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EVM-VVPAT मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, अदालत में क्या-क्या हुआ?

EVM बनाने वालों को ये नहीं पता होता कि कौन सा बटन किस राजनीतिक दल को आवंटित किया जाएगा- चुनाव आयोग

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) वोटों की VVPAT (वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिकाओं पर गुरुवार, 18 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया है.

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने कोर्ट को बताया कि ईवीएम बनाने वालों को ये नहीं पता होता है कि कौन सा बटन किस राजनीतिक दल को आवंटित किया जाएगा या कौन सी मशीन किस राज्य या निर्वाचन क्षेत्र को आवंटित की जाएगी.

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सुनवाई के दौरान क्या-क्या कहा गया?

मामले पर दूसरे दिन की सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि मतदान से सात दिन पहले, उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में वीवीपैट मशीन की 4 एमबी फ्लैश मेमोरी पर चिन्हों की तस्वीर को अपलोड किया जाता है.

अधिकारी ने आगे बताया कि बैलेट यूनिट (जिसपर वोट के लिए बटन दबाया जाता है) वह किसी खास कैडिडेट या चिन्ह के पक्ष में काम नहीं करती है. उसमें केवल कुछ बटन होते हैं जिसके सामने पार्टी के चिह्न चिपकाए जाते हैं. जब कोई बटन दबाया जाता है, तो बैलेट यूनिट कंट्रोल यूनिट को एक संदेश भेजती है, जो वीवीपैट यूनिट को अलर्ट करती है, फिर वीवीपैट दबाए गए बटन से मेल खाने वाले चिन्ह को प्रिंट कर देता है.

इस बीच, याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने एक मलयालम दैनिक की रिपोर्ट का हवाला दिया कि बुधवार को केरल में एक मॉक पोल के दौरान, चार ईवीएम और वीवीपैट ने बीजेपी के चिन्ह के पक्ष में एक अतिरिक्त वोट दर्ज किया था. इसके बाद अदालत ने चुनाव आयोग से इस दावे की पुष्टी करने के लिए कहा है.

दोपहर में जब अदालती कार्रवाई दोबारा शुरू हुई तब आयोग ने कहा कि उसे अधिकारियों से एक रिपोर्ट मिली है और दावा "झूठा" पाया गया है.

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कोर्ट में द क्विंट की रिपोर्ट का फिर जिक्र हुआ

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने 2019 के लोकसभा चुनावों में डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच कथित विसंगतियों के संबंध में 'द क्विंट' की 2019 की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है.

तर्क का जवाब देते हुए, ईसीआई ने ईवीएम-वीवीपीएटी मामले में एक बयान दायर किया, जिसमें कहा गया कि विसंगतियां लाइव वोटर्स के वोटिंग डेटा के साथ थी, जो उसकी वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, न कि ईवीएम के साथ कोई गड़बड़ी थी. इसमें आगे बताया गया कि डेटा मतदान केंद्रों के पीठासीन अधिकारियों के इनपुट के आधार पर वास्तविक समय के आधार पर वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था.

बता दें कि द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, 373 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच अंतर था. सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम-वीवीपैट मामले में याचिकाकर्ताओं ने रिपोर्ट का हवाला देकर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे.

वहीं सुनवाई के दौरान जस्टिस खन्ना ने ये भी कहा कि, "अब आप बहुत ही आगे निकल गए हैं. हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता. आप हर चीज की आलोचना नहीं कर सकते. अगर उन्होंने कुछ अच्छा किया है तो कृपया उसकी भी सराहना करें. हमने आपकी बात सुनी क्योंकि हम भी चिंतित हैं."

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