मोदी सरकार अब जनगणना में पिछड़ी जातियों (OBC) का आंकड़ा अलग से जुटाएगी. साल 2021 में होने जा रही जनगणना में OBC का आंकड़ा भी जारी किया जाएगा. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जनगणना पर हुई बैठक के बाद ये जानकारी दी.
इसी के साथ अब 3 साल के अंदर ही जनगणना के आंकड़े पूरी तरह जारी कर दिए जाएंगे, पहले करीब 6-8 साल लग जाते थे. वहीं जियो टैगिंग (सैटेलाइट) के जरिए भी जनगणना कराने की तैयारी है.
OBC के आंकड़े क्यों जारी करने को तैयार सरकार?
OBC के आंकड़े जारी करने की मांग लालू यादव समेत कई पिछड़ी जाति के नेता लगातार करते आए हैं. ऐसे में चुनावी माहौल में पिछड़ी जातियों के आंकड़े जारी करने का ऐलान समुदाय के वोटरों को साधने की तैयारी की तरह भी देखा जा रहा है.
दरअसल, अलग-अलग राज्यों में पिछड़ी जाति कहे जाने वाले समुदाय की आबादी अलग-अलग है. लेकिन तकरीबन हर राज्य में इनकी खासी आबादी है.
अगर ये ग्रुप एक वोटिंग ब्लॉक की तरह काम करे, तो हर राज्य में किसी भी पार्टी की किस्मत बना या बिगाड़ सकता है. आजाद भारत की राजनीति में कांग्रेस को सबसे पहला सामूहिक विरोध इसी ग्रुप से मिला था, जिसकी शुरुआत 60 के दशक के आखिरी सालों में हुई थी.
लोहियावादी कांग्रेस विरोधी पार्टियों के केंद्र में रहे नेताओं में जय प्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह, आचार्य कृपलानी, मोरारजी देसाई, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार बड़े नाम रहे हैं.
इनमें से कुछ नामों पर गौर कीजिए- चौधरी चरण सिंह, लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव. चौधरी चरण के बेटे अजित सिंह का राष्ट्रीय लोक दल, लालू का राष्ट्रीय जनता दल और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी 2019 में आम चुनाव कांग्रेस के सहयोगी होंगे.
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