सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हाल में ही मुठभेड़ की घटनाओं पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य में हाल की मुठभेड़ की घटनाएं गंभीर हैं और इन पर विचार करना जरूरी है. अदालत इन मामलों पर विस्तार से जांच करने को जारी हो गई है. मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी.
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यूपी सरकार को यह नोटिस एक पीआईएल पर विचार करने के बाद दिया गया है. इसमें कहा गया था कि राज्य में हाल की पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं की जांच सीबीआई या एसआईटी की निगरानी में हों. पिछले साल नवंबर में योगी सरकार ने कहा था कि पुलिस ने ये मुठभेड़ें सेल्फ डिफेंस में की है. सरकार का कहना था कि घातक हथियारों से हमले के जवाब में पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं. सरकार ने इस बात से इनकार किया कि मुठभेड़ों के जरिये अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद 2351 पुलिस मुठभेड़ें हो चुकी हैं. 4 अगस्त 2018 तक राज्य के 24 जिलों में हुई इन मुठभेड़ों में 63 लोगों की मौत हो चुकी है.
योगी दावा, जारी रहेंगे एनकाउंटर
योगी सरकार कई बार यह दावा कर चुकी है कि राज्य से अपराधियों का सफाया करने के लिए ये मुठभेड़ें जारी रहेंगी. योगी का कहना है कि मुठभेड़ें आगे भी जारी रहेंगी. अपराधियों से सहानुभूति डेमोक्रेसी के लिए घातक है.
पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कहा था कि समाजवादी पार्टी की सरकार में अगर पुलिस मुठभेड़ के दौरान किसी बेगुनाह की जान चली जाती थी, तो सरकार उसके परिजनों को 50 लाख रुपये की मदद करती थी. उन्होंने कहा कि इस सरकार को भी फर्जी एनकाउंटर में जान गंवाने वालों के परिजनों को तुरंत किसी भी कीमत पर 50 लाख रुपये की मदद करनी चाहिए.
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