भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) की अंतरराष्ट्रीय सरहद से 40 किलोमीटर राजस्थान में भारतमाला परियोजना के तहत एक ऐसा हाइवे तैयार किया गया है, जहां से लड़ाकू विमानों का ऑपरेशन होगा.
भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर से करीब 40 किलोमीटर पहले राजस्थान के बाड़मेर-जालौर जिले के बॉर्डर पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी लिमिटेड की बनाई गई है. 3.5 किलोमीटर लंबी एयर स्ट्रिप पर फाइटर प्लेन लैंडिंग और टेक ऑफ करके राजस्थान की धरती से गुरूवार को इतिहास रचा गया है.
इसके पहले लखनऊ-आगरा यमुना एक्सप्रेस-वे पर फाइटर जेट विमानों ने लैंडिंग का अभ्यास किया था.
राजनाथ और नितिन गडकरी को लेकर सेना के सुपर हरकुलिस ने हाईवे पर बनी 3 किलोमीटर की एयर स्ट्रिप पर लैंडिंग की. इसके बाद फाइटर जेट सुखोई MKI-30 और जगुआर भी यहां उतरे. यह पाकिस्तान बॉर्डर से सटी देश की पहली इमरजेंसी हवाई पट्टी है, साथ ही पाकिस्तान सीमा से 40 किलोमीटर दूर हाईवे पर रक्षा मंत्री राजनाथ और नितिन गडकरी ने इमरजेंसी फील्ड लैंडिंग स्ट्रिप देश को सौंपी. बाद में हुए एक समारोह में राजनाथ सिंह और गड़करी ने मौजूद लोगों को संबोधित भी किया.
देश में सामरिक दृष्टि से वायुसेना के लिए इसे बड़ा उपयोगी बताया जा रहा है. राजस्थान में इंटरनेशनल बॉर्डर के पास बाड़मेर-जालौर जिले के बॉर्डर पर जिले के चितलवाना में ये रनवे बनाया गया है. नेशनल हाईवे-925ए पर भारतमाला परियोजना में इसका निर्माण किया गया है. अब बाड़मेर और जालौर जिले के अगड़ावा से सेसावा के बीच एयर स्ट्रिप पर आपात स्थिति में एयर फोर्स और आर्मी इसका इस्तेमाल कर सकेंगी.
उद्घाटन से पहले बुधवार को सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक इस एयर स्ट्रिप पर फाइटर प्लेन की लैंडिंग और रनवे की टेस्टिंग कराई गई. इस हवाई पट्टी को बनाने में 32.95 करोड़ रुपए लागत आई. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से महज 40 किलोमीटर दूरी पर यह हवाई पट्टी बनाई गई है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी की ओर से भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बने हाइवे पर 3.5 किलोमीटर लंबी यह एयर स्ट्रिप बाड़मेर-जालोर बॉर्डर पर बनाई गई है.
फाइटर प्लेन पार्किंग की भी सुविधा उपलब्ध
एयर स्ट्रिप के दोनों छोर पर 40 गुणा 180 मीटर की दो पार्किंग भी बनाई गई है, जिससे फाइटर प्लेन को वहां पार्क किया जा सके. इसके सहारे से 3.5 किलोमीटर लंबी 7 मीटर चौड़ी सर्विस रोड भी बनाई गई है. बॉर्डर इलाके में गांधव से साता, बाखासर, गागरिया तक एनएच-925 और 925-ए का निर्माण करवाया गया है. ये हाइवे प्रोजेक्ट 2019 में ही पूरा होने पर चालू हो गया था. भारतमाला प्रोजेक्ट के इन दोनों हाइवे पर करीब 962 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)