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जुनैद-नासिर केस: आरोपी मोनू मानेसर के लिए पंचायत,6 आयोजन जिनसे पुलिस पर उठे सवाल

कठुआ रेप केस में शामिल आरोपियों के समर्थन में रैली निकाली गई थी, जिसको 'तिरंगा यात्रा' का नाम दिया गया.

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जुनैद-नासिर केस (Junaid Nasir Murder Case) के आरोपी के समर्थन में मंगलवार, 21 फरवरी को हरियाणा के गुरुग्राम में हिंदू महापंचायत आयोजित की गई. इतना ही नहीं, आरोपी मोनू मानेसर की गिरफ्तारी को लेकर इस पंचायत में राजस्थान पुलिस को चेतावनी भी दी गई.

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी आरोपी के समर्थन में जनसभा हुई हो. ऐसे में जानते हैं कि इससे पहले आरोपियों के समर्थन में कौन-कौन सी सभाएं हुई हैं?

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1. कठुआ रेप और हत्या के आरोपियों के समर्थन में तिरंगा रैली

10 जनवरी 2018 को जम्मू कश्मीर के कठुआ में एक बच्ची को अगवा किया गया और गांव के एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया. चार्जशीट के मुताबिक, उसके साथ गैंगरेप किया गया. 13 जनवरी को गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी जाती है. इसके बाद 16 जनवरी को पीड़िता का शव इलाके में फेंक दिया गया था.

इस मामले में कुल 6 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था. हालांकि इसमें से एक आरोपी को बरी कर दिया गया था.

इस केस में शामिल आरोपियों के समर्थन में रैली निकाली गई और इसमें शामिल लोगों के हाथों में तिरंगा था. इसको 'तिरंगा यात्रा' का नाम दिया गया.

India Today की रिपोर्ट के मुताबिक इस रैली में भारतीय जनता पार्टी के नेता और तत्कालीन पीडीपी-बीजेपी सरकार में मंत्री चौधरी लाल सिंह (वन मंत्री) और चंद्र प्रकाश गंगा (वाणिज्य मंत्री) भी शामिल हुए थे. हालांकि इसके बाद राजनीतिक दबाव बढ़ने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

2. रेप के आरोपी बीजेपी विधायक के समर्थन में रैली

उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बांगरमऊ से चार बार के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर 17 साल की लड़की से रेप का आरोप लगा. रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला 4 जून, 2017 का है.

3 अप्रैल, 2018 को पीड़िता के पिता को एक अवैध हथियार मामले में गिरफ्तार किया गया. कुछ दिनों बाद 9 अप्रैल, 2018 को न्यायिक हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई.

28 जुलाई, 2019 को एक तेज रफ्तार ट्रक ने पीड़िता, उसकी दो मौसी और उनके वकील की कार को टक्कर मार दी थी. इस दौरान उसकी चाची की मौत हो गई, जबकि पीड़िता और उसका वकील गंभीर रूप से घायल हो गए.

मामला बढ़ने के बाद आरोपी विधायक को अगस्त 2019 में बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था.

1 अगस्त, 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के मामले और चार संबंधित मामलों को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और ट्रायल कोर्ट को 45 दिनों में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया.

इस मामले के आरोपी और पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के समर्थन में 23 अप्रैल 2018 को रैली की गई.

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया था कि उनके विधायक को 'राजनीतिक साजिश' का निशाना बनाया जा रहा है. कथित तौर पर नगर पंचायत अध्यक्ष अनुज दीक्षित के नेतृत्व में विरोध करने वाले समूह के लोग 'हमारे विधायक निर्दोष हैं' लिखे तख्तियों और बैनरों के लिए हुए देखे गए थे.

बता दें कि कुलदीप सिंह सेंगर को IPC की धारा 376 और POCSO अधिनियम की धारा 5 (C) और 6 के तहत दोषी ठहराया जा चुका है.

