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Twitter Vs Govt: सरकार को चुनौती देने के लिए कर्नाटक HC क्यों पहुंचा ट्विटर?

Twitter Vs Govt: सूत्रों के मुताबिक ट्विटर सरकार के कुछ आदेशों को पलटने की कोशिश कर रहा है.

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माइक्रो ब्लॉगिंग कंपनी ट्विटर (Twitter) ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से सामग्री को हटाने को लेकर भारत सरकार के कुछ आदेशों को कानूनी चुनौती दी है. सूत्रों के मुताबिक ट्विटर सरकार के कुछ आदेशों को पलटने की कोशिश कर रहा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अधिकारियों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए, ट्विटर ने सरकार के आदेशों के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया है.

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आईटी मंत्रालय द्वारा ट्विटर को कुछ कंटेंट ऑर्डर का पालन नहीं करने पर आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी.

ट्विटर का क्या रुख है?

रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर ने आरोप लगाया है कि प्लेटफॉर्म को जारी किए गए कई ब्लॉकिंग ऑर्डर केवल धारा 69 ए के आधार का उद्धरण करते हैं, लेकिन यह प्रदर्शित करने में फेल रहते हैं कि कंटेंट उन आधारों के दायरे में कैसे आता है, या वह कंटेंट कैसे धारा 69 ए का उल्लंघन करता है.

सरकार ने ट्विटर को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत भेजे गए कंटेंट टेक-डाउन नोटिस के साथ-साथ कंटेंट को न हटाने के लिए जारी गैर-अनुपालन नोटिस पर कार्रवाई करने के लिए कहा था.

रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने आरोप लगाया कि आईटी मिनिस्ट्री यह प्रदर्शित करने में विफल रही है कि वह जिस सामग्री को हटाना चाहती है, वह धारा 69 (ए) के दायरे में कैसे आती है.

IANS के सूत्रों के मुताबिक ट्विटर ने कुछ ऐसे कंटेंट की न्यायिक समीक्षा की मांग की है, जो विभिन्न आदेशों का एक हिस्सा हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर ने कोर्ट को यह भी बताया है कि मंत्रालय द्वारा चिह्नित किए गए कुछ कंटेंट राजनीतिक दलों के आधिकारिक अकाउंट्स से संबंधित हो सकते हैं, जिसे हटाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है.

भारत सरकार का क्या कहना है?

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आदेशों का पालन करने के लिए 4 जुलाई तक का समय दिया था और ऐसा करने में फेल रहने पर, ट्विटर अपने प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए कंटेंट का जिम्मेदार खुद होगा. अब डेडलाइन खत्म होने के एक दिन बाद ट्विटर ने कानूनी सहारा लेने के लिए कोर्ट का रुख किया है.

ट्विटर द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने अपने ट्वीट में कहा कि सभी विदेशी प्लेटफॉर्म्स को भारतीय कानूनों का पालन करना होगा.

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सरकार द्वारा अब तक जारी किए गए सभी आदेशों का पालन करने के लिए ट्विटर को 27 जून को नोटिस जारी किया गया था.

Mint की रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर को इस महीने की शुरुआत में भी नोटिस जारी किया गया था लेकिन प्लेटफॉर्म ने इसका पालन नहीं किया.

इससे पहले मई में भी आईटी मंत्रालय ने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें एक निवासी शिकायत अधिकारी, एक निवासी मुख्य अनुपालन ऑफिसर और एक नोडल नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था.

आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आधिकारिक सूत्र ने सोमवार को बताया कि माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर ने आईटी मंत्रालय द्वारा जारी अंतिम नोटिस का अनुपालन पूरा कर लिया है.

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पिछले साल भी हुआ था ट्विटर Vs सरकार वॉर

भारत सरकार और ट्विटर के बीच पिछले साल की शुरुआत में तनाव तब बढ़ता देखा गया था, जब ट्विटर ने उन अकाउंट्स और ट्वीट्स को हटाने के आदेश का पूरी तरह से पालन करने से इनकार कर दिया, जिन पर सरकार द्वारा आरोप लगाए गए थे.

केंद्र सरकार ने कई अकाउंट्स पर आरोप लगाया था कि किसानों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित गलत सूचना फैला रहे हैं.

माइक्रो ब्लॉगिंग कंपनी भारत में पुलिस जांच के अधीन भी रही है. पिछले साल भारत सरकार के कई मंत्री ट्विटर पर कानूनों का पालन न करने का आरोप लगाते हुए भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग साइट कू पर ट्रांसफर हो गए.

भारत अपने नए आईटी नियमों में कुछ संशोधनों पर विचार कर रहा है, जिसमें सोशल मीडिया फर्मों के कंटेंट मॉडरेशन निर्णयों को उलटने की शक्ति के साथ सरकार द्वारा संचालित अपील पैनल की शुरूआत करना शामिल है..

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ट्विटर की हाल में आई ग्लोबल ट्रांस्पेरेंसी रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी और जून 2021 के बीच प्लेटफॉर्म को कंटेंट हटाने के लिए आए अनुरोधों की चौथी सबसे बड़ी लिस्ट भारत की ओर से थी. रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी और जून के बीच ट्विटर को 196,878 अकाउंट्स से कंटेंट हटाने के लिए 43,387 कानूनी मांगें की गईं, जिनमें से वैश्विक कानूनी मांगों का 11 प्रतिशत भारत का था.

(इनपुट्स- Mint, Indian Express, NDTV, Reuters, IANS)

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