जहांगीरपुरी हिंसा(Jahangirpuri Violenc) में कथित रूप से शामिल आठ लोगों की जमानत दिल्ली की एक कोर्ट ने खारिज कर दी है, जिसमें कहा गया है कि उनकी रिहाई गवाहों को प्रभावित कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी इलाके के जाने-माने अपराधी हैं और इसलिए कोई गवाह सामने नहीं आएगा.
न्यायाधीश ने अवैध जुलूस को नहीं रोकने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह पुलिस की विफलता को दर्शाता है. अदालत ने पुलिस प्रमुख को मामले की जांच के आदेश देते हुए कहा कि दोषी अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जाए.
कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे को दरकिनार कर दिया है. न्यायाधीश ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की ओर से जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और पुलिस अवैध गतिविधियों को रोकने में विफल न हो.
क्या था मामला ?
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 14 अप्रैल को हनुमान जयंती जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. पथराव किया गया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था. इसके बाद हुई हिंसा में आम नागरिक और कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे. जुलूस में कथित तौर पर तलवारें और हथियार भी लहराए गए थे.
करीब आठ राउंड गोलियां चलाई गईं, जिसमें दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर मेडलल मीणा घायल हो गए थे
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