती' का नाम बदलकर 'पद्मावत' करने और कुछ बदलाव करने पर आखिरकार सेंसर बोर्ड ने फिल्म को हरी झंडी दिखा दी.
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“रानी पद्मिनी के गृह नगर चित्तौड़गढ़ में आने वाले पर्यटकों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. दिसंबर 2017 में 81,009 पर्यटक आए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में महज 40,733 पर्यटक आए थे.”शरद व्यास, सहायक पर्यटन अधिकारी, चित्तौड़गढ़
मेवाड़ की बढ़ी लोकप्रियता
व्यास ने बताया, "पर्यटक रानी पद्मिनी से संबंधित ऐतिहासिक जगहों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. फिल्म 'पद्मावत' को लेकर इतना कुछ होने के बाद इस शहर को देश में अचानक से इतनी लोकप्रियता मिल गई."
ऐतिहासिक किस्सों के बारे में बढ़ी उत्सुकता
सरकारी गाइड सुनील सेन ने बताया कि लोगों में इतिहास के प्रति ज्यादा जागरूकता बढ़ी है. वे पद्मिनी, उनके पति रावल रतन सिंह और अलाउद्दीन से संबंधित किस्सों के बारे में पूछते हैं. वे ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी के साथ आते हैं और ऐतिहासिक जगहों को देखने की ख्वाहिश जताते हैं, जहां ऐतिहासिक घटनाएं हुईं.
सरकारी गाइड सुनील सेन ने बताया कि 31 दिसंबर 2017 (रविवार) को लोगों की भारी भीड़ उमड़ी. टिकट खत्म हो जाने पर किले के फाटक को जल्द बंद करना पड़ा. यहां तक कि गाइड की मांग भी बढ़ गई है, क्योंकि लोग रानी पद्मिनी की कहानियां सुनना चाहते हैं.
सेन ने कहा कि चित्तौड़गढ़ के ज्यादातर पर्यटक उस दर्पण को देखने के लिए आते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि खिलजी को रानी पद्मिनी का चेहरा उसी दर्पण में दिखाया गया था. सेन ने कहा कि लोग ये जानने के लिए भी काफी एक्साइटेड रहते हैं कि रानी ने पति की हार के बाद किस जगह 16,000 महिलाओं के साथ जौहर किया था.
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(इनपुटः IANS से)
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