दिल्ली में क्रिमिनल एडवोकेट अहमद इब्राहीम ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा कि जब किसी को रैली निकालना होता है, प्रोटेस्ट करना होता है या कोई पंचायत करना होता है तो इसके लोकल पुलिस प्रशासन से अनुमति लेनी होती है. इस अनुमति पत्र में प्रोटेस्ट ऑर्गनाइज करने वाले लोग अंडरटेकिंग देते हैं कि इस सभा में कोई भी गैर-कानूनी चीजें नहीं होंगी और अगर ऐसा कुछ होता है तो इसके जिम्मेदार हम होंगे.

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3. लव जिहाद के नाम पर हत्या करने वाले शख्स के समर्थन में रैली

दिसंबर 2017 में राजस्थान के राजसमंद में कथित तौर पर शंभुलाल रैगर नाम के एक शख्स ने लव जिहाद के नाम पर पश्चिम बंगाल के रहने वाले युवक अफराजुल उर्फ भुट्टू की पहले हत्या की और बाद में उसे पेट्रोल डालकर जला दिया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था.

बता दें कि पश्चिम बंगाल का रहने वाला अफराजुल पिछले 20 साल से राजसमंद में रहकर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में ठेकेदारी का काम करता था.

कुछ दिनों बाद 14 दिसंबर 2017 को हत्याकांड के आरोपी शंभूलाल रेगर के समर्थन में रैली निकाली गई. रैली से पहले खुद को विश्व सनातन संघ का राष्ट्रीय प्रचारक बताने वाले उपदेश राणा नाम के शख्स ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके रैली का ऐलान किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस रैली में पथराव हुआ और 4-5 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. हालांकि पुलिस ने रैली में शामिल 50 लोगों को हिरासत में लिया था और इस दौरान उदयपुर में पुलिस को धारा 144 लगाना पड़ा था.

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4. गुजरात: वडोदरा में रेप आरोपी के समर्थन में रैली

2018 में गुजरात के महिसागर जिले के संतरामपुर पुलिस स्टेशन में हत्या के आरोप में हिरासत में ली गई महिला ने पुलिस कॉन्स्टेबल पर रेप का आरोप लगाया था. Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक महिला ने आरोप लगाया कि 29 मई की दोपहर को पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद उसे प्रताड़ित किया गया और उसके साथ बलात्कार किया गया. पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया था कि उसे बिजली के झटके दिए गए, पीटा गया और उसके हाथों को पिन से छेद दिया गया.

इसके बाद अगस्त में महिसागर जिले के लूनावाड़ा शहर के निवासियों ने पुलिस हिरासत में बलात्कार के आरोपी पुलिस कांस्टेबल मिनेश भुनेकर के समर्थन में एक रैली निकाली थी.

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5. बुलंदशहर: इंस्पेक्टर की हत्या के आरोपियों का स्वागत

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 3 दिसंबर 2018 को कथित तौर पर गौरक्षकों की भीड़ ने यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी थी.

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह का शव उनकी एसयूवी के अंदर एक खेत में पाया गया था.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने अपने बयान में कहा था कि इंस्पेक्टर सुबोध पर एक व्यक्ति ने कुल्हाड़ी से हमला किया, सिर पर मारा गया, उनकी दो उंगलियां काट दी गईं. घायल होने के बाद भी वो भागने की कोशिश कर रहे थे, इस दौरान उन्हें गोली मार दी गई.

इस हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें "गोली मारो" की आवाजें सुनी जा सकती थी.

इस मामले में पांच लोगों पर हत्या का आरोप लगा. आरोपी शिखर अग्रवाल और उपेंद्र राघव सहित 33 अन्य पर हिंसा और आगजनी करने का आरोप लगाया गया.

इस मामले में कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और इनको अगस्त 2019 में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा के आरोपी जीतू फौजी, शिखर अग्रवाल, हेमू, उपेंद्र सिंह राघव, सौरव और रोहित राघव जैसे ही जेल से बाहर आए, हिन्दूवादी संगठन से जुड़े लोगों ने फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया था. इतना ही नहीं इस दौरान भारत माता की जय, वन्दे मातरम और जय श्री राम के नारे लगाए गए.

बता दें कि शिखर अग्रवाल नाम का आरोपी बीजेपी युवा मोर्चा के स्याना के पूर्व नगर अध्यक्ष के पद पर रह चुका था. उपेंद्र सिंह राघव अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद का विभाग अध्यक्ष रह चुका था.

