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बिहार : 29 फीसदी पुरुष पीते हैं शराब, ये 1 अप्रैल से क्या करेंगे?

ये सर्वे नीतीश कुमार सरकार के बिहार में शराबबंदी के सपने को मुश्किल बना सकता है. 

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भारत
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नीतीश कुमार की सरकार 1 अप्रैल से बिहार में शराबबंदी करने की तैयारी में हैं. लेकिन इसी बीच आए एक सर्वेक्षण पर नजर डाली जाए, तो बिहार में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शराब का सेवन करती हैं. हालांकि राज्य सरकार ने शराब पीने वालों की लत छुड़ाने के लिए 39 नशा विमुक्ति केंद्र स्थापित किए हैं.

बिहार में पुरुष और महिलाएं, दोनों पीते हैं शराब

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015-16 में कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-चार (NFHS-4) के अनुसार, राज्य में करीब 29 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते हैं, जबकि 0. 2 प्रतिशत महिलाएं भी शराब का घूंट हलक से नीचे उतारती हैं.

ये सर्वे एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (AMS) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च (IIHMR) ने 16 मार्च से दो अगस्त 2015 के बीच किया था. इसके लिए कुल 36,772 घर की 45,812 महिलाओं और 5,431 पुरुषों से संपर्क किया गया.

15 से 49 वर्ष के उम्र के बीच पुरुषों और महिलाओं के बीच कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, बिहार में करीब 29 प्रतिशत पुरुष, जबकि 0. 2 प्रतिशत महिलाएं शराब का सेवन करती हैं.

इस सर्वेक्षण के अनुसार, 26.2 प्रतिशत शहरी पुरुष और 29.5 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के पुरुष शराब का सेवन करते हैं. इसी तरह 0.2 प्रतिशत शहरी क्षेत्र से आने वाली महिलाएं और 0. 3 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिलाएं शराब का सेवन करती हैं.

लेकिन कम हुए हैं शराब पीने वाले

पिछले 10 वर्षों की तुलना में शराब सेवन करने वालों में कमी आई है. वर्ष 2005-2006 में कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, बिहार में 34.9 प्रतिशत पुरुष तथा 1.0 प्रतिशत महिलाएं शराब का सेवन करती थीं.

इधर, राज्य में शराबबंदी को लेकर सरकार ने आवश्यक सारी तैयारियां कर ली हैं. राज्य के मद्य एवं निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान के अनुसार 1 अप्रैल से देसी शराब बनाने, बेचने व सेवन करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगेगा. इसके पहले 31 मार्च को देसी शराब के सभी ठेके बंद किए जाएंगे.

उन्होंने कहा,

“खुदरा दुकानों में सभी देसी व मसालेदार शराब उपलब्ध होगी, उन्हें वीडियो कैमरे की निगाह में नष्ट कर दिया जाएगा. इसके साथ ही विदेशी शराब व कंपोजिट शराब की दुकानों में 31 की रात को बचे हुए शराब को सीलबंद कर बिहार राज्य वेबरेज करपोरेशन लिमिटेड के गोदाम को वापस खरीदने के लिए हस्तगत कर दिया जाएगा.”

खोले गए हैं नशा विमुक्ति केंद्र

इस बीच बिहार में शराबियों के इलाज के लिए 150 चिकित्सकों का चयन किया गया है. इसके लिए प्रत्येक मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जिला अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था की गई है. पटना में नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) में ‘नशा विमुक्ति केंद्र’ में शराबियों का उपचार होगा.

राज्य में 39 नशा विमुक्ति केंद्र स्थापित किए गए हैं. प्रत्येक जिला अस्पताल में 10 बेड का वार्ड बनाया गया है. वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों का उपचार अस्पतालों के उपाधीक्षकों की देखरेख में होगा. मेडिकल कॉलेज में वार्ड मनोचिकित्सा विभाग के अधीन रखा गया है.”
डॉ एन के सिन्हा, नशा विमुक्ति केंद्र के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी

उन्होंने बताया कि पटना में NMCH के अलावा एक और जगह नशा विमुक्ति केंद्र स्थापित किया जाएगा. NMCH में 25 बेड का वार्ड बनाया जाना है. फिलहाल यहां दस बेड पर उपचार की सुविधा बहाल कर दी गई है.

उन्होंने बताया कि दो माह पूर्व बिहार के डॉक्टरों को नई दिल्ली और बेंगलुरु में नशे से पीड़ित लोगों के उपचार और शराब की लत छोड़ाना का प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षित डॉक्टर राज्य के सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेज अस्पतालों में तैनात कर दिए गए हैं.

प्रथम चरण में शराब पीने वालों का उपचार किया जाना है. शराब से होने वाली बीमारियां खासकर किडनी, लीवर, हृदय आदि का उपचार किया जाएगा. विशेषज्ञ उनसे शराब छुड़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके भी अपनाएंगे. इसके लिए अस्पतालों में संसाधन उपलब्ध करा दिए गए हैं.

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