लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले चुनाव आयोग (Election Commission) ने राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रचार से जुड़ा सख्त गाइडलाइन जारी किया है. आयोग ने चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिग को शामिल करने पर रोक लगा दी है. आयोग का कहना है कि अगर कोई उम्मीदवार गाइडलाइन का उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
चुनाव आयोग की गाइडलाइंस में क्या है?
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग ने सोमवार, 5 जनवरी को सख्त निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत चुनाव प्रचार में बच्चों या नाबालिगों को शामिल करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. आयोग ने पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह से बच्चों को शामिल करने के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की बात कही है.
आयोग ने कहा है कि "राजनीतिक दलों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया जाता है कि वो बच्चों को किसी भी प्रकार के चुनाव अभियान में शामिल न करें, जिसमें रैलियां, नारे लगाना, पोस्टर या पैम्फलेट का वितरण, या कोई अन्य चुनाव-संबंधी गतिविधि शामिल है."
इसके साथ ही आयोग ने कहा कि राज नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से प्रचार गतिविधियों में बच्चों को शामिल नहीं करना चाहिए, जिसमें बच्चे को गोद में लेना, वाहन में बच्चे को ले जाना या रैलियों में शामिल करना शामिल है.
चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों द्वारा कविता, गीत, बोले गए शब्दों, प्रतीक चिन्हों, राजनीतिक दल की विचारधारा, उनकी उपलब्धियों को बढ़ावा देने सहित किसी भी तरीके से राजनीतिक अभियान से जुड़ी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करने पर रोक रहेगी.
सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है. इसके साथ ही आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वो चुनाव-संबंधी कार्य या गतिविधियों के दौरान किसी भी क्षमता में बच्चों को शामिल करने से बचें.
आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का दिया हवाला
आयोग ने गाइडलाइन जारी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है. चेतन रामलाल भुटाडा बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य केस में 4 अगस्त, 2014 को अपने फैसले में कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया था कि राजनीतिक दल बच्चों को चुनाव प्रचार में शामिल न करें और अपने उम्मीदवारों को भी इसकी अनुमति न दें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)