भारत की स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) का नाम 23 अगस्त को स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया. बुधवार की शाम 6ः04 बजे जैसे ही चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद की सतह पर उतरा, वैसे ही भारत और इसरो ने एक और इतिहास रच दिया. अब चांद को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि चांद का आकार वास्तव में गोल नहीं है, जानकर आश्चचर्य होगा लेकिन ये हकीकत है. हम आपको यहां चांद के बारे में ऐसे ही दस रोचक बातें बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
गोल नहीं है चांद
अक्सर लोगों को लगता है कि चांद का आकार गोल है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूरा गोल नजर आता है. हालांकि, इसका सही आकार अंडाकार है. हम धरती से जब चांद को देख रहे होते हैं तो इसका कुछ हिस्सा ही नजर आता है.
चांद न तो ग्रह है और ना ही तारा
बता दें कि चांद न ही ग्रह है और ना ही तारा. चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर घूमता है.
कैसे हुआ चांद का जन्म?
इसका जन्म तब हुआ, जब एक भटकता हुआ ग्रह पृथ्वी से टकरा गया. दोनों की टक्कर से भीषण मलबा पैदा हुआ, जो पहले तो धरती की कक्षा में घूमता रहा. फिर धीरे-धीरे एक जगह इकट्ठा होने लगा और जिसके बाद चंद्रमा का निर्माण हुआ.
धरती से उम्र में छोटा है चंद्रमा
चंद्रमा लगभग 4.51 अरब साल पुराना है. कुछ अंतरिक्ष यात्री धरती पर चांद के चट्टानों को लेकर आए थे, इनके विश्लेषण से पता चला कि चंद्रमा का निर्माण 4.51 अरब साल पहले हुआ था, सौर मंडल के बनने के ठीक 60 मिलियन साल बाद. चांद पृथ्वी से लगभग चार अरब साल छोटा है. वैज्ञानिकों के गणना के अनुसार पृथ्वी लगभग 4.54 अरब वर्ष पुरानी है.
चांद के कारण पृथ्वी की रफ्तार हो रही कम
जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, इस समय ज्वार भाटा का स्तर काफी बढ़ जाता है. इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के घूर्णन शक्ति को कम कर देता है. इसी कारण हर शताब्दी में पृथ्वी 1.5 मिलीसेकेंड धीमी होती जा रही है.
चांद का दक्षिणी ध्रुव रहस्मयी
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही चंद्रयान-3 लैंड करने की कोशिश करेगा. इसका दक्षिणी ध्रुव रहस्मयी माना जाता है. यहां पर अभी तक कोई नहीं पहुंच पाया है. नासा के मुताबिक, दक्षिणी ध्रुव पर पहाड़ और गहरे गड्ढे हैं. जिसकी जमीन पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती है.
अगर चांद न हो तो क्या होगा?
अगर चंद्रमा न हो तो बहुत बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. पहला, रातें बहुत अधिक अंधेरी होंगी. चंद्रमा के बिना, पृथ्वी पर एक दिन केवल छह से 12 घंटे का होगा. चंद्रमा न होने से पृथ्वी पर समुद्री ज्वार का आकार बदल जाएगा, जिससे वे अब की तुलना में लगभग एक तिहाई ऊंचे हो जाएंगे. वहीं, चंद्रमा के बिना कोई सूर्य ग्रहण नहीं होगा, क्योंकि सूर्य को अवरुद्ध करने वाला कुछ भी नहीं होगा.
चंद्रमा की रोशनी
चांद की रोशनी की बात करें तो पूर्णिमा के चांद की तुलना में सूरज 14 गुणा चमकीला होता है. सूरज के बराबर रोशनी करने के लिए 398,110 पूर्णमासी के चंद्रमा की जरूरत पड़ेगी.
पूरा नहीं दिखता चांद
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हम धरती से चांद का पूरा हिस्सा नहीं देख सकते हैं. हम उसका अधिकतम 59 फीसद हिस्सा ही देख पाते हैं. धरती से चांद का 41 फीसदी हिस्सा नजर नहीं आता है.
चांद पर आवाज सुनाई नहीं देती है
चांद पर वायुमंडल नहीं है. इसका मतलब वहां पर कोई आवाज नहीं सुनी जा सकती है. इसके अलावा चांद से आकाश हमेशा काला दिखाई देता है. वहीं, चंद्रमा में गुरुत्वाकर्षण (Gravity) तो है लेकिन धरती जितना मजबूत नहीं है. चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का लगभग 1/6 वां है. अगर किसी व्यक्ति का वजन धरती पर 60 किलोग्राम है तो चंद्रमा पर उसका वजन सिर्फ 10 किलोग्राम होगा.
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