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'मुंबई के आरे में मेट्रो जल्दी आ गई, लेकिन आदिवासियों को अब भी बेहतर सड़कों का इंतजार'

मुंबई में मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही शहर के सबसे बड़े हरित क्षेत्र आरे के 27 आदिवासी गांवों को बुनियादी सुविधाओं का इंतजार है.

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"हमें सांप, तेंदुए से डर नहीं लगता, हमें विकास से डर लगता हैं!"

यह बात वन अधिकार कार्यकर्ता और मुंबई के आरे (Aarey) वन क्षेत्र के आदिवासी गांवों में से एक केल्ती पाडा के निवासी प्रकाश भोईर ने कही.

कई लोगों को भोईर का बयान थोड़ा अतार्किक लग सकता है. लेकिन इसके पीछे और भी बहुत कुछ है.

आरे- मुंबई (Mumbai) के आखिरी और सबसे बड़े वन क्षेत्रों में से एक है. यहां 27 आदिवासी गांव हैं, जिसमें बड़ी संख्या में मतदाता रहते हैं. पिछले कई सालों से यहां के लोग मुंबई मेट्रो डिपो निर्माण का पुरजोर विरोध करते हुए सुर्खियों में रहे हैं.

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लेकिन अब जब मेट्रो कार शेड का निर्माण हो चुका है, आदिवासी पूछ रहे हैं कि अगर सरकार के पास कार शेड के लिए लड़ने की इच्छाशक्ति और साधन है, तो क्या इन सालों में सरकार हमें बेहतर सड़कें, बिजली और पानी नहीं दे सकती थी?

'आजादी के पहले से यहां रह रहे हैं, लेकिन बिजली नहीं मिली?'

आरे के अधिकांश आदिवासी कई पीढ़ियों से जंगल में रह रहे हैं. कुछ तो आजादी से पहले से रह रहे हैं. बिजली की निरंतर आपूर्ति आरे के सभी गांवों में एक आम मुद्दा है. जितुनिचा पाडा में रहने वाले छह आदिवासी परिवारों के घरों में कभी भी सीधे बिजली की आपूर्ति नहीं हुई.

इस गांव के गिने-चुने निवासियों में से एक सुनील वर्ते कहते हैं, "देश को 1947 में आजादी मिली थी. करीब 75 साल हो गए हैं. यहां कभी बिजली नहीं आई. अब हम किसी को पैसे देकर अपने घरों के लिए बिजली उधार लेते हैं. वे कभी-कभी उसे भी काट देते हैं. हमारे पास अभी तक अपने मीटर नहीं हैं. यहां एक ट्रांसफॉर्मर है. लेकिन वे कनेक्शन के लिए खुदाई करने की अनुमति नहीं देते हैं."

यह पूछे जाने पर कि इतने सालों में वह किसी दूसरे गांव में क्यों नहीं बस गए, वर्ते ने कहते हैं, "मेरा परिवार सालों से इस जमीन पर खेती करता आ रहा है. हम इसे ऐसे ही कैसे छोड़ सकते हैं?"

आरे पुनरुद्धार परियोजना विश्वास की कमी से जूझ रहा

इस साल 30 अप्रैल को सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वह दो साल के अंदर आरे में 45 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत करेगी, जबकि बेंच ने सरकार से “कम से कम समय” में काम पूरा करने को कहा.

लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अलावा, MMRCL द्वारा भूमि अधिग्रहण के अनसुलझे मुद्दे और आरे में कंक्रीट निर्माण आदिवासियों की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक हैं.

मुंबई मेट्रो परियोजना के तेजी से विस्तार को सत्तारूढ़ महायुति सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में से एक बताया जा रहा है. लेकिन आदिवासियों को डर है कि कार शेड उन अनेक परियोजनाओं में से एक है, जिसे सरकार लाना चाहती है, और साथ ही आदिवासियों को स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA) के आवासों में धकेलने की योजना बना रही है.

अक्टूबर 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने आरे कॉलोनी के पुनरुद्धार के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के लिए एक सलाहकार की नियुक्त के लिए टेंडर निकाला था. टेंडर के मुताबिक, सलाहकार का काम शहरी विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाते हुए एक स्थायी योजना बनाने और पर्यटन विकास के लिए स्थानों की पहचान करना था. लेकिन यह पूरा काम वन क्षेत्र को प्रभावित किए बिना होना था, वहीं इस प्रक्रिया में आरे निवासियों को भी शामिल नहीं किया.

2020 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने आरे की 800 एकड़ से अधिक भूमि को आरक्षित वन के रूप में अधिसूचित किया था.

यहां देखिए पूरी वीडियो रिपोर्ट

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