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Covid फंड की आधी रकम भी खर्च नहीं कर पाए राज्य,महाराष्ट्र-राजस्थान-UP पीछे

केंद्र सरकार द्वारा कोरोना के लिए बने फंड से निर्धारित धनराशि का 50 फीसदी जारी किया जा चुका है.

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कोरोना (Corona) की तीसरी लहर के बीच एक बार फिर कोविड रिलीफ फंड को लेकर चर्चा हो रही है. केंद्र सरकार ने दावा किया है कि कोरोना के लिए बने फंड से निर्धारित धनराशि का 50 फीसदी जारी किया जा चुका है. लेकिन दूसरी ओर कई राज्यों ने अबतक आधी राशि तो दूर 25 फीसदी भी खर्च नहीं किया है.

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वहीं कोविड फंड खर्च करने के मामले में महाराष्ट्र का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. कोविड -19 से निपटने के लिए हेल्थ सिस्टम के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने के लिए केंद्र द्वारा जारी किए गए धन का 1% से भी कम खर्च किया है.

सभी राज्यों को मिलाकर देखें तो राष्ट्रीय स्तर पर, इमरजेंसी रिस्पांस एंड हेल्थ सिस्टम्स प्रिपेर्डनेस पैकेज सेकंड फेज (ईसीआरपी फेज-2) के तहत अब तक जारी किए गए 6,075 करोड़ रुपये में से, केवल 1,679 करोड़ रुपये या लगभग 27% राज्यों द्वारा खर्च किए गए हैं.

क्या है इमरजेंसी रिस्पांस एंड हेल्थ सिस्टम्स प्रिपेर्डनेस पैकेज?

बता दें कि इस योजना का उद्देश्य कोविड -19 द्वारा उत्पन्न खतरे को रोकना, पता लगाना और प्रतिक्रिया देना और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए नेशनल हेल्थ सिस्टम को मजबूत करना है.

ईसीआरपी II के तहत, केंद्र ने पूरे भारत में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे और संसाधनों को बेहतर करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का फंड दिया है, जबकि राज्यों को भी 1 जुलाई, 2021 से 31 मार्च, 2022 के बीच सामूहिक रूप से 8,123 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. यानी कुल 23,123 करोड़ रुपये का प्रावधान है.

ये राशी कैबिनेट द्वारा 8 जुलाई 2021 को स्वीकृत किया गया था.

यूपी से लेकर राजस्थान खर्च करने में पीछे

महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान भी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है. राजस्थान से कोविड फंड में से 5 फीसदी से भी कम खर्च किए. वहीं कोरोना से लड़ने के लिए यूपी को इस फंड में 2,690.07 करोड़ रुपये मिलने हैं. इसमें से 939.94 करोड़ जारी हो चुके हैं लेकिन सरकार केवल 87.05 करोड़ यानी 9.26 प्रतिशत ही खर्च कर पाई.

बिहार, देश का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जो अपनी सीमित स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए जाना जाता है. बिहार ने सिर्फ 18% धन खर्च किया है.

इसी तरह कम खर्च करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र 0.32 फीसदी, असम 0.38 फीसदी, जम्मू-कश्मीर 2.44 प्रतिशत, उत्तराखंड ने 6.28 फीसदी, हिमाचल प्रदेश ने 9.94 फीसदी पैसे ही खर्च किए हैं.

अब तक, सिर्फ पांच राज्यों ने 50% से अधिक के खर्च की जानकारी दी है जिसमें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. दिल्ली ने अपने कोष से निर्धारित राशि से ज्यादा खर्च किए है, दिल्ली ने जारी किए गए केंद्रीय कोष का 138 फीसदी खर्च किया है.

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