पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) में 19 जुलाई को अब तक के सबसे बड़े नाम सामने आए. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के अलावा राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor), ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग भी संभावित सर्विलांस के टारगेट रहे हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नाम हैं मोदी सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों के- अश्वनी वैष्णव (Ashwani Vaishnaw) और प्रह्लाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel).
केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल से जुड़े दर्जन भर से ज्यादा लोगों को भी सर्विलांस के लिए चुना गया था. इसमें उनके परिवार के सदस्य, एडवाइजर और कुक, गार्डनर जैसे निजी स्टाफ भी शामिल हैं. ये नाम 2019 में जोड़े गए थे.
वहीं, मौजूदा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को 2017 में संभावित सर्विलांस टारगेट चुना गया था. अब वैष्णव का काम डिजिटल सर्विलांस को रेगुलेट करने से ही जुड़ा है.
फ्रांस की संस्था Forbidden stories और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty international) ने मिलकर ये जानकारी जुटाई और फिर दुनिया के कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों से शेयर की है. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' (Pegasus Project) नाम दिया गया है.
बीजेपी से संबंधित कई और नामों का खुलासा
द वायर उन मीडिया संस्थानों में से एक है, जो पेगासस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, जब वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं तब उनके निजी सचिव को संभावित सर्विलांस लिस्ट में जोड़ा गया था.
इसके अलावा 2014-2015 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लिए ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) संजय कचरू का नाम भी इस लिस्ट में आया है. लीक हुए डेटाबेस में बीजेपी के कई छोटे नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंबे समय तक विरोधी रहे प्रवीण तोगड़िया का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है.
प्रह्लाद पर था फोकस?
द वायर की रिपोर्ट कहती है कि संभावित सर्विलांस का फोकस प्रह्लाद सिंह पटेल पर लगता है. क्योंकि उनके और उनकी पत्नी के फोन नंबर के अलावा प्रह्लाद के करीब 15 सहयोगियों के नंबर संभावित सर्विलांस लिस्ट में देखे गए हैं. ये सहयोगी प्रह्लाद के कुक, गार्डनर, निजी सचिव जैसे लोग हैं.
पटेल को शिवराज सिंह चौहान का विरोधी और उमा भारती का करीबी माना जाता है. जब भारती ने बीजेपी के खिलाफ 2004 में बगावत की थी, तो पटेल ने भी उनका अनुसरण किया था. प्रह्लाद सिंह पटेल 2009 में बीजेपी में वापस आए थे.
वहीं, द वायर ने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को उनके नंबर के लीक हुए डेटाबेस में मौजूदगी की जानकारी दी है लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया है.
बिना फॉरेंसिक एनालिसिस के इस बात की पुष्टि करना मुश्किल है कि प्रह्लाद या वैष्णव के फोन असल में हैक हुए थे या नहीं. हालांकि, मोदी सरकार के दो मंत्रियों के सर्विलांस के संभावित टारगेट होने की खबर अपने आप में हैरान करने वाली है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)