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सोनी सोरी कौन हैं? जिन्हें 11 साल बाद राजद्रोह केस से बरी किया गया

सोनी सोरी ने साल 2014 में आम आदमी के टिकट पर बस्तर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था.

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NIA की स्पेशल कोर्ट ने सोशल एक्टिविस्ट सोनी सोरी (Soni Sori) को 11 साल बाद राजद्रोह मामले में बरी कर दिया है. सोनी सोरी पर माओवादियों से कनेक्शन और उन्हें फंड मुहैया कराने का आरोप था. 11 साल बाद बरी होने पर सोनी सोरी ने एक सवाल उठाया है. उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र और राज्य की सरकारें उन्हें उनका 11 साल लौटा सकती हैं.

सोनी सोरी दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण तहसील स्थित बड़े बेदमा की रहने वाली हैं. पहले दंतेवाड़ा के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती थीं. माओवादियों से पैसे के लेन देन के मामले में सोनी सोरी का नाम आने के बाद शिक्षिका के पोस्ट से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. सोनी के पिता मुंडा राम कांग्रेस नेता रहे और बड़े बेदमा गांव के सरपंच भी रहे.

साल 2010 में स्वतंत्रता दिवस के विरोध में 14 अगस्त को नक्सलियों ने 6 ट्रकों को आग लगा दी थी. पुलिस ने इस मामले में सोनी सोरी को भी आरोपियों बनाया था. पुलिस ने सोनी सोरी पर राजद्रोह, दंगा भड़काने, एक्सटॉर्शन संबंधी कई धाराओं में केस दर्ज किए थे.

सोनी सोरी ने साल 2014 में आम आदमी के टिकट पर बस्तर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था.

पुलिस हिरासत में सोनी सोरी

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कौन है सोनी सोरी?

साल 2011 में सोनी सोरी को पैसे के लेन देने मामले में दिल्ली ने गिरफ्तार किया था और छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप दिया गया. इस दौरान सोनी सोरी ने आरोप लगाया कि कस्टडी में उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. सोनी सोरी ने जेल से ही एक चिट्ठी लिखी थी.

इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि हम देशवासियों से जानना चाहते हैं कि हम औरतों के साथ ऐसा अत्याचार क्यों हो रहा है. सोनी सोरी ने तत्कालीन एसपी अंकित गर्ग पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि एसपी गर्ग अपनी कुर्सी पर बैठकर उनके नग्न शरीर को देख कर भद्दी टिप्पणी करते हैं. हालांकि, गर्ग ने इन सारे आरोपों को खारिज कर दिया था.

साल 2013 में सोनी सोरी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जमानत की याचिका भी लगाई थी. लेकिन, हाईकोर्ट ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि सोनी पर लगे आरोप गंभीर हैं. वहीं, साल 2013 में ही सुप्रीम कोर्ट ने सोनी सोरी को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वो छत्तीसगढ़ में नहीं रहेंगी और दिल्ली पुलिस को हर हफ्ते रिपोर्ट करेंगी.
सोनी सोरी ने साल 2014 में आम आदमी के टिकट पर बस्तर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था.

आम आदमी पार्टी में सोनी सोरी

सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सोनी सोरी ने राजनीति में एंट्री मारी. साल 2014 में वो आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं. साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आप ने उन्हें बस्तर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. लेकिन, वो हार गईं. इसके बाद साल 2019 में उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़ दिया.

महिलाओं और आदिवासियों की लड़ाई लड़ने वाली महिला वकील और एक्टिविस्ट शालिनी गेरा, ईशा खंडलेवाल और पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम पर अदिवासियों से जुड़े होने के आरोप लगे. पुलिस ने उनके मकान मालिकों से पूछताछ शुरू कर दी, इसके बाद इन्हें घर से निकाल दिया गया. इसी को लेकर 20 फरवरी साल 2016 को एक प्रसे कॉन्फ्रेंस हुई थी. इस कॉन्फ्रेंस में सोनी सोरी भी शामिल थीं. कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद वो बाइक से लौट रही थीं. इसी वक्त बाइक सवार तीन लोग आए और उनके मुंह पर जली हुई ग्रीस फेंक दी. इस हमले में सोनी सोरी का चेहरा बुरी तरह से जल गया था.

सोनी सोरी ने साल 2014 में आम आदमी के टिकट पर बस्तर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था.

सोनी सोरी पर फेंकी गई जली ग्रीस

माओवादियों के साथ संबंध और पैसों के लेन देन के अलावा छत्तीसगढ़ पुलिस ने सोनी सोरी को 6 और मामलों में आरोपी बनाया था. हालांकि, अब वो सारे मामलों से बरी हो गई हैं. लेकिन, बरी होने के बाद उन्होंने एक सवाल उठाया है. उन्होंने PTI पर दिए बयान में कहा कि मुझे गलत केस में फंसाया गया. खुद को निर्देष साबित करने में मुझे 11 साल लग गए, मैं लड़ती रही. मैं एक स्कूल टीचर थी. लेकिन, झूठे आरोपों ने मेरी जिंदगी, मेरी गरिमा और मेरे सम्मान को बर्बाद कर दिया. मेरे साथ मेरे परिवार को परेशान होना पड़ा. कौन मेरे 11 साल लौटाएगा? उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें उनके 11 साल लौटा सकती हैं.

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