“जहां फसाद शुरू हुआ, हम वहां से काफी दूर रहते हैं. मेरा बेटा काम के लिए घर से बाहर निकला. वह कबाड़ी का काम करता है. पुलिस ने उसे शक की बिना पर गिरफ्तार कर लिया. उसका एक पैर नकली है. उसने उस दिन कुछ नहीं किया था.” हामिद की मां रूबीना शेख कहती है.
हामिद उन 25 लोगों, ज्यादातर मुसलमान, में से एक है जो जहांगीरपुरी हिंसा (Jahagirpuri Violence) मामले में आरोपी हैं.
18 अप्रैल को दोपहर रूबीना अपने चार-पांच रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी पुलिस थाने के बाहर खड़ी थीं. वे लोग जानना चाहते हैं कि हामिद को किस मामले में गिरफ्तार किया गया है.
16 अप्रैल की शाम को हनुमान जयंती की शोभा यात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच पथराव शुरू हुआ, और इलाके में हिंसा भड़की. इस हादसे में कम से कम नौ लोग चोटिल हुए जिनमें सात पुलिसकर्मी शामिल हैं. एक को गोली भी लगी है.
“हामिद की उम्र 36 साल है. उसे गिरफ्तार किया गया है. वह एक कबाड़ी है. पूछताछ के दौरान उसने खुलासा किया कि उसने बोतलें सप्लाई की थीं जिन्हें घटना के दौरान फेंका गया.”डीसीपी (उत्तर पश्चिमी) उषा रंगनानी ने कहा.
रूबीना कहती है, “हामिद पढ़ा-लिखा नहीं है. पुलिस ने उससे कुछ कागजों पर दस्तखत कराए. उसने कुछ भी नहीं किया था.”
गिरफ्तारी के दो दिन बाद द क्विंट ने सात आरोपियों के परिवारों से बात की.
क्या हिंदू त्योहार मनाना कोई अपराध है?
जहांगीरपुरी जी-ब्लॉक की संकरी गली आस-पड़ोसियों से अटी हुई है. दुर्गा सरकार वहां गुस्से से भरी खड़ी हैं. दिल्ली पुलिस ने 17 अप्रैल, रविवार की रात उनके पति सुकेन सरकार, और उनके दो बेटों, 21 साल के सूरज और 19 साल के नीरज को गिरफ्तार किया है.
दुर्गा कहती हैं, “मेरे परिवार ने शोभा यात्रा के रथ का बंदोबस्त किया था. क्या इसी वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया है? मैं पूछती हूं, हिंदू त्योहार मानना, कब से अपराध हो गया है?”
उनके पति सुकेन टाइल्स की फैक्ट्री में मजदूर हैं, और उनके बेटे कॉलेज में पढ़ते हैं.
“मेरे पति ने मुझे बताया कि शोभा यात्रा शांति से निकल रही थी. फिर उन्होंने (मुसलमानों ने) पथराव करना शुरू कर दिया. उन्होंने ऐसा क्यों किया? जब वे अपना त्योहार मनाते हैं तो हम कोई परेशानी खड़ी नहीं करते. अगर हम हिंदुस्तान में जय श्रीराम के नारे नहीं लगा सकते, तो हम कहां जाएं?”
दुर्गा के पास में मीनू बैठी है. उसके पति सुजीत को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया है. सुजीत की उम्र 38 साल है. वह कहती है. “सुजीत ड्राइवर हैं. तीन महीने पहले उनकी नौकरी चली गई. ऐसा लगता है कि इस मोहल्ले में हम कोई भी त्योहार मना सकते हैं पर हनुमान जयंती नहीं.”
मीनू को अपने परिवार की माली हालत की चिंता है. वह कहती है, “हम दिहाड़ी मजदूर हैं. जिस दिन कमाई होती है, उस दिन हमें खाने को मिलता है.”
“उसने शाहीन बाग के धरने में हिस्सा लिया था. तो क्या?”
