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ज्ञानवापी केस: "मुझे इच्छामृत्यु चाहिए"-वादी ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

Shringar Gauri Case: राखी ने आरोप लगाया है कि मई 2022 में, इन्हीं लोगों ने झूठा प्रचार किया कि केस वापस ले रही हूं.

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Gyanvapi Shringar Gauri Case: वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अब नया मोड़ आ गया है. मुकदमे की वादी राखी सिंह ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर इच्छा मृत्यु की मांग की है. राखी के पत्र को उनके चाचा और मुकदमे के पैरोकार जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर वायरल किया है.

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राखी ने पत्र में क्या लिखा?

राखी सिंह ने पत्र में आरोप लगाया है कि मुकदमे की अन्य सहयोगी- लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, उनके वकील और वकील के बेटे द्वारा उन्हें (राखी) मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है.

क्यों की इच्छा मृत्यु की मांग?

राखी ने कहा, "मई 2021, से लेकर अब तक, मेरे चाचा जितेंद्र सिंह और चाची किरन सिंह के खिलाफ दुष्प्रचार करके हमें और हमारे परिवार को बदनाम किया जा रहा है. इस कार्य में शासन एवं प्रशासन के लोग भी शामिल हैं. ऐसे में वह इच्छा मृत्यु की मांग करती हैं."

राखी ने क्या आरोप लगाये?

राखी सिंह ने आरोप लगाया है कि मई 2022 में, इन्हीं लोगों ने एक झूठा प्रचार किया कि "मैं मुकदमा वापस ले रही हूं", जबकि मेरी तरफ से कोई ऐसा बयान नहीं आया था और न ही कोई सूचना जारी की गयी थी. इस मुकदमे में मेरी तरफ से पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन ने भी मेरे हवाले से कोई सूचना जारी नहीं की थे."

पूरे देश में भ्रम फैलाकर मेरे एवं मेरे परिवार के खिलाफ सारे हिंदू समाज को खड़ा कर दिया गया. इससे, मैं और चाचा का पूरा परिवार मानसिक दबाव में आ गये हैं.
राखी सिंह, वादी

'केस नष्ट कर दिया गया'

राखी सिंह ने कहा कि चार वादी महिलाओं के जरिए ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मुख्य मुकदमा (भगवान आदि विशेश्वर विराजमान) द्वारा किरन सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया.

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यदि मैंने शृंगार गौरी के नियमित पूजा का मुकदमा न डाला होता तो मेरी चार साथी महिलाएं वर्चस्व में न आतीं और न ही भगवान आदि विशेश्वर विराजमान का मुकदमा खराब कर पातीं."

राखी का 9 जून तक अल्टीमेटम

राखी सिंह का कहना है कि वो नौ जून की सुबह नौ बजे तक जवाब का इंतजार करेंगी, फिर आगे का फैसला लेंगी.

राखी सिंह और अन्य वादियों के बीच क्या विवाद?

राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन ने बताया कि ज्ञानवापी के मुकदमे में उस दिन से रास्ते अलग हो गए थे, जिस दिन पहली बार चारों वादी महिलाओं ने यह अफवाह फैलाई कि राखी सिंह अपना केस वापस ले रही हैं.

इस पर मुहर तब लगी जब कथित शिवलिंग की 'कार्बन डेटिंग' का राखी ने विरोध किया और चारों वादी महिलाएं शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग पर जोर देती रही.

हालांकि, हाईकोर्ट ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को सही नहीं मानते हुए रोक लगा दी है.

मुकदमे में क्या मांग की गई है?

राखी सिंह समेत पांच वादी महिलाओं ने जो मुकदमा दायर किया है, उसमें सिर्फ पूजा के अधिकार की मांग की गई है.

'पूरे देश में धर्म से जुड़े 171 केस'

ज्ञानवापी मामले के अहम पैरोकार जितेंद्र सिंह 'विसेन' ने केस की पैरवी छोड़ने का ऐलान किया है. विसेन का दावा है कि उनके परिवार (भतीजी राखी सिंह, पत्नी किरन सिंह और अन्य) की ओर से देशभर में कुल 171 मुकदमे धर्म की लड़ाई से जुड़े हैं.

'हम पैरवी बंद कर देंगे'

'विसेन'ने दावा किया, "मेरे केस वापस लेने के बाद पूरा ज्ञानवापी केस अंजुमन इंतजामिया के पक्ष में चला जाएगा, और ज्ञानवापी हिंदुओं के लिए महज एक सपना बनकर रह जाएगा. अब हम अपनी पैरवी बंद कर देंगे."

हम ना तो कोर्ट जाएंगे और न ही शासन-प्रशासन से कोई डिमांड करेंगे. हम किसी तरह का कोई प्रयास नहीं करेंगे. इस तरह से ज्ञानवापी के कई मुकदमे निरस्त हो जाएंगे.
जितेंद्र सिंह, पैरोकार, ज्ञानवापी केस
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'किसी मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा'

विसेन के इस दावे पर हिंदू पक्ष के पैरोकार और सुप्रीम कोर्ट में वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि किसी भी मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. तकनीकी पक्ष यही कहता है कि किसी के हाथ पीछे खींचने पर केस की मेरिट पर शून्य फीसदी भी फर्क नहीं पड़ने वाला है.

विसेन ने क्या दावा किया?

विसेन का कहना है कि कुल 8 केस वाराणसी कोर्ट द्वारा क्लब किए गए हैं. इनमें सभी 7 मामले राखी सिंह के श्रृंगार गौरी की पूजा वाले मामले के साथ क्लब किए गए हैं. यानी कि उनका अस्तित्व खत्म हो चुका है.

