सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि भारतीय रेल (Indian Railways) में अब नई तकनीक के जरिए रेल की पटरियां मशीन से बन रही हैं.
यूजर्स ने क्या कहा ? : वीडियो शेयर करने वालों का कहना है कि 'भारत में आज ये तकनीक इस्तेमाल हो रही है. जो कि 60 सालों में पिछली सरकार लॉन्च नहीं कर सकी. क्योंकि लोगों के टैक्स का पैसा स्विस बैंक में जमा किया जाता रहा.' (वायरल पोस्ट का हिंदी अनुवाद)
सच क्या है ? : दावा गलत है. वीडियो भारत का नहीं बल्कि मलेशिया के ईस्ट कोस्ट रेल लिंक (ECRL) नाम के प्रोजेक्ट के कंसट्रक्शन का है.
हमने ये कैसे पता लगाया ? : वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल लेंस पर सर्च करने से हमें वीडियो का छोटा वर्जन 'Sharing Travel' नाम के X हैंडल के पोस्ट में मिला.
ये 9 जनवरी 2024 को पब्लिश किया गया था और इसका कैप्शन था, "Malaysia's East Coast Railway began laying tracks".
एक और रिवर्स सर्च करने पर हमें china.orh का शेयर किया गया एक पोस्ट मिला, जिसमें वायरल वीडियो से मिलते-जुलते विजुअल थे.
इसमें ये भी बताया गया था कि मलेशिया में बड़े पैमाने पर चल रहा ECRL रेल प्रोजेक्ट चाइना कम्यूनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कंपनी (CCCC) की तरफ से किया जा रहा है.
वायरल वीडियो की तस्वीरों से तुलना : वायरल वीडियो के की-फ्रेम की china.org की तस्वीरों से तुलना करने पर हमें दिखा कि सभी विजुअल्स में मशीन एक ही है.
(देखने के लिए तस्वीरों को दाईं तरफ स्वाइप करें)
न्यूज रिपोर्ट्स : हालिया न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलेशिया के राजा सुल्तान अब्दुल्लाह सुल्तान अहमद शाह ने इस विशाल रेल प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी.
इसमें आगे बताया गया है कि बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत ECRL बड़े पैमाने पर चलने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है.
मलेशिया के ट्रांसपोर्ट मंत्री Loke Siew Fook ने कहा था कि चीन की तरफ से आए उपकरणों से बन रहा ये ट्रैक रेलवे के निर्माण कार्य को और दक्ष बनाने में मदद करेगा.
टीम वेबकूफ को इसी पटरी बिछाने वाली मशीन के विजुअल AP ARCHIVE के यूट्यूब चैनल पर भी मिले.
डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि ECRL मलेशिया - चीन का संयुक्त रेल प्रोजेक्ट है, जिसकी दूरी लगभग 655 किलोमीटर है और ये चार राज्यों से होकर गुजरता है.
आगे बताया गया है कि प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य अगस्त 2017 से ही चल रहा है और इसे 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
भारत में पटरी बिछाने के लिए मशीन का इस्तेमाल : Hindu Business Line पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, एक खास रेल फ्रेट कॉरिडोर में पटरी बिछाने वाली मशीनों का इस्तेमाल किया गया था. ये मशीन 2.5 किलोमीटर तक की पटरियां बिठाने का काम एक दिन में कर सकती थी. एक मशीन पर एक दिन का खर्च लगभग 60-70 करोड़ रुपए आता था.
निष्कर्ष : मतलब साफ है, मलेशिया का वीडियो भारत में इस्तेमाल की जा रही रेल की पटरियां बिछाने की मशीन का बताकर शेयर किया जा रहा है.
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