दिल्ली पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें लिखा है कि शोभा यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा तब शुरू हुई, जब अंसार नाम के एक आदमी, ने अपने कुछ दोस्तों के साथ जुलूस में भाग लेने वाले लोगों के साथ बहस करनी शुरू की.
एफआईआर में लिखा है, “हनुमान जयंती पर शोभा यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से निकाली जा रही थी. जब वह जुलूस सी-ब्लॉक की जामा मस्जिद के पास पहुंचा तो अंसार नाम का एक आदमी कुछ लोगों के साथ आया और यात्रा में हिस्सा लेने वाले लोगों के साथ बहस करने लगा. बात बढ़ती गई और दोनों तरफ से पथराव और नारेबाजी शुरू हो गई.”
बाद में पुलिस ने दावा किया कि अपनी जांच में उसने पाया कि अंसार पहले भी दो बार मारपीट के मामलों में शामिल रहा है. उसे प्रिवेंटिव सेक्शंस के तहत कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है. गैंबलिंग और आर्म्स एक्ट के तहत भी उस पर पांच बार मामले दर्ज किए गए हैं.
अबरार अहमद की दुकान अंसार के घर के बगल में है. उसने क्विंट को बताया कि "16 अप्रैल की शाम को अंसार ने हालात को काबू में करने की पूरी कोशिश की थी".
उसने बताया, “अंसार ने कम से कम दो बार यह बात समझाने की कोशिश की कि जुलूस मस्जिद के सामने से न निकाला जाए. उसी की वजह से जुलूस में शुरुआत में शांति कायम रही.”
अंसार की गिरफ्तारी के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप लगाए कि अंसार उनसे जुड़ा हुआ है.
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा, “हमले का मास्टरमाइंड अंसार AAP का कार्यकर्ता है. तमाम तस्वीरें इसका सबूत हैं. 2020 में दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड ताहिर हुसैन भी AAP का पार्षद था. क्या AAP दंगा फैक्ट्री चला रही है?”
इन दावों पर AAP के नेता और दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, “मुझे लगता है कि वह बीजेपी से जुड़ा हुआ है, चूंकि उसे सारी अंदरूनी कहानी पता है.”
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने यह दावा भी किया है कि अंसार ने नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग के प्रदर्शनों के लिए भीड़ जुटाई थी.
कपिल मिश्रा ने ट्विट किया था, “जहांगीरपुरी से जितने भी दंगाई धरे गए हैं, वे सभी दिल्ली दंगों और शाहीन बाग में शामिल थे. मुख्य अपराधी अंसार सड़कें बंद करने के लिए औरतों को यहां से सीलमपुर, जाफराबाद, शाहीन बाग ले गया था.”
आसिफ नाम का शख्स सी-ब्लॉक में अंसार की दुकान के पास रहता है. वह कपिल मिश्रा के दावे पर कहता है, प्रदर्शन में हिस्सा लेना कोई जुर्म नहीं है.
वह कहता है, “मैं अंसार को 20-25 साल से जानता हूं. उसकी मोबाइल की दुकान के पास ही मेरा मकान है. बहुत से लोग उसे मुजरिम बताने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उसने शाहीन बाग के धरनों में हिस्सा लिया था. लेकिन उसमें क्या दिक्कत है? हममें से बहुत से लोग शाहीन बाग गए थे. मैं भी गया था.”
''अपने मजहब की वजह से निशाना बनाया गया है''
मोहम्मद शागीर जहांगीरपुरी सी-ब्लॉक की एक छोटी सी झोपड़ी में रहता है. यह उस मस्जिद के काफी पास है जहां से हिंसा की शुरुआत हुई. उसके 22 साल के भाई जाकिर को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.
शागीर ने क्विंट को बताया, "वे सुबह 6 बजे हमारे घर आए, घर के दरवाजे तोड़े और मेरे भाई को ले गए."
शागीर ने इस बात से इनकार किया कि जाकिर ने जुलूस पर पथराव किया. "वह भीड़ से बहुत पीछे था, वह बिल्कुल भी शामिल नहीं था. अब पुलिस हमारे घरों में घुस रही है और मर्दों को ले जा रही है,” शगीर कहता है.
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