"अरे तुम ईसाई, मुसलमानों को कब मारोगे? तुम्हारे पास क्या है जो मारोगे? इतनी सी चाकू है, जो सब्जी काटते हो, वो चाकू से कुछ नहीं होने वाला, हथियार रखो." ये भड़काऊ भाषण 5 जनवरी 2023 को दिल्ली के जंतर मंतर पर हुए 'धर्म संसद' में महामंडलेश्वर स्वामी भक्त हरि सिंह ने दिया है. भड़काऊ भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
लेकिन अब इस पूरे मामले में एक नया मोड़ आ गया है. दरअसल, हिंसा के लिए उकसाने वाला भाषण जिसने दिया या ऐसे कार्यक्रम का जिसने आयोजन किया है उसे नहीं बल्कि इस खबर को दिखाने वाले मॉलिटिक्स नाम की मीडिया हाउस को पुलिस ने नोटिस भेज दिया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) के समर्थन में ‘धर्म संसद' का आयोजन किया गया था. ये कार्यक्रम बालाजी धाम शिष्य मंडल दिल्ली के प्रदीप खटकड़ द्वारा आयोजित किया गया था.
इसी दौरान मंच से संत के कपड़े में 83 साल के महामंडलेश्वर स्वामी भक्त हरि सिंह ने वहां मौजूद भीड़ से मुसलमानों और ईसाईयों के खिलाफ हथियार उठाने के लिए कहा.
"83 साल का हूं, 80 को मारा है, शतक कर लूंंगा तब मरूंगा"
भक्त हरि सिंह ने कार्यक्रम के दौरान इस बात को भी कबूल किया कि उसने 80 लोगों की हत्या की है. भक्त हरि सिंह ने कहा, "80 को काटा है, 83 साल मेरी उम्र है. शतक पूरा करके मरूंगा."
इस पूरी घटना को मॉलिटिक्स इंडिया के एडिटर नीरज झा ने कवर किया. मॉलिटिक्स इंडिया ने इस कार्यक्रम का वीडियो और भाषण अपने यूट्यूब और ट्विटर पर शेयर किया. जिसे विपक्षी पार्टी के नेताओं से लेकर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शेयर किया. साथ ही दिल्ली पुलिस से भड़काऊ भाषण देने वालों पर एक्शन लेने को कहा.
क्विंट हिंदी से बात करते हुए नीरज झा कहते हैं,
हमें जंतर मंतर पर होने वाले दो कार्यक्रम की जानकारी मिली थी. एक कार्यक्रम सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के समर्थन में हो रहा था और दूसरा कार्यक्रम पंडित धीरेंद्र शास्त्री को जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर था. हम पत्रकार हैं और हमारा काम है रिपोर्ट करना, तो मैं और मेरे सहयोगी कैमरा पर्सन वहां पहुंच गए. इसी दौरान वहां भड़काऊ भाषण हुए.
नीरज कहते हैं कि पुलिस ने हमें भड़काऊ भाषण देने को लेकर नोटिस दिया है, लेकिन जब जंतर मंतर पर ये सब हो रहा था तब वहां हमेशा की तरह पुलिस भी मौजूद थी. नीरज कहते हैं, "रिपोर्ट करना हमारा काम है, किया और आगे भी करते रहेंगे. पुलिस से उम्मीद है कि वो अपना काम करते हुए नफरती पर कार्रवाई करे. कार्रवाई होगी, एक दो लोग पकड़े जाएंगे तो इन हेट स्पीच पेडलर्स को सबक मिलेगा."
नीरज ने बताया कि जंतर मंतर पर सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के समर्थन में हुए कार्यक्रम में बीजेपी नेता सूरज पाल अमू भी मौजूद थे. इस दौरान सूरज पाल अमू ने एक सवाल के जवाब में कहा कि संविधान क्या कहता है वो आप जानों, भारत हिंदू राष्ट्र ही है, मेरे हिसाब से हिंदू राष्ट्र था, हिंदू राष्ट्र है. मुगल चले गए, अंग्रेज चले गए. तो ये हिंदू राष्ट्र ही है.
नीरज बताते हैं कि उन्हें इस कार्यक्रम की रिपोर्टिंग की वजह से सोशल मीडिया के माध्यम से ही दिल्ली पुलिस का नोटिस मिला है. हालांकि अबतक कोई लिखित हार्ड कॉपी नहीं मिली है. और अगर मिलती है तो हम उसका जवाब देंगे.
दिल्ली पुलिस ने नोटिस में क्या लिखा है?
डीसीपी नई दिल्ली की ट्विटर हैंडल से मॉलिटिक्स को जो नोटिस दिया गया है उसमें लिखा है,
“यह देखा गया है कि आप आपत्तिजनक, दुर्भावनापूर्ण और भड़काऊ पोस्ट करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं. नई दिल्ली जिले का साइबर पुलिस स्टेशन, दिल्ली पुलिस के नई दिल्ली जिले में साइबर अपराधों के लिए नोडल एजेंसी आपके खिलाफ धारा 149 सीआरपीसी के तहत आपत्तिजनक, दुर्भावनापूर्ण और भड़काऊ मैसेज पोस्ट करने के लिए नोटिस जारी करता है, जो कानून और व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.
वहीं जब इस मामले पर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो हमें कोई ठोस जवाब नहीं मिला. अधिकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए मामला संज्ञान में आया है, लीगल प्रोसेस कर रहे हैं.
फिलहाल भड़काऊ भाषण देने वालों पर क्या कार्रवाई हुई है इसकी जानकारी पुलिस ने नहीं दी है.
वहीं दिल्ली पुलिस के इस नोटिस पर ट्विटर पर ही मॉलिटिक्स ने भी जवाब दिया है. मॉलिटिक्स ने कहा है कि उसे यह जानकर अच्छा लगा कि दिल्ली पुलिस भी हेट स्पीच के खिलाफ है. लेकिन ये दुखद है कि दिल्ली पुलिस हेट स्पीच देने वाले नफरती लोगों के बजाय हमारी संस्था को नोटिस भेज रही है. उम्मीद करते हैं कि ऐसी घटना रिपोर्ट करने की जरूरत न पड़े, लेकिन इसमें हमें पुलिस के सहयोग की जरूरत है. ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई की जाए तो ये घटनाएं रुकेंगी. और जिस दिन ये घटनाएं रुक जाएंगी, इनके रिपोर्ट का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन घटनाएं होती रहीं तो रिपोर्टिंग भी होती रहेगी.
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