नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (NRC) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन लोगों के नाम असम में NRC मसौदे में नहीं आए थे, उन लोगों के दावे और आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाए. अदालत ने कहा है कि दावे दाखिल करने की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू होगी, जो कि अगले 60 दिन तक जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में बड़ी संख्या में लोगों के दावे को देखते हुए असम के NRC मसौदे से छूट गये लोगों को दूसरा मौका दिया जा रहा है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, NRC के दूसरे ड्राफ्ट से बाहर होने वाले नागरिक 25 सितंबर से 60 दिनों तक अपनी नागरिकता साबित कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों को एक और राहत दी है. कोर्ट ने कहा है कि NRC ड्राफ्ट से बाहर बचे नागरिक 15 दस्तावेजों में से 10 दस्तावेज दिखा सकते हैं. इस मामले में NRC को-आर्डिनेटर अन्य पांच दस्तावेजों पर अपनी राय बना सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर दस्तावेजों में कमी पाई जाती है, तो यह जरूरी नहीं है कि उस नागरिक को दूसरा मौका दिया जाए.
क्या है पूरा मामला?
असम में NRC के 30 जुलाई को जारी हुए दूसरे ड्राफ्ट में राज्य के 40 लाख से ज्यादा लोगों को जगह नहीं मिली है. एनआरसी का मकसद राज्य के असल नागरिकों और गैरकानूनी प्रवासियों की पहचान करना है. राज्य में रहने वाले हर शख्स को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत देने हैं कि वह गैरकानूनी प्रवासी नहीं है.
अंतिम ड्राफ्ट को जारी करते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने बताया था कि 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें 2.89 करोड़ वैध नागरिक पाए गए हैं, जबकि 40 लाख लोग नागरिकता से बाहर हो गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर तारीख तय की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनआरसी को-आॅर्डिनेटर इस मामले से जुड़ी गोपनीय जानकारी केंद्र सरकार से साझा नहीं कर सकता है. एनसीआर को-आॅर्डिनेटर इस मामले से जुड़ी कोई भी जानकारी मीडिया या फिर सार्वजनिक मंच पर साझा नहीं करेगा.
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