उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में हैं. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर यहां भी 2019 के चुनाव से पहले बीजेपी विरोधी दलों को एक मंच पर लाने की तैयारी तेज होती दिख रही है.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार का उपचुनाव नतीजों के बाद दिया गया बयान कई मायनों में बीजेपी के लिए हाथ-पांव फूलाने वाला है. पवार ने इशारों-इशारों में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को बीजेपी विरोधी मंच में शामिल होने का न्योता दे दिया है. हालांकि पवार के खुले ऑफर के बाद शिवसेना की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन उनके इस पैंतरे ने महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में जोरदार बहस छेड़ दी है
‘सूत्रधार’ बनने को तैयार पवार
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है देश के कई हिस्सों में हुए उपचुनाव के नतीजे ये साफ बता रहे हैं कि बीजेपी के लिए देश में आगे की राह कठिन है. इस तरह के नतीजे कोई छोटी बात नहीं है. उन्होंने सभी विपक्षी दलों को साथ आने को कहा है. पवार ने कहा,
समान विचारधारा वाले पार्टियों को लोकसभा चुनाव से पहले साथ लाने का सूत्रधार बनने में भी मुझे आनंद होगा.
छह महीने पहले से शुरू है एकता की कोशिश
एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे से लेकर महाराष्ट्र में मौजूद कई दूसरी छोटी पार्टियां जिसमे राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकारी संघटना हो या बच्चू कडु की प्रहार सभी को एक साथ लाने के लिए शरद पवार प्लान के तहत पिछले 6 महीनो से काम कर रहे हैं. इन सभी पार्टियों के प्रमुखों से शरद पवार की कई बार मुलाकात भी हो चुकी है. पवार से मुलाकात के बाद राज ठाकरे का मोदी का विरोध करने वाला भाषण इस बात की और साफ इशारा करता दिख रहा है कि अगले चुनाव में एनसीपी और एमएनएस के बीच गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है.
पवार को राहुल का भी समर्थन
केंद्रीय स्तर पर भी बीजेपी विरोधियों को साथ लेने के लिए शरद पवार परदे के पीछे बड़ी भूमिका निभाते दिख रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि शरद पवार के संबंध में सभी पार्टियों में ठीक-ठाक हैं.पवार की कोशिश बीजेपी के विरोध में सभी दलों को साथ लेने में अहम साबित हो सकती है और शायद इसीलिए ममता, नवीनपटनायक, चंद्रबाबू नायडू, चंद्रशेखर राव, उमर अब्दुल्ला, मायावती से लेकर अखिलेश तक सभी से शरद पवार खुद समय-समय पर बात कर रहे हैं. पवार के करीबियों के मुताबिक लोकसभा चुनाव तक सभी साथ रहे इसकी कोशिश और रणनीति पर भी तेजी से काम हो रहा है.
विरोधी खेमे में शामिल हो गई शिवसेना तो बदल जाएगी तस्वीर
अगर शिवसेना बीजेपी विरोधी खेमे में शामिल होती हैं तो महाराष्ट्र की राजनीतिक तस्वीर बदलने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. इसका तजा उदाहरण पालघर लोकसभा का उपचुनाव है, जहां बीजेपी भले ही जीत गई हो लेकिन अगर शिवसेना, बीवीएस और लेफ्ट के वोटों को मिला दें तो ये बीजेपी को मिले वोटों से ज्यादा है. साफ है कि अगर ये कांग्रेस, एनसीपी कैंप में शिवसेना शामिल होती है तो मोदी और बीजेपी के लिए लोकसभा चुन चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में 2014 जैसा प्रदर्शन दोहरा पाना मुश्किल होगा.
महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें है. बीजेपी के पास 23 शिवसेना के पास 18 एनसीपी के पास 4 और कांग्रेस के पास केवल 2 सीटें हैं. बीजेपी और शिवसेना एनडीए में साथ हैं लेकिन दोनों के रिश्तों में काफी कड़वाहट आ चुकी है. पिछले दिनों वरिष्ठ बीजेपी नेता नीतिन गडकरी ने कहा था कि शिवसेना के साथ रिश्ते सुधर जाएंगे लेकिन लगता नहीं है कि 2019 में दोनों साथ मिल कर चुनाव लड़ेंगे.
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