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Sania Mirza ने क्विंट को बताया- क्या लगा था बुरा,बनेंगी पहली मुस्लिम महिला पायलट

सानिया देश की पहली महिला फाइटर पायलट अवनी चतुर्वेदी से प्रभावित हैं.

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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की रहने वाली 19 साल की सानिया मिर्ज़ा ने हाल ही में National Defence Academy (NDA) कि परीक्षा पास की है. सानिया अब चार साल की ट्रेनिंग के बाद भारत की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बन जाएंगी. सानिया देश की पहली महिला फाइटर पायलट अवनी चतुर्वेदी से इंस्पायर्ड हैं. कड़ी मेहनत और अपने हौसलों के नतीजे में सानिया अब एक फाइटर पायलट बनने की राह पर हैं. सानिया के पिता एक टीवी मैकेनिक हैं. सानिया से क्विंट ने विशेष बातचीत की

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सानिया ने द क्विट से बातचीत में बताया कि पहली बार उन्होंने फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी को देखा था, और जब मैंने उनके बारे में पढ़ा, तो पता चला कि वह हमारी इंडिया की पहली महिला फाइटर पायलट हैं. सानिया ने आगे बताया कि उनका प्लान टेस्ट को क्रेक करना था. और इंटरव्यू को निकालना था.

सानिया ने बताया कि 400 पद के लिए भर्ती थी, जिसमें से 19 लड़कियां पात्र थी. उड़ान में केवल दो सीटें लड़कियों के लिए थी, लेकिन लड़कों के लिए 90 हैं. जब मैंने यह देखा, तो मुझे बहुत बुरा लगा. मैं निराश हो गई क्योंकि मैं इस बात को लेकर चिंतित थी, और मुझे लगा मैं कैसे महिला पायलट बन पाउंगी.
सानिया मिर्ज़ा से क्विट से

ऐसा रहा सानिया मिर्जा का स्कूल सफर

मिर्जा जब करीब 12 साल की थीं, तब वह लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी से प्रेरित थीं, जो भारत की पहली महिला पायलट बनीं. वह भी चतुर्वेदी के नक्शेकदम पर चलना चाहती थीं.

"मैंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जसोवर (उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में) में कक्षा 1 से 10 तक की, जहाँ मैं स्कूल टॉपर थी. मैंने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई गुरु नानक कॉलेज, मिर्जापुर से की है. मैं जिला टॉपर थी. मैंने पहली बार लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी को देखा और उनके बारे में पढ़ा...वह भारत की पहली महिला फाइटर पायलट हैं. उन्हें 2015 में कमीशन मिला था. मुझे खुशी होने की जगह दुख हुआ. 2015 में ही क्यों? फिर, मुझे पता चला कि इससे पहले फाइटर पायलट स्ट्रीम में महिलाओं को कमीशन नहीं दिया जाता था.
क्विट से सानिया मिर्जा
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मिर्जा कहती हैं कि अगर आपको जिंदगी में कुछ करना है, तो आपको धैर्य रखनी की जरुरत है. डिफेंस की तैयारी में सब्र जरुरी है.आपको हर चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है. आपको इसके लिए भुगतान करना होगा. मैंने बहुत संघर्ष किया. मैंने खाने या सोने की परवाह किए बिना पूरी रात पढ़ी.

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