सहमी हुई है झोपड़ी बारिश के ख़ौफ़ से
महलों की आरज़ू है कि तेज़ बरसात हो
- नामालूम
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था
- अख़्तर होशियारपुरी
पिछले दिनों हिंदुस्तान के कई इलाकों में बारिश (Heavy Rain) से हुई तबाही पर ये दोनों शेर बिल्कुल फिट बैठते हैं. हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड (Uttarakhand) के अलग-अलग इलाकों में जोरदार बारिश हुई. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में तो पिछले चालीस सालों का रिकॉर्ड टूट गया. हरियाणा के गुरुग्राम (Gurugram) में सड़कें समंदर बनती दिखीं. हिमाचल में भूस्खलन और बरसात की वजह से कुदरत का ऐसा कहर बरपा कि घर पानी में भरभराकर गिरते दिखे, कारें माचिस की डिब्बी की तरह बहती नजर आईं.
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
- क़तील शिफ़ाई
जब बारिश इस तरह से होती है कि लोगों की जिंदगियों पर बुरा असर होने लगता है, तो यह एक अभिशाप से कम नहीं होती. इसका बुरा असर खेतों में लहलहाती फसलों पर भी पड़ता है.
फसलों को बारिश से होने वाले नुकसान को जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश के बदायूं से तअल्लुक रखने वाले उर्दू शायर असअ'द बदायुनी लिखते हैं...
ये मनहूस बारिश
जवाँ-साल गेहूं के दानों को
कीचड़ का हिस्सा बनाने
मेरे गांव में हर बरस की तरह
आज फिर आ गई है
वो गेहूं के ख़ोशे जो खलियान में
धूप के देवता की इबादत में
मसरूफ़ थे
उन को बारिश ने आग़ोश में ले लिया है
हर इक खेत में कितना पानी भरा है
भूक अपनी मिटा कर
ये बारिश चली जाएगी
और सब खेत ख़ाली के ख़ाली रहेंगे
मैं ने बारिश के चेहरे पे लिक्खा हर इक वाक़िआ'
पढ़ लिया है
एक तरफ अगर बारिश बहुत ज्यादा हो जाए तो खतरा पैदा होने लगता है, तो दूसरी ओर अगर बरसात बर्दाश्त करने वाली हो, तो इससे एक खुशनुमा माहौल भी बन जाता है.
बारिश होने के बाद हमें बचपन के उस दौर की भी याद आने लगती है, जब हमारे बड़े हमको गंदे पानी में जाने से मना किया करते थे. इसी एहसास को जोड़ते हुए गुलजार साहब ने बड़े शानदार तरीके से लिखा है...
बारिश बारिश बारिश होगी
गंदे पानी में मत जाना
ख़ारिश होगी
फोड़े फुंसियां फूटेंगे तो खुजलाओगे
रोते-धोते टें टें करते घर आओगे
ऊपर से फिर कड़वे तेल की मालिश होगी
बारिश बारिश बारिश होगी
पेड़ों को नोकीली बूंदें चुभती हैं क्या
तेज़ हवा से उन की टहनियां दुखती हैं क्या
पेड़ों को भी तो छतरी की ख़्वाहिश होगी
बारिश बारिश होगी
उर्दू अदब में बारिश का मौसम बेदर्दी, खुशगवारी जैसे कई मिजाज के नजरिए से देखा गया है और इस पर बात की गई है. शायरों ने बारिश को इश्किया जज्बात से जोड़ते हुए भी लिखा है.
नवाबों के शहर लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले शायर सुहैल काकोरवी लिखते हैं...
अरमान ज़मीं के जाग उठे दिलदार ये पहली बारिश है
कल सोच रहा था सारा जहां दुश्वार ये पहली बारिश है
रंजिश जो हमारे बीच रही तो आग फ़लक ने बरसाई
अब सोच न कुछ मौसम को समझ ऐ यार ये पहली बारिश है
फ़ितरत में नज़र आते हैं हमें अपनी ही मोहब्बत के पहलू
इंकार था गर्मी का आलम इक़रार ये पहली बारिश है
इसके अलावा बारिश को जिंदगी के खालीपन से जोड़ते हुए शायर मुनीर नियाज़ी महबूब के जाने के बाद पनपे गम का जिक्र करते हुए कहते हैं...
ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं
तू ने मुझ को खो दिया मैं ने तुझे खोया नहीं
और आखिरी में पाकिस्तान (Pakistan) की नई पीढ़ी के मशहूर शायरों में शामिल अज़हर फ़राग़ का शेर, जो शायद बारिश में भीगने की ख्वाहिश जताते हुए कहते हैं...
दफ़्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैं
बारिश की एक बूंद न बे-कार जाने दूं
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