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"मंत्री-MLA ने तावड़े को बनवाया था फोरेंसिक हेड": पुणे पोर्श केस में डीन के क्या आरोप?

Pune Porsche Car Accident: डीन ने दावा किया कि विधायक सुनील टिंगरे ने अधिकारियों पर मामले में नरम रुख अपनाने का दबाव बनाया था.

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भारत
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पुणे पोर्श कार हादसे (Pune Porsche Car Accident) मामले में अब नया मोड़ आ गया है. पुणे के ससून अस्पताल के डीन ने दावा किया है कि पोर्श दुर्घटना के लिए जिम्मेदार किशोर के ब्लड के सैंपल बदलने के आरोपी डॉक्टरों में से एक को राज्य के एक मंत्री और एक विधायक के आग्रह पर फोरेंसिक विभाग का प्रमुख बनाया गया था.

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विधायक सुनील टिंगरे पर यह भी आरोप लगाया गया कि वे दुर्घटना के बाद येरवडा पुलिस थाने गए थे - जिसमें दो स्टूडेंट्स मारे गए थे और उन्होंने अधिकारियों पर मामले में नरम रुख अपनाने का दबाव बनाया था.

डीन ने क्या आरोप लगाया?

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बुधवार (29 मई) को अस्पताल के डीन विनायक काले ने कहा, "महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और विधायक सुनील टिंगरे ने पत्र लिखकर डॉ. अजय तावड़े को ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग का प्रमुख बनाने की मांग की थी."

मुश्रीफ और विधायक दोनों ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार गुट से हैं, जो महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के साथ गठबंधन में सत्ता में है.

छुट्टी पर भेजे गए डीन

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ घंटों बाद ही महाराष्ट्र सरकार ने डॉ. काले को डीन के तौर पर “मामले को गंभीरता से नहीं लेने” और “उचित निर्णय नहीं लेने” के कारण अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया.

तावड़े और ससून अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हरनोर को सोमवार (27 मई) को पुणे क्राइम ब्रांच ने किशोर के ब्लड के सैंपल को एक डॉक्टर के सैंपल से बदलने में कथित रूप से मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. आरोप है कि सैंपल इसलिए बदला गया ताकि सैंपल में अल्कोहल नहीं पाया जा सके.

चपरासी अतुल घाटकांबले, जिसने बिचौलिए की भूमिका निभाई और कथित तौर पर रियल एस्टेट एजेंट के परिवार से दो डॉक्टरों के लिए 3 लाख रुपए की रिश्वत ली, को भी हिरासत में ले लिया गया.

डॉ. काले ने बताया कि डॉ. तावड़े और घाटकांबले को निलंबित कर दिया गया है, जबकि डॉ. हरनोर का अनुबंध समाप्त कर दिया गया है.
राज्य स्तर पर जांच के लिए गठित कमेटी ने मंगलवार (28 मई) को पूरे दिन जांच की. मैंने अपने स्तर पर कार्रवाई कर दी है.
विनायक काले, डीन, ससून अस्पताल
ब्लड सैंपल में कथित हेराफेरी की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित समिति की अध्यक्षता ग्रांट मेडिकल कॉलेज और जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की डीन डॉ. पल्लवी सापले कर रही हैं.

कांग्रेस ने क्या आरोप लगाए?

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने मंगलवार (28 मई) को आरोप लगाया था कि इस दुर्घटना में एक विधायक का बेटा शामिल था और दुर्घटना के बाद विधायक पुलिस के संपर्क में थे और उन्होंने डॉक्टरों से भी बात की थी और उनसे ब्लड सैंपल बदलने को कहा था.

पटोले ने दावा किया था कि राज्य में पुलिस, राजनेताओं और अमीर और प्रभावशाली लोगों के बीच गठजोड़ है.

यह भी पता चला है कि किशोर के पिता, जो पुणे में एक प्रमुख बिल्डर हैं, ने 19 मई को डॉ. तावड़े से कम से कम 14 बार बातचीत की थी. बातचीत में व्हाट्सएप, फेसटाइम और नियमित कॉल शामिल थे.

'किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा'

दुर्घटना पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा था कि वह पहले दिन से ही पुणे पुलिस आयुक्त के संपर्क में हैं और कानून सभी के लिए समान है.

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"मैं पहले दिन से ही पुणे पुलिस कमिश्नर के संपर्क में हूं. मैंने शुरू से ही कहा है कि चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. चाहे कोई कितना भी अमीर या गरीब क्यों न हो, कानून सबके लिए बराबर है और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. मैंने सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं."
एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

पुणे पोर्श कार हादसा क्या है?

यह दुर्घटना 19 मई को रात 2.15 बजे के आसपास हुई थी, जब 17 वर्षीय किशोर ने कल्याणी नगर इलाके में बाइक से जा रहे है दो 24 वर्षीय आईटी पेशेवरों को अपनी कार से टक्कर मार दी. इस दौरान बाइक चला रहे अनीश अवधिया उछलकर एक खड़ी कार से जा टकराए, जबकि पीछे बैठे अश्विनी कोष्टा 20 फीट ऊपर उछल गए. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई.

बताया जा रहा है कि आरोपी किशोर घटना से पहले अपने 12वीं कक्षा के रिजल्ट का जश्न मनाने के लिए पुणे के दो पब में अपने दोस्तों के साथ शराब पी रहा था. वह 2.5 करोड़ रुपए की पोर्शे कार 150 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से चला रहा था.

जानकारी के अनुसार, 17 साल और 8 महीने की उम्र में, किशोर गाड़ी चलाने की कानूनी उम्र से चार महीने छोटा था और शराब पीने की महाराष्ट्र की कानूनी उम्र से सात साल से ज्यादा छोटा था. उसे 5 जून तक रिमांड होम भेज दिया गया है, जबकि उसके पिता पुलिस हिरासत में हैं.

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