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6.बिलकिस बानो रेप केस: दोषियों की रिहाई के बाद VHP ने किया स्वागत

गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था. उस समय वह 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थी. उनके परिवार के सात सदस्यों की दंगाइयों ने हत्या कर दी थी.

इस वारदात में 11 दोषियों राधेश्याम शाह, जसवंत चतुरभाई नाई, केशुभाई वडानिया, बाकाभाई वडानिया, राजीभाई सोनी, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नाई, मितेश भट्ट और प्रदीप मोढ़िया को उम्रकैद की सजा हुई थी, जिनको पिछले दिनों गुजरात सरकार की छूट नीति के तहत रिहा कर दिया गया. इन दोषियों के जेल से रिहा होने के बाद विश्व हिंदू परिषद कार्यालय में माल्यार्पण कर स्वागत किया गया.

गौर करने वाली बात ये है कि इस तरह के ज्यादातर मामलों में हिंदूवादी समूहों ने रेप या हत्या के आरोपियों का समर्थन किया.

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पुलिस की कार्रवाई पर उठते सवाल

21 फरवरी को हरियाणा के गुरुग्राम में हुई हिंदू महापंचायत में मुसलमानों के खिलाफ हेट स्पीच भी दी गई. राजस्थान पुलिस को धमकी दी गई लेकिन ना तो पुलिस ने किसी तरह की नोटिस आई और ना ही ऐसा करने वालों पर कोई कार्रवाई की गई. इस तरह के कई और भी मामले हैं, जिसमें पुलिस पर सवाल उठते हैं.

5 जनवरी 2023 को दिल्ली के जंतर मंतर पर हुए 'धर्म संसद' में महामंडलेश्वर स्वामी भक्त हरि सिंह ने अपने भाषण में हिंदुओं से हिंसात्मक अपील की और कहा कि तुम ईसाई, मुसलमानों को कब मारोगे? तुम्हारे पास क्या है जो मारोगे? इतनी सी चाकू है, जो सब्जी काटते हो, वो चाकू से कुछ नहीं होने वाला, हथियार रखो.

आश्चर्य की बात ये है कि पुलिस ने इस तरह की नफरती और खास समुदायों को मारने काटने की बात करने वाले शख्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि इसकी रिपोर्ट दिखाने वाले पोर्टल को नोटिस भेज दी. इस खबर को दिखाने वाले मॉलिटिक्स नाम के मीडिया हाउस को पुलिस के द्वारा नोटिस भेज दिया गया.
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अगर किसी प्रोटेस्ट में किसी तरह की गैर-कानूनी चीजें होती हैं, तो पुलिस किसी की गई शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है. इसके साथ पुलिस के पास ये भी अधिकार होता है कि वो खुद से गैर-कानूनी चीजों पर एक्शन ले सके.
एडवोकेट अहमद इब्राहीम
इसमें पुलिस पर ये सवाल उठता है कि जब पहले से ही पुलिस को पता था कि हिंदू महापंचायत करने वाले लोग जुनैद-नासिर हत्याकांड के आरोपी के समर्थन में पंचायत करने जा रहे हैं, तो पुलिस की तरफ से उन्हें इसकी अनुमति क्यों दी गई?

बता दें कि कई ऐसे उदाहरण हैं जहां पुलिस की तरफ से खुद ही मामले में आरोपी बनाए गए लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

एडवोकेट अहमद इब्राहीम ने बताया कि शरजील इमाम पर कुल आठ एफआईआर दर्ज किए गए हैं, जिसमें सारे एफआईआर पुलिसकर्मियों की ओर से की गई शिकायत के आधार पर दर्ज हुए हैं.

अब पुलिस पर सवाल खड़ा होता है कि वह किस बात से मजबूर है कि हिंदूवादी संगठनों पर कार्रवाई नहीं करती? अगर शरजील इमाम पर पुलिस खुद एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई कर सकती है, हेट स्पीच कवर करने के बाद किसी न्यूज पोर्टल को नोटिस भेज सकती है और सिंगर नेहा सिंह राठौर को उनके गाने "यूपी में का बा" के लिए नोटिस भेज सकती है...तो फिर नफरती स्पीच देने वालों पर पुलिस के द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है?

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