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रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रदर्शन में बवाल, FORDA ने किया संस्थान बंद करने का ऐलान

दिल्ली पुलिस का दावा है कि ITO के पास रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान खुद 7 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.

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दिल्ली पुलिस (Delhi Police) द्वारा राज्य और केंद्र संचालित सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टरों (Resident Doctors) को हिरासत में लेने के बाद फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने "आज से सभी स्वास्थ्य संस्थानों को पूरी तरह से बंद करने की घोषणा" कर दी है.

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NEET-PG काउंसलिंग में देरी के विरोध में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से सुप्रीम कोर्ट की ओर रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध मार्च को दिल्ली पुलिस द्वारा ITO डाकघर के पास रोका गया.

FORDA ने दावा किया है कि शांतिपूर्वक विरोध कर रहे डॉक्टरों को दिल्ली पुलिस के जवानों ने बेरहमी से पीटा, घसीटा और हिरासत में लिया जबकि दिल्ली पुलिस का दावा है कि ITO के पास रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान खुद 7 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.

“पुरुष पुलिसकर्मियों का वर्णन करने के लिए बेशर्म भी एक छोटा सा शब्द है”

सफदरजंग अस्पताल की एक महिला डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से कहा कि,

"महिला रेजिडेंट डॉक्टरों को बेरहमी से घसीटते पुरुष पुलिसकर्मियों के लिए बर्बर और निर्दयी ही नहीं, बेशर्म भी एक छोटा सा शब्द है! मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि ये बातें मेरे और मेरी महिला सहकर्मियों के साथ मेरी आंखों के सामने हुई हैं. मैं अवाक हूं"

बयान जारी कर FORDA ने "पुलिस की बर्बरता" का दावा किया और इसे "मेडिकल फैटर्निटी के इतिहास में काला दिन" कहा. इसने पुलिस कार्रवाई की निंदा की और घोषणा की कि आज से सभी स्वास्थ्य संस्थान पूरी तरह से बंद रहेंगे.

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रेजिडेंट डॉक्टर विरोध क्यों कर रहे हैं?

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लगभग 5,000 रेजिडेंट डॉक्टरों ने 17 दिसंबर को NEET-PG काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में देरी के खिलाफ हड़ताल का एक और राउंड शुरू किया था.

मई में होने वाली NEET परीक्षा को COVID-19 की दूसरी लहर के कारण सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.

डॉक्टरों के नए बैच की काउंसलिंग और प्रवेश में देरी EWS के छात्रों को 10% आरक्षण देने के जुलाई 2021 में केंद्र के फैसले के कारण है जिसमें आय सीमा 8 लाख रुपये प्रति वर्ष निर्धारित की गई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा निर्धारित सीमा पर संदेह व्यक्त किया था.

25 नवंबर को केंद्र सरकार ने कहा था कि वह SC को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए एक समिति बनाएगी.

हालांकि डॉक्टर चाहते हैं कि प्रक्रिया में तेजी लाई जाए क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टरों के एक नए बैच का एडमिशन नहीं होने के कारण देश भर में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी हो रही है और वर्तमान रेजिडेंट डॉक्टरों पर वर्क लोड बढ़ रहा है.

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