जापानी प्रधान (Japan PM) मंत्री फुमियो किशिदा (Fumio Kishida) शनिवार से शुरू होने वाले दो दिवसीय भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आ रहे हैं. पिछले साल पीएम का पद संभालने के बाद से किशिदा की यह भारत की पहली यात्रा होगी. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी पहली मुलाकात भी होगी.
पिछला भारत-जापान शिखर सम्मेलन 2018 में टोक्यो में हुआ था. भारत और जापान के बीच ये शिखर सम्मेलन का 14वां संस्करण होगा.
जापान और भारत के प्रधानमंत्री की ये मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब विश्व राजनीति में उथल-पुथल मचा है. रूस-यूक्रेन जंग के कारण पैदा हुए रणनीतिक चुनौतियों का सामना करने की नीति पर दोनों देश चर्चा कर सकते हैं.
भारत-जापान में इन मुद्दों पर चर्चा संभव
अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान, पीएम किशिदा के एक व्यावसायिक कार्यक्रम को संबोधित करने की उम्मीद है. दोनों देश मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर के अलावा भी बुलेट ट्रेन परियोजना के विस्तार पर चर्चा करेंगे.
दोनों नेता साझेदार देशों के बीच लचीला सप्लाई चेन बनाने पर भी चर्चा कर सकते हैं. दोनों पक्ष सप्लाई चेन रिजिलिएंस इनीशिएटिव (SCRI) पर पहले ही काम कर रहे हैं. भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार और अर्थव्यवस्था मंत्रियों ने 2021 में एससीआरआई की शुरुआत की थी.
भारत जापान में इसपर भी चर्चा संभव है कि रूस-यूक्रेन वॉर के चलते पैदा हो रही नई समस्याओं और उनके प्रभावों से खुद को कैसे बचाया जाए.
चर्चा का मुख्य विषय एक चीन के साथ इंडो-पैसिफिक को लेकर जारी विवाद होगा. चीन ताइवान को सैन्य सहायता मुहैया करने वाले किसी भी देश को धमकाता है.
दोनों नेता मई 2022 में ऑस्ट्रेलियाई आम चुनावों के बाद टोक्यो में आगामी QUAD शिखर सम्मेलन पर भी चर्चा करेंगे.
पूर्वी लद्दाख में और जापानी सेनकाकू द्वीप समूह के आसपास चीनी सैन्य गतिविधि को भी शिखर सम्मेलन में साझा किया जाएगा.
दोनों नेता तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान और वहां के हालातों पर भी चर्चा कर सकते हैं.
भारत-जापान में कई मोर्चों पर सहयोग
स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक की अवधारणा को लेकर दोनों देशों ने अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है.
दोनों देश एक्ट ईस्ट फोरम में भी शामिल हैं. भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम की स्थापना के लिए 2017 के शिखर सम्मेलन में फैसला लिया गया था. इसका उद्देश्य कनेक्टिविटी, फॉरेस्ट मैनेजमेंट, आपदा जोखिम में कमी और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में पूर्वोत्तर भारत में विकास परियोजनाओं का समन्वय करना है.
जापान के सहयोग से मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में कई हाइवे परियोजनाएं चल रही हैं. मोदी ने पिछले साल असम और मेघालय के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर 20 किलोमीटर लंबे पुल की आधारशिला रखी थी.
दोनों पक्ष सप्लाई चेन रिजिलिएंस इनीशिएटिव (SCRI) पर काम कर रहे हैं - भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार और अर्थव्यवस्था मंत्रियों ने 27 अप्रैल, 2021 को एससीआरआई की शुरुआत की थी.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारत में जापानी येन 3.5 ने ट्रिलियन सार्वजनिक और निजी निवेश का लक्ष्य हासिल कर लिया है, जिसकी घोषणा मोदी और अबे ने 2014 में की थी.
भारत में 1,455 जापानी कंपनियां हैं और 11 जापान औद्योगिक टाउनशिप (JIT) की स्थापना की गई है. जापान एफडीआई का 5वां सबसे बड़ा स्रोत है और ODA (भारत का विकास भागीदार) का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है.
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