लोकसभा (Loksabha) में मंगलवार, 6 फरवरी को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 [Public Examination (Prevention of Unfair Means) Bill, 2024] पारित हो चुका है. इस बिल का उद्देश्य प्रमुख परीक्षाओं में धोखाधड़ी और अनियमितताओं पर अंकुश लगाना है. लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों द्वारा प्रस्तावित कुछ संशोधनों को खारिज करने के बाद विधेयक को पारित किया है.
चलिए जानते हैं, इस बिल में क्या प्रावधान है और पेपर लीक को रोकने के लिए क्या नियम होंगे?
सार्वजनिक परीक्षा विधेयक क्या है?
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह लोकसभा में मसौदा कानून पेश किया, जिसमें परीक्षा पत्र लीक करने के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए न्यूनतम 3-5 साल की जेल का प्रस्ताव है, जो 5 साल तक बढ़ जाएगी. वहीं, संगठित सिंडिकेट के मामलों में 10 साल की जेल का प्रावधान है.
मसौदा कानून का उद्देश्य संघ और राज्य लोक सेवा आयोगों, रेलवे और मेडिकल, इंजीनियरिंग और विश्वविद्यालय कार्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षाओं सहित विभिन्न सार्वजनिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी को रोकना है.
1 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान
विधेयक में सेवा प्रदाता कंपनियों की परीक्षाओं में कोई अनियमितता पाए जाने पर ₹1 करोड़ तक के जुर्माने का प्रस्ताव है. दोषी पाए जाने पर ऐसी फर्म को चार साल के लिए सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.
DSP या ACP स्तर के अधिकारी करेंगे जांच
मसौदा कानून में सुझाव दिया गया है कि पेपर लीक की जांच पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी. केंद्र सरकार किसी भी केंद्रीय एजेंसी को जांच सौंपने की शक्ति रखेगी.
विधेयक के तहत 20 अपराधों और अनुचित साधनों की पहचान की गई है, जिसमें किसी उम्मीदवार की योग्यता या रैंक को शॉर्टलिस्ट करने या अंतिम रूप देने के लिए प्रतिरूपण, उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ शामिल है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बजट सत्र की शुरुआत में संसद की संयुक्त बैठक में अपने संबोधन के दौरान पुष्टि की थी कि सरकार परीक्षाओं में अनियमितताओं के संबंध में युवाओं की चिंताओं से अवगत है, इसलिए ऐसे कदाचार से सख्ती से निपटने के लिए कानून, "एक नया कानून बनाने का निर्णय लिया गया है.”
हाई लेवल कमेटी का गठन
विधेयक में सार्वजनिक परीक्षाओं पर एक उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है, जो डिजिटल प्लेटफार्मों को सुरक्षित करने, फुल-प्रूफ आईटी सुरक्षा प्रणाली सुनिश्चित करने, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी लागू करने और बुनियादी ढांचे के लिए राष्ट्रीय मानक तैयार करने के लिए प्रोटोकॉल विकसित करेगी.
हालांकि, विधेयक उम्मीदवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जिसमें कहा गया है कि वे इसके प्रावधानों के तहत उत्तरदायी नहीं होंगे, लेकिन मौजूदा प्रशासनिक नियमों के दायरे में रहेंगे.
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