उन्होंने कहा, "राखी सिंह का मुख्य केस हमारे द्वारा आगे न लड़ने की वजह से रद्द हो जाएगा. ये सार्वजनिक मुकदमा है. राखी सिंह के साथ क्लब मुकदमों में अब कोई गवाही नहीं होगी. कोई प्रोसिडिंग नहीं होगी. मुस्लिम पक्ष की ओर से कोई भी जवाब दाखिल नहीं होगा. ऐसे में सभी 8 मामले निरस्त हो जाएंगे."

'एक ही मुकदमा ज्ञानवापी को बचा सकता है'

विसेन का कहना है कि ज्ञानवापी से जुड़ा एक ही मुकदमा है जो ज्ञानवापी को बचा सकता है, वह है आदि विश्वेश्वर विराजमान. यही परिसर और स्थान का मुकदमा है. इसकी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी. लेकिन 17 अप्रैल को वाराणसी जिला न्यायालय ने 7 मुकदमों को क्लब करने की सुनवाई के लिए आदि विश्वेश्वर विराजमान फाइल मंगा लिया. इस केस का श्रृंगार गौरी पूजा वाले मामले में विलय हो गया.

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'श्रृंगार गौरी केस सिर्फ पूजा के लिए है'

विसेन ने कहा कि श्रृंगार गौरी वाला मामला केवल पूजा के लिए मुकदमा हुआ है, इसमें जमीन की बात नहीं है. जमीन तो अभी भी ज्ञानवापी के पास ही रहेगी. श्रृंगार गौरी में पूजा की सुनवाई को लेकर जो आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट का आया है, उसमें केवल 5 महिलाओं के पूजा की मांग है. छठे व्यक्ति की नहीं. उन्होंने कहा कि इससे आम श्रद्धालुओं का क्या फायदा होगा.

'जमीन के मालिकाना हक के 6 सूट चल रहे'

विष्णु जैन ने कहा कि यह भी निराधार है कि अब ज्ञानवापी के स्थान और जमीन से जुड़ा कोई मुकदमा कोर्ट में नहीं चल रहा है. वाराणसी के महंत शिव प्रसाद पांडेय की याचिका में भी इस बात का जिक्र है. विसेन से पहले ही यह सिविल सूट (नंबर 4 पहले 810 था) कोर्ट में दाखिल है.

जैन ने कहा कि विसेन परिवार द्वारा तो इसी याचिका की हूबहू कॉपी कोर्ट में दायर की गई है. जमीन के मालिकाना हक के 6 सूट हैं. इसमें से एक दर्शन-पूजन के हैं. इस तरह से ये केस पहले से चल रहा है, इस पर कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला.

हमने पहले ही पूरे परिसर के साइंटिफिक सर्वे की मांग कोर्ट से की है. यदि सर्वे होता है, तो यह साबित हो जाएगा कि पूरा परिसर हिंदू आस्था से जुड़ा है. फिर, जमीन पर मुस्लिम पक्ष का अधिपत्य कैसे रह जाएगा.
विष्णु जैन, वकील, सुप्रीम कोर्ट
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'हम सभी मुकदमों से हट रहे'

जितेंद्र सिंह'विसेन' ने कहा, "मेरा परिवार उन सभी मुकदमों से अपने आप को हटा रहा है, जो मुकदमे धर्म के हित में हमारे परिवार द्वारा विभिन्न न्यायालयों में दायर किए गए थे."

'अब और नहीं सहा जाता'

उन्होंने कहा कि अपने ही समाज द्वारा हमें गद्दार घोषित किया जा चुका है. शासन द्वारा भी केवल हमें ही प्रताड़ित करने का काम किया गया है. क्षमा चाहता हूं, अब और नहीं सहा जाता.

रोजाना पूजा से क्या चरित्र बदलेगा?

कोर्ट ने कहा, "1990 तक रोजाना मां श्रृंगार गौरी, हनुमान व गणेश देवता की पूजा होती थी. बाद में साल में एक बार पूजा की अनुमति है. तो सरकार या स्थानीय प्रशासन रेगुलेशन से नियमित पूजा की व्यवस्था कर सकती है. इसका कानून से कोई संबंध नहीं. यह प्रशासन और सरकार के स्तर तक मामला है."

VHP-RSS पर लगाये आरोप

राखी सिंह ने चाचा बिसेन को लिखा, "गद्दारों के द्वारा ज्ञानवापी मुस्लिम पक्ष को उपहार में देने की आप सभी को मंगलमय शुभकामना. गद्दार और विधर्मी जीत गए. हम अपना सर्वस्व निछावर करने के बाद भी यह धर्म युद्ध हार गए. इस हार में गद्दारों और विधर्मियों के अतिरिक्त सबसे बड़ा योगदान VHP, RSS और सरकार के कुछ अधिकारी है."

जितेंद्र सिंह ने क्या लिखा?

जितेंद्र सिंह ने लिखा,"मर कर कभी भी कोई युद्ध नहीं जीता जा सकता. युद्ध जीतने के लिए जीवित रहना अति आवश्यक है. यह बात सभी को समझनी चाहिए, चाहे मेरे अपने हों या कोई अन्य. हां कभी कभी युद्ध जीतने के लिए दो कदम पीछे हटना पड़े, तो दो कदम पीछे भी हट जाना चाहिए. यही युद्ध नीति है."

(इनपुट-चंदन पांडेय)

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