ट्विटर प्लेटफॉर्म से कंटेंट हटाने के केंद्रीय सरकार के आदेशों की वैधता के खिलाफ ट्विटर (Twitter) ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है. रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को चेतावनी दी है कि अगर वह पिछले साल जनवरी और अप्रैल में ट्वीट को हटाए जाने के आदेश का पालन नहीं करता है तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद ही ट्विटर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
रिपोर्ट के अनुसार मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया है कि "जून में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को लेटर लिखकर अनुपालन नहीं करने पर कई कार्रवाई की चेतावनी दी है, जिसमें ट्विटर के मुख्य अनुपालन अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही भी शामिल है... और ट्विटर को आईटी अधिनियम की धारा 69A के तहत जारी किए गए पोस्ट ब्लॉक आदेशों का पालन करने का अंतिम अवसर दिया है."
रिपोर्ट के अनुसार ट्विटर ने न्यायिक समीक्षा के अपने अनुरोध में तर्क दिया कि कुछ आदेश भारत के आईटी अधिनियम की प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के अनुसार नहीं है.
ट्विटर को पिछले एक साल में भारतीय सरकार ने कई ट्विटर पोस्ट और अकाउंट को हटाने का आदेश दिया है. इसमें स्वतंत्र सिख देश की मांग, किसानों आंदोलन से जुड़े कथित रूप से फेक न्यूज फैलाने वाले पोस्ट और COVID-19 महामारी पर सरकार की आलोचनाओं से जुड़े पोस्ट को हटाने का आदेश दिया गया था.
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